पूरे देश में एमडी/एमएस चिकित्सों द्वारा ओपीडी में सबसे ज्यादा मरीज देखने पर पीजीआईएमएस, रोहतक को मिला प्रथम स्थान बैस्ट जैंडर डाईवर्सिटी में मिला दूसरा स्थान संस्थान में पहले 120 वेंटिलेटर थे, अब और 70 वेंटिलेटर आ चुके हैं मनोरोग विभाग की ओपीडी शुरू. कोरोना के मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने के लिए मल्टीडिसीप्लेनरी टीम का किया गठन रोहतक पीजीआई में करीब 81 वोलंटियर को लगाई जा चुकी है कोरोना की वैक्सिनहैपेटाइटिस सी की दवाईंयों पर रिसर्च की मिली परमिशन

अनूप कुमार सैनी

रोहतक, 5 अगस्त। पंड़ित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को एक राष्ट्रीय स्तर की मैगजीन द्वारा करवाए गए सर्वे में पूरे देश में एमडी/एमएस चिकित्सों द्वारा ओपीडी में सबसे ज्यादा मरीज देखने पर प्रथम स्थान प्रदान किया गया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय को एमडी/एमएस की सबसे कम फीस लेने पर पूरे देश में तीसरा स्थान मिला है।    

 वहीं बैस्ट जैंडर डाईवर्सिटी में दूसरा स्थान मिला है। यह कहना है पंड़ित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.ओ.पी. कालरा का। वे पीजीआईएमएस को इतनी उपलब्धियां मिलने पर पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।   

 पत्रकारों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. ओ.पी. कालरा ने कहा कि उन्हें काफी खुशी है कि उनके विश्वविद्यालय के चिकित्सकों द्वारा प्रतिदिन करीब 6200 मरीज देखे जाते हैं, जोकि पूरे देश में सबसे ज्यादा हैं। उनका कहना था कि सबसे ज्यादा मरीज वहां जाते हैं, जहां लोगों को चिकित्सकों पर ज्यादा विश्वास होता है। कुलपति ने कहा कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा संस्थान के चिकित्सकों को सभी सुविधाएं और उच्च गुणवता की मशीनें उपलब्ध करवाई जा रही है, जिसके चलते चिकित्सक दिन रात मरीजों को उच्च गुणवता का इलाज उपलब्ध करवा रहे हैं और लोगों का संस्थान पर विश्वास बढ़ रहा है।         

 डॉ. कालरा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बीमार होने के बावजूद संस्थान का पूरा ध्यान रख रहे हैं और सभी गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए रखते हैं। वे जरूरी दिशा-निर्देश देते रहते हैं ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना होने पाए। उन्होंने बताया कि संस्थान में पहले करीब 120 वेंटिलेटर थे और अब इनकी संख्या करीब दोगुनी हो रही है, जिसमें 70 वेंटिलेटर आ चुके हैं।        

कुलपति ने कहा कि संस्थान में छात्रों से बहुत कम ट्यूशन फीस ली जाती है, जिसके चलते उन्हें फीस कम मामले में तीसरा स्थान मिला है। उन्होंने बताया कि निओनेटल में पहले करीब 30 बेड थे, जिनकी संख्या अब बढकर 82 हो चुकी है और इस समय करीब 100 नवजात शिशु उनके पास भर्ती हैं। वहीं कोरोना महामारी के समय में प्रतिदिन करीब 40 से ज्यादा डिलीवरी संस्थान मे हो रही हैं।      

डॉ. कालरा ने कहा कि कोरोना के मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने के लिए मल्टीडिसीप्लेनरी टीम का गठन किया गया है, जिसमें संस्थान में करीब दर्जन भर सीनियर चिकित्सक शामिल हैं, जो हर दिन 2 घंटे की मिटिंग करके हर मरीज का हाल पता कर उसके इलाज के बारे में चर्चा करते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना की वैक्सिन अभी तक संस्थान में करीब 81 वोलंटियर को लगाई जा चुकी है।      

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. एच.के. अग्रवाल, निदेशक डॉ. रोहताश यादव, डीन एकेडमिक अफेयर डॉ. एस.एस. लोहचब, डीन छात्र कल्याण डॉ. गजेंद्र सिंह, डॉ. वरूण अरोड़ा, प्रो. संतोष हुड्डा भी उपस्थित थे।बॉक्स : हैपेटाइटिस सी की दवाईयों पर रिसर्च की मिली परमिशन : डॉ. ओ.पी. कालरा ने बताया कि उनके संस्थान को हैपेटाइटिस सी की दवाईयों को कोरोना के इलाज में प्रयोग करने की परमिशन मिल गई है, जिसके लिए संस्थान को करीब 86 लाख रूपए का बजट भी मिला है।  

मनोरोग विभाग की ओपीडी शुरू

कुलपति ने पत्रकारों से सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मनोरोग विभाग की ओपीडी शुरू कर दी गई, जिससे मानसिक रोगियों को काफी राहत मिली है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन बीस मरीज इस ओपीडी मे देखे जा रहे हैं। वहीं मानसिक रोगियों के लिए हैल्पलाइन 01262-282382 भी चौबीस घंटे चालू है, जिस पर कोई भी व्यक्ति संपर्क कर जागरूकता प्राप्त कर सकता है।

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