बिजली विभाग की लापरवाही का दंड भुगत रहे ग्रामींण. नहीं हटाये जा रहे घरों के उपर से गुजरने वाले जर्जर तार फतह सिंह उजाला पटौदी। प्रदेश सरकार भले ही जगमग योजना के तहत ग्रामीणों को शहरी तर्ज पर 24 घंटे लाइट मुहिया कराने का दम भर रही हो। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही बयान कर रही है। ग्रामीण इलाकों में बिजली सप्लाई करने वाले तार जर्जर है, लोहे के पोल पर लटकती तार से करंट लगने का भय बना रहता है। बिजली के तार ढीले है उनके नीचे से किसान सिर पर पशुचारे की गठरी तक लेकर नहीं गुजर सकते है। जरा से हवा के झोके से बिजली के तार टूट जाते है। जिसके चलते ग्रामीणों को घंटों बिजली के दर्शन नहीं होते है। ग्रामीण अपने ही घरों की छतों पर नहीं चढ़ पा रहे है। नया निर्माण भी दुस्वार हो गया है। बार बार शिकायतों के बाद भी बिजली के जर्जर तार बदलने का कार्य नहीं किया जा रहा है। घरों के उपर से गुजर रहे बिजली के जर्जर तार दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहे है। गांव खेडा खुर्रमपुर निवासी सीआरपीएफ छत्तीसगढ में तैनात हवलदार मेजर जगदेव यादव, राजबीर सिंह, महेंद्र सिंह, धर्मबीर, रविंद्र कुमार आदि ने बताया कि बिजली विभाग में वह कई बार शिकायत कर चुके है कि उनके प्लाट के बीच से गुजर रहे बिजली के जर्जर तारों को हटाया जाए। प्लाटों के साथ खेतों से गुजर रही बिजली की तार भी काफी जर्जर और ढीली है उनकों आसानी से खडे होकर छुआ जा सकता है। तारों के बीच में प्लास्टीक या लकडी की डंडी भी नहीं लगा रखी है। जरा सी हवा के झोके साथ ही तार आपस में टकरा कर टूट कर घरों के उपर गिर जाते है। बिजली विभाग ने 1966 में अपनी मनमर्जी से गांव के लाल डोरे के अंदर बिजली के पोल गाड दिए थे। जैसे जैसे आबादी बढ़ी तो वहीं बिजली के पोल ग्रामीणों के लिए समस्या बन गए है। बिजली विभाग की लापरवाही से गाडे गए बिजली के पोल को हटाने के लिए दर दर की ठोकर खाने पर ग्रामीण मजबूर है। घरों के उपर से गुजर रही जर्जर तारों को हटाने के लिए वह कई बार शिकायत कर चुके है। लेकिन हर बार उन्हें कोई न कोई बहाना बना कर टरका दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ तो वह बिजली मंत्री चैधरी रणजीत सिंह व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलकर गुहार लगाएंगे। Post navigation शहीद भाई की प्रतिमा पर बांधी राखी तो एमएलए ने बढ़ाई कलाई परिवार पहचान पत्र से लाभार्थी को दूरगामी लाभ मिलेगा: जरावता