भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

ओमप्रकाश धनखड़ प्रदेश अध्यक्ष पद पर विराजित होने के पश्चात भाजपा के अंदरूनी वातावरण में अंतर आया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2014 से ही एक ठसके से सरकार चलाई और मुख्यमंत्री सर्वेसर्वा कहे जाने लगे तथा भाजपा में ही चर्चाएं चलने लगीं कि मंत्रियों को भी उनसे मिलने के लिए समय लेना पड़ता है।

आज प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने पार्टी जिला अध्यक्षों की संगठनात्मक बैठक ली। उस बैठक में उन्होंने मुखर होकर एक बात कही कि भाजपा का सिद्धांत है कि कोई व्यक्ति कितने ही बड़े पद पर आसीन क्यों न हो जाए, लेकिन सर्वप्रथम वह भाजपा का कार्यकर्ता रहेगा। इस वाक्य से अपने आपमें बहुत कुछ परिभाषित हो जाता है। जैसे कि कार्यकर्ता को पद पर आसीन होने के पश्चात अपना कार्यकर्ता धर्म नहीं भूलना है, पद का अभिमान नहीं करना है। सभी साथियों को साथ लेकर चलना है। किसी कार्यकर्ता को यह अहसास नहीं होना चाहिए कि उसे उचित मान नहीं नहीं मिल रहा। अर्थात पदाधिकारी को कार्यकर्ता की तरह ही काम करना है।

अब कह तो दिया धनखड़ जी ने लेकिन जहां बात होती है, वहां चर्चाएं तो चलती ही हैं और चर्चाएं यह चल रही हैं कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री का वर्चस्व नहीं रहेगा। प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ संगठन को अपने बुद्धि कौशल से सुदृढ़ करेंगे। यह भी माना जाने लगा है कि जैसा कि पहले कहा जा रहा था कि जिला अध्यक्षों की सूची बन चुकी है, उसका कोई औचित्य नहीं है। अब प्रदेश अध्यक्ष अपनी समझ से जमीन से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं की पहचान कर नेतृत्व क्षमता वाले उच्च चरित्र कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी देंगे।

इन्हीं बातों को देखते हुए भाजपा के उच्च महत्वकांक्षी कार्यकर्ता जो पद पाने के लिए लॉबिंग में सक्रिय थे और उसके लिए अनेक प्रयास कर चुके थे और निश्चिंत होकर बैठे थे कि वह हमारी झोली में है, वे अब दूसरा ठिकाना ढूंढने लगे हैं। उन लोगों में आपस में चर्चाएं चल रही हैं कि पता करना आवश्यक है कि प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ जी पर किसका प्रभाव चलेगा, जिससे वह अपना लॉबिंग का रास्ता चुन सकें।

इन बातों से गुरुग्राम में कुछ पुराने भाजपाइयों में उत्साह देखा गया जो अब तक निष्क्रिय से हो गए थे। उनमें अब ऐसी आस जगी है कि प्रदेश अध्यक्ष अब चाल, चरित्र और चेहरे पर नजर रख अनुभव को वरीयता दे, अनुभवी व्यक्तियों को जिम्मेदारी सौंपेंगे। पार्टी की मान-मर्यादा का ख्याल रखेंगे। ऐसे व्यक्ति जिनकी चाल, चरित्र और चहेरे के बारे में समाज में गलत संदेश गया हुआ है, उनका इशारा शायद इस ओर था कि कुछ लोगों पर जमीन, जायदाद, महिला उत्पीडऩ आदि के केस पुलिस के पास दर्ज हुए हैं। शायद ऐसे व्यक्तियों को अब संगठन में स्थान नहीं मिलेगा।

तात्पर्य यह है कि न जानें क्यों ऐसा लगता है कि भाजपाइयों को ओमप्रकाश धनखड़ के प्रदेश अध्यक्ष बनने से ऐसा महसूस होने लगा है कि जिस प्रकार हरियाणा भाजपा में वीआइपी कल्चर का अंत हो जाएगा और सभी कार्यकर्ता महत्व समझेंगे और उसी के अनुसार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर भाजपा की घटती लोकप्रियता को काम कर अपना विश्वास जनता में बढ़ाएंगे।

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