–बिना एनओसी के ही कर दी बीस करोड़ रुपये की सरकारी कीमत वाली 166 रजिस्ट्रियां
-सत्ता के नेताओं की मिलीभगत वाली शिकायत का एक साल पुराना पत्र वायरल

नारनौल, (रामचंद्र सैनी): आरटीआई से जुटाए गए आंकड़ों से नारनौल तहसील कार्यालय में रजिस्टर्ड की गई रजिस्ट्रियों में बड़ा घोटाले का खुलासा हुआ है। नारनौल तहसील कार्यालय में भी बिना एनओसी के 166 रजिस्ट्रियां रजिस्टर्ड कर देने का खुलासा हुआ है। इन रजिस्ट्रियों की सरकारी कीमत करीब बीस करोड़ रुपये बनती है। नारनौल के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने डीसी कार्यालय में आवेदन करके जनवरी से अप्रैल 2020 तक रजिस्टर्ड की गई रजिस्ट्रियों की जानकारी मांगी थी। जिसमें यह चौकानें वाला खुलासा हुआ है।

वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में कथित रजिस्ट्री घोटाले की गूंज इन दिनों सुर्खिया बनने के बाद नारनौल में दो अलग-अलग पत्र भी सोशल मीडिया के माध्यम से मिले हैं। एक पत्र एक साल पुराना तो दूसरा करीब सात महीने पुराना है। एक पत्र में लालचंद नामक व्यक्ति ने रजिस्ट्री क्लर्क द्वारा जिला के दो बड़े भाजपा नेताओं व एक तत्कालीन उच्च अधिकारी को रजिस्ट्रियों के एवज में पैसे पहुंचाने की बात कही है। लालचंद नामक इस व्यक्ति ने अपनी यह शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री, स्टेट विजिलेंस और जिला के तत्कालीन मंत्री व विधायकों के नाम लिखकर अपने पास रजिस्ट्री करने वाले तत्कालीन कर्मचारी की सभी रिकार्डिंग अपने पास होने का दावा किया है।

जबकि सात माह पुराना पत्र किसी गगनदीप द्वारा तहसीलदार को लिखा गया है। इस पत्र में किसी धर्मवीर नामक एक व्यक्ति द्वारा रजिस्ट्री के एवज में तहसीलदार के नाम पर छोटी सी जमीन की रजिस्ट्री में एवज में उससे लिये गए 27 हजार रुपये वापस देने की दिलाने की मांग की गई है। यह धर्मवीर जिला के एक भाजपा नेता का नजदीकी बताया गया है। इस प्रकार इन पत्रों से इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि नारनौल में बिना एनओसी के चले रजिस्ट्री के खेल में किसी सफेदपोश की भूमिका ना हो।

वहीं अब आरटीआई से जुटाये गए ताजा आंकडों की बात करें तो तहसीलदार कार्यालय से 23 जुलाई 2020 को दी गई आरटीआई में खुद उनका कार्यालय मान रहा है कि जनवरी से अप्रैल 2020 तक उनके कार्यालय से कुल 215 सेल डीड रजिस्टर्ड की गई है। इनमें से 49 डीड नगर परिषद नारनौल से एनओसी लेेने के बाद रजिस्टर्ड की गई है। इन डीड को रजिस्टर्ड करने के लिए डीटीपी से एनओसी की आवश्यकता नहीं थी। जबकि इसी आरटीआई के इसी कालम में स्पष्टï रूप से यह लिखा गया है कि 166 सेल डीड नगर परिषद के एरिया में बिना एनओसी के रजिस्टर्ड की गई है। यहां हैरानी और चौकानें वाली बात यह है कि जब 49 सेल डीड के लिए नगर परिषद से एनओसी ली गई है तो बाकी 166 के लिए नगर परिषद से एनओसी क्यों नहीं ली गई। जो सीधा-सीधा बड़े घोटाले का प्रमाण है।

रजिस्ट्री क्लर्क हो चुका है सस्पेंड :-

यहां यह भी बता दें कि मई माह में बिना एनओसी की शिकायत पर 29 मई को तत्कालीन डीसी जगदीश् शर्मा ने उस समय के रजिस्ट्री क्लर्क  रामचंद्र को सस्पेंड करके जांच डीआरओ राजकुमार को सौंपी थी और नायब तहसीलदार से जवाब तलब किया। अब इस मामले की जांच वर्तमान एसडीएम मनीष फोगाट कर रहे हैं।

यहां यह भी बता दें कि तत्कालीन डीसी जगदीश शर्मा को दिए गए जवाब में 29 मई को नायब तहसीलदार रतनलाल ने केवल 22 सेल डीड बिना एनओसी लॉक डाउन के दौरान  रजिस्टर्ड करने का जवाब दिया था। जबकि आरटीआई में 166 सेल डीड बिना एनओसी के रजिस्टर्ड करने की सूची दी गई है।

क्या कहते हैं नायब तहसीलदार:-

इस मामले में अब जब नायब तहसीलदार रतनलाल से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि नगर परिषद की सीमा वर्ष 1974 की सीमा के अंदर पडने वाले स्थल जो 7 ए की नोटिफिकेशन अनुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र से छूट प्राप्त है। उन्होंने यह भी बताया कि आरटीआई में 166 सेल डीड 13 जनवरीसे 16 मार्च तक की है जबकि 22 डीड केवल लॉक डाउन के दौरान की गई थी।

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