पंचकूला। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया है कि हरियाणा प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं, लेकिन सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। इसका ताजा उदाहरण मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गृह  जिला करनाल  का सरकारी अस्पताल है। जहां पर प्रसूति विभाग में तीन महिलाओं को एक बैंड शेयर करने के लिए विवश किया गया। चन्द्र मोहन ने आरोप लगाया कि अस्पताल की इससे बड़ी दुर्दशा का उदाहरण हरियाणा प्रदेश में पहले कभी भी देखने में नहीं आया है, जहां सरकारी अस्पताल के प्रसूति वार्ड में एक बिस्तर पर तीन महिलाओं को रखा गया और अधिकारियों ने इन महिलाओं को कोविड सम्पर्क से खतरे के लिए छोड़ दिया गया।

उन्होंने कहा कि इससे बड़े दुर्भाग्य की और कोई बात नहीं हो सकती है कि हरियाणा मानवाधिकार को अस्पताल की दुर्दशा के बारे में संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को नोटिस देने पर मजÞबूर होना पड़ा है। चन्द्र मोहन ने कहा कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें झूठ बोलने पर विवश किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण डॉ रमेश पुनिया है, जिस पर भाजपा के नगर निगम के मेयर जोकि कोरोना पोजीटिव थे, उनको नैगेटिव करने के लिए दबाव डाला गया, लेकिन उस बहादुर डॉक्टर ने दबाव में आने से इन्कार कर दिया और इसकी सजा उसे स्थानान्तरण के रूप में भुगतना पड़ा है। उन्होंने कहा है कि अधिकारियों की चाटूकारिता ने स्वास्थ्य सेवाओं को गर्त में पहुंचा दिया गया है।                      

चंद्रमोहन ने कहा कि भाजपा ने 2014 में विधानसभा चुनाव से पहले प्रत्येक जिले में एक मैडिकल कॉलेज खोलने की बात अपने घोषणापत्र में लिखी थी, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी एक भी मैडिकल कॉलेज नजर नहीं आया, अपितु सरकार की अकर्मण्यता के कारण एक प्राईवेट मैडिकल कॉलेज बन्द हो गया। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से अपील की है कि वह राजनीति छोड़ कर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ ध्यान दें ताकि गरीब वर्गो के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। क्योंकि  बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना प्रत्येक सरकार का सर्वोच्च कर्त्तव्य है।  

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