भिवानी/मुकेश वत्स  

अखिल भारतीय निर्माण मजदूर फैडरेशन के आह््वान पर देशव्यापी मांग दिवस पर जिला भर में गांव व मौहल्ला स्तर पर विरोध प्रदर्शन व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेजे गए। इकाई स्तर पर हुए विरोध प्रदर्शनों को सम्बोधित करते हुए यूनियन नेताओं ने कहा है केन्द्र व राज्य सरकार कोरोना का बहाना बनाकर ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले कर रही है, कोयला, डिफैंस, बिजली, विनिर्माण क्षेत्र का नीजिकरण किया जा रहा है।

यूनियन नेताओं ने आगे बताया कि निर्माण मजदूरों को ऑनलाइन व ऑफलाइन के फेर में फंसा कर निर्माण मजदूरों के बोर्ड को ही खत्म करने की साजिस रची जा रही है। हरियाणा में 2007 में बोर्ड के गठन के समय से ही निर्माण मजदूरों की मान्यता प्राप्त यूनियनों को मजदूर के पंजीकरण व नवीनीकरण करवाने के लिए 1 वर्ष में 90 दिन के तसदीक करने की अर्थोटी थी। मगर निर्माण जिसकी तस्दीक कानून के मुताबिक यूनियनों को भी अधिकार मिला हुआ था। उन्होंने कहा इस महामारी के चलते सबसे बड़ा संकट निर्माण उद्योग पर आया है ऐसे समय में भी सरकार व बोर्ड अधिकारी निर्माण मजदूरों को राहत पहुंचाने की बजाये नई नई शर्ते लगाकर ऑनलाईन सुविधा फार्मो को कैसिंल कर रही हैं। यूनियन ने केन्द्र व राज्य सरकार से मांग की हैं कि हर मजदूर को 6 माह तक 7500 रूपये नकद व फ्री राशन की व्यवस्था की जाए, रजिस्ट्रड मान्यता प्राप्त यूनियनों को 90 दिन की तसदीक की अर्थोटी जारी की जाए, अनाप सनाप शर्तो पर रोक लगे, बकाया फार्मो की सुविधा राशी जारी की जाए, सभी गांव में 200 दिन मनरेगा के तहत काम व 600 रूपये दिहाड़ी दी जाए, ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले बंद हो, सावृृजनिक क्षेत्र के नीजिकरण पर रोक लगे। अगर केन्द्र व राज्य सरकार समय रहते निर्माण मजदूर विरोधी नीतियों पीछे नही हटी तों निर्माण मजदूर बडे आन्दोलन की ओर अग्रसर होगें

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