रमेश गोयत चंडीगढ़ 11 जुलाई: नौकरी से निकाले जाने के विरोध में पिछले 27 दिनों से क्रमिक अनशन कर रहे पीटीआई 2010 ने शनिवार को अंबाला के सांसद रतनलाल कटारिया के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। जिला पंचकूला, अंबाला व यमुनानगर के सभी पीटीआई सांसद के निवास स्थान एमडीसी पंचकूला गए और वहां सांसद की अनुपस्थिति में जिला उपाध्यक्ष दीपक शर्मा को ज्ञापन देते हुए अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठाए। हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघ, हसला, सर्व कर्मचारी संघ, सर्व कर्मचारी महासंघ, अध्यापक संघ, हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी, भारतीय किसान यूनियन ने पीटीआई के इस आंदोलन को पूर्ण रुप से समर्थन दिया है। इन सभी ने मिलकर 2010 में चयनित 1983 पीटीआई को 10 वर्ष की सेवाओं को समाप्त करने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया और इनके परिवारों की ओर देखते हुए इनको तुरंत प्रभाव से कार्य ग्रहण करने की अनुमति प्रदान करने की मांग की। उन्होंने बताया कि इन 1983 पीटीआई में 36 पीटीआई की मृत्यु हो चुकी है जिनके परिवार इस पर आश्रित हैं और 50 पीटीआई पूर्व सैनिक है। ऐसे में सरकार से अनुरोध है इस कोविड-19 की महामारी के दौर में ये परिवार सुरक्षित रहकर अपने जीवन निर्वाह कर सकें। कर्मचारी संगठनों ने 1983 पीटीआई 2010 की भर्ती की सच्चाई का तथ्य बताते हुए कहा कि पीटीआई भर्ती 2010 के लगे हुए किसी भी साथी के कागजों में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं पाई गई यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय का लिखित में है। 14 साल पहले सरकार द्वारा निकाली गई इस भर्ती में 70 फ़ीसदी पीटीआई 39 से 50 वर्ष की उम्र को पार कर चुके हैं। अब इस समय वे कहां जाएं। करीब 50 ऐसे पीटीआई हैं जो दूसरे महकमों से रिजाइन देकर इस भर्ती में सेलेक्ट हुए अब वह कहां जाए। करीब 40 पीटीआई की अलग-अलग घटनाओं से मृत्यु हो चुकी है। उनके परिवार का भरण पोषण उनकी एक्सग्रेशिया के स्कीम के तहत तनख्वाह पर हो रहा है वह क्या करेंगे। वे भर्ती में कैसे शामिल होंगे और टेस्ट कैसे देंगी उन साथियों कि विधवाएं। उन्होंने कहा कि महिला पीटीआई लगने के बाद विधवा हो चुकी हैं। आज वह सिर्फ इस नौकरी के बल पर अपने परिवार का गुजारा कर रही हैं, वह अपना मानसिक संतुलन किसी भी लिखित परीक्षा के लिए तैयार नहीं कर सकेंगी। वह कहां जाएं। Post navigation रविवार को इतिहास में पहली बार अंतरराष्ट्रीय सर्वखाप महिला कॉन्फ्रेंस का आयोजन डॉ रमेश पूनिया ने किया बड़ा खुलासा