– भूकम्प आने के बाद पांच -छह एकड़ लम्बी सर्पाकार आई है दरार
-पूर्व में भी भूकम्प आने के बाद खटोटी खुर्द में फटी थी धरती
-जमीन से अत्याधिक पानी के दौरान को भी लोग मानते है कारण

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल । हरियाणा के नारनौल के गांव खेड़ी से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। महेंद्रगढ़ के अन्तिम क्षोर पर बसे अटेली खंड के गांव खेड़ी-कांटी में करीब चार-पांच एकड लम्बी सर्पाकार जमीन फट गई। धटना  गत नौ जुलाई की बताई जा रही है। बकरी चराने वाले चरवाहों ने गांव के लोगो को बताया तब शुक्रवार को यह जानकारी सामने आई । अब लोग कौतूहल वश देखने आ रहे है। हालांकि महेंद्रगढ़ जिले में करीब एक दशक पहले भी इस प्रकार की घटना घटित हो चुकी है। अभी तक इसके कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है।

जानकारी के मुताबिक मंगलवार को नारनौल के खेड़ी कांटी गांव के सोमेश्वर मंदिर के पास रहस्यमयी परिस्थियों में करीब पांच-छह एकड़ की लंबाई से धरती फट गई। जिसको सबसे पहले एक चरवाह ने देखा। गांव में जाकर उसने अन्य लोगों को भी बताया। लोगों ने जैसे ही उस जगह को देखा तो लोग हैरान रह गए। गांव के सरपंच नरेन्द्र सिंह चौहान बताते कि चरवाहों के अनुसार मंगलवार से पूर्व यहां सब सामान्य था। इससे पूर्व सोमवार को भूकम्प आया था। मंगलवार सुबह जब वह बकरी चराने चरवाहे गये तब जमीन फटी हुई थी। उन्होंने गांव के लोगों को बताया तब यह बात धीरे धीरे मीडिया तक पहुंची। 

इधर गांव के ही कुछ लोगों का कहना था कि यहां पर पानी की पाइप दबाई गई है। जिस वजह से यह जमीन अंदर धंस गई है। इस संवाददाता ने धटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया तो पाया कि पाईप लाईन से इसका कोई सम्बन्ध नही है। जमीन सर्प की तरह आड़ी तिरक्षी फटी है एक दम सीधा नही है। फिर कही सामान्य है तो कही चौड़ी दरार है। बणी जिसमें जमीन फटी है वहां के उत्तर दिशा में खेत में एक पुराना ब्राह्मणों को कुंआ था जिसे वर्षो पूर्व दबा दिया गया था। इसमें आई दरारों में भी बरसाती पानी जाने से वह बैठ गया है। बणी के दक्षिण दिशा में खेत में भी दरार देखी जा सकती है। हालाँकि इस दरार की गहराई कही ज्यादा तो कही कम है इसी प्रकार चौड़ाई कही डेढ़ फुट तो कही अगूंठे जितनी है।

वहीं कुछ लोग इसे प्राकृतिक आपदा के रुप में देख रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि टयूबवैलों द्वारा जमीन से पानी के अत्याधिक दोहन भी एक मुख्य कारण हो सकता है। किसी प्रकार की गैस निकलने की बात देखने को नही मिली।

गौरतलब है कि लगभग एक दशक पूर्व खटोटी खुर्द की सीमा में डोहरकलां वाले रास्ते के सामने नारनौल सिंघाना मार्ग के नजदीक दोहान नदी तटबंध की तरफ भी जमीन फटने की बात हुई थी। यह घटना भी भूकम्प आने बाद घटी जिसमें एक एकड़ जमीन से अधिक दरार फटी थी। पानी के अत्याधिक दोहन के कारण आज यह डार्क जोन है और यहां पीने के पानी के लाले पड़े हुये है। 
दोनों घटना में एक ओर समानता देखने को मिली कि खटोटी खुर्द में फटी जमीन के पास दोहन नदी बांध है जिसमें बरसात के पानी का संग्रह किया जाता था और आज नही पानी भरा जाता है।  वही खेड़ी-कांटी में फटी जमीन के पास प्रसिद्ध सोमेश्वर सरोवर ( जोहड़ ) है जहां बरसाती पानी के साथ आजकल नहरी पानी डाला जाता है। उसे भी भूकम्प और जमीन से पानी के अत्याधिक दोहन से भी जोड़कर देखा गया था और इसे भी देखा जा रहा है। अभी तक इसके सही कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है।

शनिवार को गांव खेड़ी कांटी के सरपंच नरेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि इसकी सूचना प्रशासन को दे दी गई थी। शनिवार दोपहर बाद कनीना के उपमण्डल अधिकारी तथा अटेली तहसीलदार ने मौके का मुआयना किया।

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