भाजपा-जजपा सरकार बनी है, ‘कर्मचारी विरोधी संघ’. ‘महंगाई भत्ता’ काट कर्मचारियों-पेंशनरों को लगा रहे 3600 करोड़ का चूना

कोरोना महामारी के संकट से पिस रहे सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों का महंगाई भत्ता पिछली तारीखों से, यानि 1 जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021तक काटकर भाजपा-जजपा सरकार का कर्मचारी विरोधी चेहरा पूरी तरह बेनकाब हो गया है। 

हरियाणा सरकार ने 28 फरवरी, 2020 को ही, यानि 4 महीने पहले, 1,42,343 करोड़ का बजट पारित किया है। भाजपा-जजपा सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में 1,19,751 करोड़ का सरकारी खर्च का लेखा-जोखा भी दिखाया गया है। फिर बजट पेश करने के 100 दिन के अंदर ही खट्टर सरकार हरियाणा के कर्मचारियों व पेंशनर्स के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित कर रही है? 

हरियाणा में 3 लाख सरकारी कर्मचारी हैं व 1,29,000 पेंशनर्स। 6 जुलाई, 2020 को आदेश पारित कर खट्टर सरकार ने जनवरी 2020, जुलाई 2020 व जनवरी 2021 की महंगाई भत्ते की किश्तें पूर्णतया काट दी हैं । 2020-21 के बजट में कर्मचारियों की तनख्वाह व पेंशन के लिए 36,012करोड़ का प्रावधान किया गया है। महंगाई भत्ते की जनवरी 2020 की 4प्रतिशत की किश्त, जुलाई 2020 की 4 प्रतिशत की किश्त व जनवरी 2021की 4 प्रतिशत की किश्त भी लगाएं, तो कर्मचारियों की जेब से 3,600करोड़ रुपया काटने का सीधे-सीधे इंतजाम कर लिया गया है। 

एक सरकारी कर्मचारी को औसत बेसिक पे 30,000 रुपया मिलती है। इस बेसिक पे वाले सरकारी कर्मचारी की जेब से खट्टर सरकार ने 43,200 रु. निकालकर चोट पहुंचाई है। यही नहीं, अगर सरकारी कर्मचारी की बेसिक पे 50,000 रुपया मासिक है, तो महंगाई भत्ते की तीन किश्तों की कटौती से उसे 72,000 रु. का नुकसान पहुंचेगा।

एक तरफ तो खट्टर सरकार मंत्रियों के भत्ते बढ़ा रही है, मंत्रियों व अधिकारियों के लिए नई कारें खरीद रही है, मुख्यमंत्री व मंत्रियों की डिस्क्रीशनरी ग्रांट की एक फूटी कौड़ी को भी कम नहीं किया गया, मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री-मंत्री या विधायकों को मिलने वाले महंगाई भत्ते में एक पैसे की कटौती नहीं की गई, सरकार की फिज़ूलखर्ची लगातार जारी है, तो दूसरी ओर कोरोना व आर्थिक मंदी की मार सह रहे हरियाणा के कर्मचारियों व पेंशनरों का महंगाई भत्ता काटकर उन्हें मार मारी जा रही है।

यही नहीं, मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री व मंत्री तो सत्ता का आनंद ले रहे हैं, पर हरियाणा के कर्मचारियों की लीव ट्रैवल कंसेशन सुविधा भी खट्टर सरकार द्वारा काट दी गई है, जो एक महीने की तनख्वाह के बराबर होती है।

कर्मचारी विरोधी रवैया भाजपा का चाल चेहरा और चरित्र बन गया है। ढाई महीने पहले केंद्र की मोदी सरकार ने भी 113 लाख सैनिकों, कर्मचारियों व पेंशनरों का महंगाई भत्ता काट उन्हें सालाना 37,530 करोड़ की चोट पहुंचाई थी। अब खट्टर सरकार भी मोदी सरकार का अनुशरण करते हुए कर्मचारियों को चोट पहुंचा रही है। 

हमारी मांग है कि महंगाई भत्ता काटने का 6 जुलाई 2020 का तुगलकी फरमान वापस हो।

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