चंडीगढ़,5 जुलाई।सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मृतक पीटीआई के आश्रितों को मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता बंद करने के फैसले को शर्मनाक व अमानवीयता की परिकाष्ठा करार दिया है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तुरंत हस्तक्षेप करने और निदेशक मौलिक शिक्षा हरियाणा, पंचकूला के आदेशों को वापस लेने की मांग की है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा  व महासचिव सतीश सेठी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि निदेशक, मौलिक शिक्षा हरियाणा पंचकूला ने 27 मई,2020 को सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर मृतक पीटीआई के आश्रितों को मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता बंद करने के आदेश जारी किए हैं।

उन्होंने बताया कि निदेशक के आदेश मिलते ही जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों ने खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर मासिक वित्तीय सहायता बंद करने के आदेश दिए हैं और आखिरकार खंड शिक्षा अधिकारियों ने यह साहयता बंद कर दी है। जिसके कारण 2010-11 से 2019 के बीच अकाल मृत्यु का शिकार हुए करीब 39 पीटीआई के आश्रितों के सामने भारी आर्थिक संकट पैदा हो गया है। क्योंकि मृतक आश्रित के परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं है और विभाग ने मिलने वाली मासिक वित्तीय सहायता रोक दी है। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से बर्खास्त 1983 पीटीआई अपनी सेवाएं बहाली की मांग को लेकर भीषण गर्मी में सड़कों पर धक्के खा रहे हैं और सभी विधायकों व मंत्रियों से मिल चुके हैं। लेकिन सरकार इनकी सेवा बहाली करने के विकल्पों पर गंभीरता से गौर करने की बजाय सेवा के दौरान स्वर्ग सिधार गए पीटीआई के आश्रितों की मासिक वित्तीय सहायता बंद कर जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार को कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ-साथ बर्खास्त पीटीआई की सेवाएं बहाल करने के सभी विकल्पों पर गंभीरता से गौर करने की भी धोषणा करनी चाहिए थी। पूर्व चेयरमैन व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से बर्खास्त पीटीआई का गुस्सा शांत नहीं होगा।

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