अब फिर चली जाट नेता को प्रदेश प्रधान पद सौंपने की चर्चा, विपक्षी जाट नेताओं का मुकाबले में भाजपा लायेगी जाट चेहरा, बरोदा उप चुनाव जीतना बना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्र

ईश्वर धामु

चंडीगढ़।  हरियाणा में भाजपा का प्रदेश प्रधान का मुद्दा काफी उलझ गया है। दो दिन पहले ऐसा मान लिया गया था कि कें राज्य मंत्री कृष्णपाल गुज्जर को आलाकमान ने प्रदेश्स प्रधान बना दिया है और केवल घोषणा करनी ही बाकी है। परन्तु अचानक सब कुछ थम गया। पार्टी के बड़े नेताओं ने उनको नए पदभार की बधाई भी देनी शुरू कर दी। परन्तु न जाने क्या हुआ कि कुछ ही समय के बाद नेताओं ने ट्विटर से बधाई को हटा दिया।

जब इस पर चर्चाकारों ने ध्यान दिया तो बात समझ से परे जा चुकी थी। भाजपाईयों के साथ दूसरे लोगों ने भी कयास लगाने शुरू कर दिए। परन्तु भाजपा आलाकमान और पार्टी के शीर्ष नेताओं ने ख्ुपी साध ली। कोई भी इस बारे बोलने को तैयार नहीं है। पर जब गुज्जर को नाम एकदम से उभर कर आया तो चर्चाकारों ने यह कहना शुरू करर दिया कि भाजपा ने गैर जाट पर दांव लगा दिया है। इस बारे में दलीलें दी जाने लगी। लेकिन पार्टी में खामोशी के बाद सारे कयास धरे रह गए।

अब हरियाणा की राजनीति में जो बड़ा सवाल उभर कर सामने आ रहा है, वो यह है कि क्या भाजपा के पास विश्वसनीय और संगठन को मजबूत करने की क्षमता रखने वाला कोई नेता नही है? इस सवाल पर भाजपा के किसी भी नेता के पास कोई जबाव नहीं होता। इस प्रश्र के उत्तर में भाजपाई अपने नेताओं के नाम गिनवाने लग जाते हैं। पर जमीनी हकीकत यह है कि वर्तमान राजनैतिक हालातों में भाजपा को ऐसा प्रदेश प्रधान चाहिए, जो संगठन को नीचले स्तर पर मजबूती दे सके और राजनीतिक माहौल पर पकड़ बना सके। क्योकि अभी अक्तूबर में बरोदा का उप चुनाव है और भाजपा चाहेगी कि नए प्रदेश प्रधान की अगुवाई में पार्टीी यह उप चुनाव जीत सके।

अब बरोदा क्षेत्र जाट बाहुल्य क्षेत्र है। ओर इस सीट पर कभी इनेलो का कब्जा हुआ करता था। बाद में तीन चुनाव लगातार भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कारण कांग्रेस बरोदा सीट जीतती रही। अब इनेलो में रफ्तार पकड़ी है तो इससे मुकाबला तीकोना होने के आसार बनने लगे हैं। सूत्र बताते हैं कि भाजपा आलााकमान को यही समझया गया कि गैर जाट को प्रदेश प्रधान बनाने से बरोदा उप चुनाव में पाार्टी को नुकसान हो सकता है। दूसरे, भाजपा ने पहले से ही जाट मतदाताओं को तारगेट पर लिया हुआ है। पार्टी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, अभय चौटाला ओर दुष्यंत चौटाला के मुकाबले में जाट चेहरे को स्थापित करना भी चाह रही है। अब पार्टी के पास एक अवसर है कि पार्टी जाट चेहरे को आगे लाकर प्रदेश प्रधान बना दे। भाजपा से जुड़े सूत्र इसकी दबी जुबान से पुष्टी भी करते हैं।

इसी विचार का लाभ उठाने में वर्तमान के प्रदेश प्रधान सुभाष बराला भी लग गए है। वें दिल्ली दरबार में अपनी लायजनिंग करने में लग गए हैं कि उन्ही को एक मौका ओर दे दिया जाए। लेकिन चर्चाकार कहते हैं कि अब उनको मुख्यमंत्री का साथ नहीं मिल रहा है। ऐसे में जाट चेहरों में ओम प्रकाश धनखड़़ और कैप्टन अभिमन्यु का नाम सामने आता है। निसंदेह दोनो नेताओं की दिल्ली दरबार में मजबूत पकड़ है। पर अब बदले हालातों में दोनों के लिए यह एक तरह से अग्रि परीक्षा होगी। वैसे ओम प्रकाश धनखड़ के और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नाड्डा के सम्बंध जगजाहिर है। सम्भव है कि इन सम्बंधों का धनखड़ को लाभ मिल जाए।

पर एक बात नए हालातों में यह भी सामने आई है कि अब मुख्यमंत्री मनोहरलाल इस नए परिदृश्य से बाहर दिखाई दे रहे हैं। चर्चाकारों का कहना है कि अभी एक सप्ताह तक नए प्रदेश प्रधान के लिए पार्टी को इंतजार करना होगा।

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