क्राइम रिफाॅर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पुष्पक टाईम्स के प्रधान संपादक डाॅ. संदीप कटारिया ने बताया कि केजरीवाल कहता था कि कोविड के साथ जीना पड़ेगा। केजरीवाल जब ये कह रहे थे तब मैं क्या बोल रहा था कि कोविड के साथ जीना कभी नहीं सीख पाऊंगा। कोविड़ को हराना पड़ेगा पर बहुत से लोग चुप रहे क्यों चुप रहे क्योंकि केजरीवाल जो भाषा बोल रहा था माफ कीजिएगा वहीं भाषा संेट्रल गर्वमेंट बोल रही थी। कौन सा तरीका था कोविड के साथ जीने का अब जीयो दिल्ली में कोविड के साथ दिमाग ठिकाने आ गया। कल का बयान देख लिया कि पांच लाख हो जाएंगे। 1 लाख बेड चाहिए, 1.5 लाख बेड चाहिए। 6 हजार बेड में छीकें आ गई। मुख्यमंत्री दिल्ली का झूठ बोल रहा है। मुकद्मा होना चाहिए सुप्रीम कोर्ट को सीयोमोटो मीजियम देना चाहिए। 20 दिन पहले बोल रहा था 50 पचास पेशेंट को हम हेंडल करने के लिए तैयार है। 20 दिन बाद कह रहा है 3 हजार बेड और 250 वेंटिलेटर हैं बाकी लोग कहां है घर पर है। इस हिसाब से तो मैं वहां का मुख्यमंत्री होता तो कहता मैं 10 लाख पेशंेट को हेंडल करने के लिए तैयार हूं। 5 हजार को एडमिट कर लूंगा और 9.95 लाख को घर भेज दूंगा। घर में जाकर काढ़ा पियो और जब सांस फूलने लगेगी तो एबुलेंस को फोन करोगे तो पुलिस लेने आएगी नहीं फिर वीडियो बना-बना के वायरल करना। शर्म आनी चाहिए।

जिस देश की राजधानी में हमारा प्रधानमंत्री बैठा है। हमारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बैठा है। एक मुख्यमंत्री बैठा है, एक लेफ्टीनेंट गर्वनर बैठा है। वहां पे लोग वीडियो बना-बना के डाल रहे हैं कि हमारा दम घुट रहा है, हम मर रहे हैं, हमारे घर वाले मर रहे हैं, कोई जगह नहीं है हमारे एडमिट होने के लिए और हम लोग कह रहे हैं कि हमें कोविड के साथ जीना पड़ेगा। अब लोग कहेंगे फ्रेडास्ट्रक्चर वो राज्य है केंद्र का जिम्मा नहीं है। किसी का जिम्मा हो। जिसके घर में कोविड आया होता उसका बाप या उसका बच्चा या बीबी मर रही होती है और जब वो अस्पताल में फोन करता है तो उसको ये नहीं पता होता कि ये सेंट्रल गर्वमेंट का अस्पताल हैं या स्टेट गर्वमेंट का अस्पताल है। केजरीवाल के अंडर आता है या लेफ्टीनेंट गर्वनर के अंडर आता है। हम लोगों को शर्म आनी चाहिए।

कोविड 19 की पूरी लडाई पोलिटिकल ऐवीएशन को दिमाग में रखके लड़ी जा रही है।  केंद्रीय सरकार को समर्थन करने वालों की इतनी हिम्मत नहीं है कि केद्र सरकार की गलतियों पर उगली उठाए और बातमीस के केंद्र सरकार से सवाल पूछे। केजरीवाल को समर्थन करने वालों की इतनी हिम्मत और ओकात नहीं है कि वो सवाल उठाएं और बातमीस फेसबुक और ट्विटर पर, इन मीडिया पर इनसे सवाल पूछे। कि तुम लोगों ने तमाशा कर क्यों रखा है। तुम लोगांे ने देश को कोविड 19 की लड़ाई को लेके लावारिश बना दिया मानो या ना मानो किसकी कितनी गलती हैं आपस में तय करते रहना ठीक है।

अब वो बात तो दिमाग से निकाल दो कि कोविड के साथ जीना सीखना पडेगा। जिस शहर, जिस गांव, जिस स्टेट में कोविड ने पैर पसार लिए, पैर फैला दिए उस जगह कोविड के साथ जीना नहीं सीख पाओगे। कोविड से जब तक जीते रहो तब तक कोविड आपके और हमारे घर नहीं आया है। जिस दिन घर आ गया दिमाग ठिकाने कर देंगा। इतने बेड चाहिए, इतने पेशेंट चाहिए, इतने डाॅक्टर कहां से लाओंगे। जो डाॅक्टर हैं वो पहले ही थके हुए हैं। प्राइवेट नर्सिंग होम दुकान खोल के बेशर्म बैठे हैं। ठीक इतने डाॅक्टर कहां से लाओंगे।

मैं सरकार को सजेशन दे रहा हूं कि 4 ईयर के एमबीबीएस के बच्चे हैं उन्हें उठा लीजिए अभी से कोविड की लड़ाई 1 साल चलेगी। मान लीजिए 5 ईयर का कोर्स होता है। 4 ईयर जो पास कर गए हैं वो लगभग डाॅक्टर बन गए हैं। एक साल का स्पेलाइजेशन कोर्स उनका बचा हुआ है। ठीक बेसिक चीजें उनको सब आती है। कोविड की लड़ाई में हमको स्पेशलाइजेशन बीपी लेना हैं, इंजेक्शन लगाना, दवाई देना, वेंटिलेटर लगाना, पल्स देखना, टेंपरेचर देखना इससे ज्यादा जरूरत नहीं होती। जो लोग होम आइसोलेशन में हैं। उनको देखने के लिए घर में ऐंबुलेंस जा रही है। उनको चेकअप के लिए जाना, विजीट करना, लैब में डयूटी लगाना, इन 4 ईयर के बच्चों को उठाइए कोविड की लड़ाई में इनको शामिल कीजिए। 4 ईयर के बाद की इनकी पढ़ाई बे्रक करिए। एक झटके में हिन्दुस्तान में हजारों-हजारों डाॅक्टर खड़े हो जाएंगे। अलग-अलग इनकी डयूटी लगाइएं।

साल भर के बाद मतलब जून 2021 को ये अपने कोर्स को पूरा करने के लिए फिर से ज्वाइन करेंगे और जो 2020 में पास आउट होते वो 2022 में पास आउट होंगे। इस दौरान आप इनको जो भी नाम देना चाहो दीजिए। जो अच्छा स्टाइफन देना चाहएं वो दीजिए। जब 2021 में अपने जूनियर बैच को ज्वाइन करेंगे और 2022 में पास आउट होके निकलेंगे लेकिन उनको डीम्ड पास आउट 2021 का ही माना जाएगा। डीम्ड इस ए लींगल टर्म काॅन्सीटयूशनल ट्रम माना जाएगा और एकचुअल पास आउट 2022 माना जाएगा। और जब ये पास आउट होकर निकलेंगे तब उनके पास एक साल का देश सेवा का गर्वमेंट जाॅब का एक्सपीरियंस होगा। एक झटके में हम इस देश में हजारों-हजारों डाॅक्टर एक महीने की टेªनिंग के बाद खड़े कर सकते हैं। ना उनका ईयर वेस्ट होगा और ना उनका गेप ईयर लगेगा। उन्हें देश सेवा करने का मौका मिलेंगा। 

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