पंचकूला, 10 जून।  रेशनेलाइजेशन में अपनाई जाए व्यवहारिक नीति अपनाने, 1983 पीटीआई को पुन: कार्य ग्रहण करवाए जाने, भीषण गर्मी के चलते ग्रीष्मकालीन अवकाश किए जाने की मांग को लेकर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ जिला इकाई पंचकूला ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पंचकूला पर सांकेतिक धरना दिया। धरने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रधान सचिव स्कूली शिक्षा व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी निरुपमा कृष्णन को निदेशक मौलिक शिक्षा हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंपा।

धरने की अध्यक्षता करते हुए अध्यापक संघ के जिला प्रधान राजेंद्र पाल ने कहा कि शिक्षा विभाग के ज्वलंत मुद्दों को लेकर यह धरना दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान कोविड-19 महामारी की परिस्थितियों में विभाग व सरकार को चाहिए तो था कि वह संवेदनशील बने एवं अध्यापक जो अपनी जान जोखिम में डालकर पिछले 3 माह से भिन्न भिन्न प्रकार की सरकारी सेवाएं दे रहे हैं ,उनको कुछ राहत दी जाए। परंतु इसके विपरीत विभाग व सरकार पुरानी मांगों को लागू करना तो दूर नित रोज नए-नए तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं। जिनसे अध्यापकों को मानसिक,आर्थिक एवं शारीरिक परेशानी उत्पन्न हो रही है।

शिक्षा विभाग कक्षा 1 से 8 में पदों की रेशनेलाइजेशन कर रहा है। निश्चित तौर पर रेशनेलाइजेशन तो प्रतिवर्ष होनी चाहिए यहां छात्र संख्या के आधार पर अधिक पद है वहाँ से उठाकर जहां पदों की जरूरत है, वहां दिए जाएं। परंतु इस नीति के पैमाने क्या हो यह बहुत महत्व रखते हैं। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ मांग करता है कि रेशनेलाइजेशन करने अर्थात भिन्न-भिन्न विद्यालयों में भिन्न-भिन्न विषयों के पद स्वीकृत करने के पीछे बच्चों की बेहतर शिक्षा व शिक्षा की गुणवत्ता को मध्य नजर रखते हुए देश के भविष्य के लिए निवेश करना हो। ना की इधर उधर से पद संख्या घटाकर केवल पद कम करना व खर्चे में बचत करना ही उद्देश्य हो। संघ मांग करता है कि प्राथमिक कक्षाओं में अध्यापक छात्र अनुपात 1:25 हो, माध्यमिक कक्षाओं में अनुपात 1:30 हो, सभी विषयों के अलग-अलग अध्यापक के पद दिऐ जाएं। किन्हीं दो विषयों को मिलाया ना जाए। प्राथमिक विद्यालयों में प्री प्राइमरी कक्षा के बच्चों को छात्र संख्या में जोड़ा जाए। मिडिल मुख्याध्यापक को उच्च विद्यालय मुख्याध्यापक के समकक्ष पीरियड दिए जाएं एवं सभी स्कूलों में मिडिल मुख्य अध्यापक का पद स्वीकृत हो।

उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक कैलेंडर एंव मौसम के मिजाज के अनुसार प्रतिवर्ष 1 जून से 30 जून ग्रीष्मकालीन अवकाश किए जाते रहे हैं। यह सही है कि वर्तमान में कोविड-19 महामारी के चलते अनेक उथल-पुथल हुई है। परंतु गर्मी व सर्दी में प्रकृति का कोई बदलाव नहीं है।

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