भारत सारथी. गुरुग्राम। भ्रष्टाचारमुक्त, स्वच्छ एवं पारदर्शी सुशासन देने का ढिंढोरा पीटने वाली हरियाणा की मौजूदा भाजपा सरकार, गुरुग्राम के सैक्टर-12ए स्थित अरबों रूपए वाली बेशकीमती सरकारी भूमि के जगजाहिर संगीन घोटाले में तत्काल की जाने वाली अपेक्षित कार्यवाही को लेकर, ठीक उल्टी दिशा में चल रही है, जबकि यह घोटाला पुख्ता सबूतों सहित पिछले पांच वर्षों से सरकार तथा इसकी दोनों जांच एजेंसियों अर्थात गुप्तचर विभाग व राज्य चौकसी ब्यूरो के अच्छी तरह से संज्ञान में है।

फिर भी, खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार तथा आपराधिक किस्म के इस महाघोटाले के घोटालेबाज और इस षडय़ंत्र में शामिल सभी विभागीय अधिकारी बिना किसी प्रकार की कार्यवाही के आज भी पूरी तरह से आजाद घूम रहे हैं। इतना ही नहीं, इस गंभीर किस्म के आपराधिक षडय़ंत्र में संलिप्त कई अधिकारियों को तो पदोन्नत भी कर दिया गया है और कुछेक बाइज्जत सेवानिवृत हो चुके हैं। जांच एजेंसियों पर भारी दबाव बनाया जा रहा है कि वे किसी तरह से मामले को रफा-दफा करने का रास्ता निकालें।

स्वयं घोटालेबाजों की जुबानी, कि उनका (घोटालेबाजों का) कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है, क्योंकि उनके ऊपर कई वरिष्ठ प्रभावशाली भाजपाइयों का हाथ है। और यही कारण है कि त्वरित/तुरंत कार्यवाही योग्य इस मामले को पिछले पांच वर्षों से लगातार लटकाया जा रहा है। इससे भी अधिक, अब सरकार के आला अधिकारियों के उकसाने पर घोटालेबाजों ने ही उल्टे सरकार के खिलाफ एक एकदम आधारहीन और झूठा वाद (केस) उच्च न्यायालय में दायर कर दिया है, ताकि मामले में कार्यवाही न करने और लगातार इसे लटकाये रखने के लिए सरकार को बहाना मिल सके। यदि ऐसा नहीं है तो सरकार उच्च न्यायालय के सामने घोटाले से संबंधित सभी पुख्ता सबूत पेश करके त्वरित/तत्काल सुनवाई के आधार पर वाद (सीडब्ल्यूपी) को अभी तक खारिज क्यों नहीं करा रही है।

सबसे बड़ा और अहम सवाल यह है कि यदि ऐसा ही भाजपाइयों की सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त, स्वच्छ एवं पारदर्शी सुशासन है तो फिर यदि वे भ्रष्टाचारयुक्त, अस्वच्छ व अपारदर्शी कुशासन पर चल पड़े तो स्थिति कितनी भयावह हो जाएगी!

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