तालमेल कमेटी ने लम्बित मांगों का परिवहन मंत्री को सौंपा ज्ञापन
तालमेल कमेटी ने की आन्दोलन की घोषणा

चंडीगढ़।  हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के वरिष्ठ नेता इन्द्र सिंह बधाना, दलबीर किरमारा, वीरेंद्र सिंह धनखड़ प्रदीप बुरा व दिनेश हुड्डा ने सयुंक्त ब्यान में बताया गुरूवार को परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के निमन्त्रण पर हरियाणा भवन में लगभग 2 घंटे हुई बातचीत में स्टेज कैरिज स्कीम 2016 के खिलाफ तर्कों सहित लिखित सुझाव व एतराज देकर परिवहन विभाग के निजीकरण का डटकर विरोध किया।

उन्होंने कहा कोरोना महामारी की आड़ में विभाग का निजीकरण कर रही हैं सरकार। कर्मचारी नेताओं ने परिवहन मंत्री के समक्ष तालमेल कमेटी का पक्ष प्रस्तुत करते हुए जोर देकर कहा प्रदेश की जनता, छात्र-छात्राओं, जनप्रतिनिधियों व रोडवेज कर्मचारियों की परिवहन विभाग के निजीकरण की मांग नहीं फिर भी सरकार प्राइवेट बसों को रूट परमिट देकर विभाग को बर्बाद करने पर क्यों अड़ी हुई है। उन्होंने कहा प्राइवेट बसें सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है,एक प्राइवेट बस प्रति माह सरकार को एकमुश्त 14 हजार रुपये टैक्स दे रही है जबकि हरियाणा रोड़वेज की एक बस प्रति माह 40 हजार से 60 हजार रुपये टैक्स दे रही है।

उन्होंने बताया स्टेज कैरिज स्कीम के तहत मुख्य मार्गों पर परमिट देना मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन है।कर्मचारी नेताओं ने जोर देकर कहा परिवहन विभाग के निजीकरण व प्राइवेट बसें चलने से जनता को बेहतर परिवहन सेवा नहीं मिलेगी व स्थाई रोजगार के अवसर समाप्त हो जाएंगे। परिवहन मंत्री व उच्च अधिकारियों द्वारा स्टेज कैरिज स्कीम 2016 के तहत प्राइवेट बसों को रूट परमिट देने बारे कर्मचारियों की राय मांगने पर तालमेल कमेटी नेताओं ने कहा अचानक आनन-फानन में स्टेज कैरिज स्कीम 2016 को लागू करने की सरकार की क्या मजबूरी हो गई।

एक तरफ तो देश व प्रदेश की जनता कोरोना महामारी के संकट से जूझ रही है, दूसरी तरफ सरकार जल्द बाजी में स्टेज कैरिज स्कीम लागू करके निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करके विभाग को तहस-नहस करने पर तुली हुई है। कर्मचारी नेताओं ने कहा सरकार रोड़वेज कर्मचारियों के विरोध के चलते स्टेज कैरिज स्कीम को 2017 में रद्द कर चुकी हैं, अब फिर सरकार  इस स्कीम को लागू करके वादाखिलाफी कर रही हैं। तालमेल कमेटी नेताओं ने कहा परिवहन मंत्री के साथ 6 जनवरी को हुई बैठक में मानी गई मांगों को लागू ना करके सरकार कर्मचारियों को आन्दोलन के लिए मजबूर कर रही हैं।

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