सरकार के फैंसले के खिलाफ निजी स्कूलों ने दी हाई कोर्ट में चुनौती
दूसरी तरफ अभिभावकों ने भी मामले में ली हाई कोर्ट की शरण
सरकार को नोटिस जारी चार जून तक मांगा जवाब

चंडीगढ़: 03 जून।कोरोना संक्रमण में लागू किए गए लाकडाउन के दौरान प्रदेश में सभी शिक्षण संस्थाएं बंद पड़ी हैं और बच्चे घर पर रहने को मजबूर हैं, ऐसे में हरियाणा सरकार ने निजी स्कूलों को कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान केवल मासिक ट्यूशन फीस लेने व फीस ना बढाने  के आदेश जारी किए थे, लेकिन बहुत सारे निजी स्कूलों ने आॅनलाइन पढ़ाई कराने के नाम पर अभिभावकों से न केवल दाखिला फीस वसूलने व बल्कि बढ़ी हुई फीस लेने के की इजाजत लेने के लिए सरकार के आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने विभिन्न स्कूलों की याचिका पर संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार जून तक जवाब मांगा था ।

अब मामले ने नया मौड़ आ गया जब अभिभावकों के समूह ने भी सामाजिक संस्था सबका मंगल हो के बैनर के तले निजी स्कूलों के हाई कोर्ट में दायर किए गए केस में एडवोकेट प्रदीप रापडिया के माध्यम से हस्तक्षेप याचिका दायर करके अभिभावकों का पक्ष सुनने की मांग की है। सोमवार को सबका मंगल हो के बैनर के तले बनी हरियाणा स्कूल पेरेंट्स वेलफेयर लीग के संयोजक डॉक्टर मनोज शर्मा की तरफ से एडवोकेट प्रदीप रापडिया ने हस्तक्षेप याचिका की तुरंत सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में उल्लेख किया और चार जून को सुनवाई के लिए संगठन को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया।

अभिभावकों की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान लौक डाउन होने के कारण अभिभावकों की आय का कोई जरिया नहीं बचा है। बहुत सारे अभिभावक या तो बेरोजगार हो गए हैं या आय बहुत कम बची है। याचिका में ये भी गया है कि सभी निजी शिक्षण संस्थाएं गैर-लाभ के इरादे से स्थापित की गई हैं, लेकिन निजी स्कूलों के पास करोड़ों रूपए का रिजर्व फण्ड है । ऐसे में निजी स्कूल निजी स्कूलों द्वारा बढ़ी हुई व ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेना गरीब अभिभावकों के साथ नाइंसाफी है। याचिका में हरियाणा सरकार के उन आदेशों का भी हवाला दिया गया है जिनके अनुसार प्रत्येक निजी स्कूल को हर साल आॅडिट बैलेंस सीट निदेशालय के समक्ष जमा कराने के आदेश दिए हुए हैं।

इन आदेशों में निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि निर्धारित अवधि में आॅडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराने पर बढ़ी हुई फीस की इजाजत लेने के मकसद से स्कूल द्वारा जमा करवाए गए फार्म को अधूरा माना जाएगा और बढ़ी हुई फीस अमान्य होगी । लेकिन अधिकांश निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग के समक्ष आॅडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराई है। इसके बगैर कोई भी निजी स्कूल फीस बढ़ोतरी या बच्चों पर कोई भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं डाल सकता। उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान सभी शिक्षण संस्थाएं बंद पड़ी हैं। बच्चे भी घर बैठे हैं, इन बच्चों ने करीब तीन माह से निजी स्कूलों की किसी भी वस्तु या विद्यालय भवन का कोई इस्तेमाल ही नहीं किया है। ऐसे में इन बच्चों पर फीस जमा कराने और बढ़ोत्तरी का दबाव बनाना नाजायज है। सरकार भी यह बात स्वीकार चुकी है, लेकिन अब निजी स्कूल न्यायालय की शरण में गए हैं। सबका मंगल हो के बैनर के तले बनी हरियाणा स्कूल पेरेंट्स वेलफेयर लीग निजी स्कूलों के इस केस में कोर्ट का सहयोग करते हुए अभिभावकों का पक्ष से अवगत कराते हुए न्यायालय में काफी अहम तथ्य उपलब्ध कराएगा।

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