पूर्व शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने विडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये ब्रह्मादेश के लोगों से विचार सांझा किए भिवानी, 3 जून। पूर्व उप-मुख्यमंत्री डा. मंगलसैन एक राष्ट्रवादी थे। जिन्होंने अपने जीवन में अनुशासन पर विशेष ध्यान दिया। युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। डा. मंगलसेन हिंदु धर्म, राष्ट्रवाद व भारतीय संस्कृति के प्रति सजग प्रहरी थे।हरियाणा में भाजपा आज जिस मुकाम पर है उसके पीछे डॉ मंगल सेन का संघर्ष है ! उक्त शब्द डा. मंगल सेन के शिष्य एवं राजनैतिक उत्तराधिकारी पूर्व शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने विडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये ब्रह्मादेश के लोगों से विचार सांझा करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि डा. मंगलसेन ने जीवन भर नि:स्वार्थ भाव से काम किया उन्होंने हर सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं में सक्रिय भूमिका निभाई। चाहे वह हिंदी आंदोलन हो या कश्मीर मुददा। हरियाणा के अधिकारों की रक्षा और पाकिस्तान और चीन के हमलों के दौरान का समय हो ! अलग अलग आन्दोलनो में हिस्सा लेते हुये डॉ मंगल सेन 15 बार जेल गये लेकिन जेल की सलाखें भी उनकी आवाज को नही दबा पाई थी। रामबिलास शर्मा ने कहा कि सेन ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में अपना जीवन शुरू किया था और हरियाणा में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सेन 1977 से 1979 तक हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री रहे थे। रामबिलास शर्मा ने कहा कि उनके पास खुद उनके साथ काम करने का मौका था और उन्होंने बहुत उनसे कुछ सीखा। रामबिलास शर्मा ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डा. मंगल सेन का परिवार बर्मा पहुंचा। पहले कुछ दिन श्वेबो शहर में रहे फिर बाद में मांडले आकर स्थाई हुए। मांडले में एक भवन के द्वितीय मंजिल पर उनका परिवार रहने लगा। जेल से रिहा होने के बाद डा. मंगल सेन को एक बार अपने माता पिता से मिलने की ईच्छा हुई। परम पूज्य गुरूजी से अनुमति पाकर वह बर्मा पहुंचे। पुराने सभी साथियों से मिले। क्रियाशील डा. मंगल सिंह यहां पर भी सक्रिय रहे। संघ की कहानियां एवं कश्मीर में स्वयं सेवकों द्वारा सम्पादित किये गए रोमांचक घटनाओं तथा आपबीती घटनाओं को मित्रों को बताते हुए संगठन की आवश्यकता को समझाया। मित्रों के आग्रह पर उन्होंने बर्मा में रहकर संघ कार्य करने का निश्चय किया। नए नए युवाओं से निरंतर मिलते रहे। विनोदी स्वभाव , गीत भजन आदि गाने में पारंगत मिलनसार व्यक्तित्व और विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में युवक आकर्षित हो जाते थे। रामबिलास शर्मा ने बताया कि डा. मंगल सेन जब भारत पहुंचे थे तो उस समय भारत के राजनीति में एक अधूरापन सा बना हुआ था। देशहित को ध्यान में रखकर काम करने जैसी विचारधारा वाली कोई राजनीतिक दल नहीं था। सत्तारूढ कांग्रेस अपनी सत्ता बचाने के लिए कुछ भी करने के लिए तत्पर रहती थी। इस अधूरेपन की पूर्ति करने के लिए संघ के अनुमोदन से डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में भारतीय जन संघ की स्थापना की गई। संघ की योजना से कुछ प्रमुख कार्यकर्ता राजकीय क्षेत्र में काम करने के लिए भारतीय जनसंघ में प्रवेश कर रहे थे। डा. मंगल सेन को भी संघ की योजना से जनसंघ में भेजा गया। डा. मंगल सेन राजनीति में प्रवेश कर भारतीय जनसंघ का कार्यभार संभालने लगे। जब राजनीति में प्रवेश किया था उस समय उनकी आयु मात्र 24 वर्ष की थी। रोहतक को एक नवनियुक्त नेता मिला जो प्रखर राष्ट्रव्यादी कठोर परिश्रम, सादगी भरा जीवन तथा स्वभाव से मृदुल था। बहुत थोड़े समय में ही वे आम लोगों के मन में बस गए। जनता उन्हें अपना नेता मानने लगी। जनता की समस्या सुनने के लिए उनके कार्यालय के दरवाजे हमेशा खुले रहते थे। इसके पास कोई भी कभी भी आ सकता था। प्रत्येक समय हर किसी के लिए उपलब्ध रहना इनका स्वभाव था। इस अवसर पर बजरंग लाल शर्मा संघ चालक अखिल अशोक सह संघ चालक, हिंदु बौद्ध समन्यवय साऊथ इस्ट एशिया के प्रचारक रामनिवास, एस प्रतिपन कार्यवाह, वी मोहन रेडढी सह कार्यवाह, रामलाल, जगमोहन सह प्रचारक, कन्हैया लाल व्यवस्था प्रमुख, सुदेश नायक सह व्यवस्था प्रमुख, तरूण कांति पॉल सेवा प्रमुख, श्रवण मोरे संघ चालक, अशोक कुमार वर्मा, सुनील कुमार कार्यवाह मध्य विभाग, किरणपाल प्रचारक, पंच देव सिंह सचिव, नंदलाल अध्यक्ष, सोनापति, शेखर कुमार कार्यालय कन्सट्रेक्शन इंचार्ज, नीता वर्मा संचाल हिंदु सेविका समिति उपस्थित थे। Post navigation हरियाणा शिक्षा बोर्ड: 1 जुलाई से होंगी दसवीं व बारहवीं की परीक्षाएं 52 नेशनल स्कूली स्पर्धाएं चैम्पियनशीप हुई रदद,डीईओ व डीईईओ की खेल शक्तियां छीनी