देश-विदेश के अनेक इतिहासकारों ने लिया भाग, हिसार से कवि पृथ्वी सिंह बेनीवाल ने काव्य रचना के माध्यम से मातेश्वरी का किया गुणगान

हांसी ,1 जून । मनमोहन शर्मा 

न्याय और धर्म परायणता की प्रतिमूर्ति के रूप में विख्यात देवी अहिल्याबाई होल्कर की 295वी जयंती के शुभ अवसर पर उनके प्रकृति प्रेमी पहलू को उजागर करने के लिए ‘देवी अहिल्याबाई होल्कर: एक महान प्रकृति उपासिका का दर्शन’ विषय पर वेबीनार आयोजित किया गया। परिचर्चा में देश और विदेश से अनेकों इतिहासकार, प्रकृति प्रेमी, मालवा साम्राज्य के जानकार तथा शिक्षाविदों ने भाग लेकर देवी से जुड़े हुए इतिहास के पन्नों से खोजकर नवीनतम तथ्यों को पटल पर रखा। 

ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने बेविनार का शुभारंभ अहिल्याबाई के प्रकृति के साथ आत्मीय संबंधों की प्रेम कहानी को भूमिका के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर ने प्रकृति प्रेम की मिसाल पेश की। उन्होंने हजारों सरोवर, ताल तलैया, बाबरी, घाट आदि के वनवाने वाले प्रेरणादायक कार्य किए। मालवा साम्राज्य ही नहीं पूरे देश में धार्मिक स्थलों पर जाकर उनके पुनर्निर्माण करते हुए वहां तक पहुंचने के लिए नए मार्गों का निर्माण कराया।

सद्विचार विचार मंच के अध्यक्ष केके दीक्षित ने देवी अहिल्याबाई होल्कर के बारे बताते हुए कहा कि उन्होंने हाथ से सूत कातकर साड़ियां हैदराबाद के कारीगरों को बुलाकर पूरे महेश्वर के घर घर में बनवाने का कुटीर कार्य कराया, जो कि प्राकृतिक रंगों से ही रंगी दी जाती थी। 

इतिहासकार अजय पाल सिंह होल्कर ने उनके 28 वर्ष के शासनकाल को मालवा का सतयुग कहते हुए कहा कि शिव की अनन्य भक्त होने के कारण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने इंदौर से हटकर अपनी राजधानी शिप्रा नदी के किनारे महेश्वर में स्थापित की और वहां से नदी के संरक्षण का बड़ा बीड़ा उठाकर गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी सहित बहुत सी नदियों के संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य किए।वेबीनार का संचालन डॉ अरुण कुमार सैनी ने किया। राष्ट्र कवि पृथ्वी सिंह बेनीवाल ने काव्य रचना के माध्यम से मातेश्वरी का गुणगान किया। 

डा. पूनम शर्मा ने अहिल्याबाई के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें उनके द्वारा स्थापित प्रकृति की रक्षा में समर्पित हो जाना चाहिए। प्रसार भारती में अधिकारी रहे डॉक्टर हरिसिंह पाल ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की न्याय प्रियता और कुशल प्रशासक के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि उनका तो पूरा जीवन ही प्रकृति और शिव की प्रति समर्पित रहा। पूर्व मंत्री सतीश पाल ने कहा कि सतयुग में विष्णु, द्वापर में राम, त्रेता में कृष्ण तथा कलयुग में अहिल्याबाई होल्कर ने अवतार लेकर लोक कल्याण किया, तभी तो अहिल्याबाई को लोकमाता का दर्जा मिला।परिचर्चा में देश के विभिन्न राज्यों के साथ साथ कनाडा, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, भूटान, सऊदी अरब आदि कई देशों के प्रतिनिधियों के साथ भी संवाद हुआ।

 वेबिनार में हेमलता सिसोदिया, डॉ नीलम शर्मा, ग्रीन गुरु नाम से प्रसिद्ध अनिल सिंह, बीकेएस पाल, डा मनोज कुमार, आरसी पाल, राहुल सिंह, डा ममता पांडे, रजनीश, डॉक्टर अतुल वैद्य, अजय त्यागी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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