क्या सरकार अपने आपमें ही उलझी है ? क्या इस प्रकार ही आपातकाल से निपटा जाएगा.

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम में भ्रष्टाचार चरम पर है ऐसा गुरुग्राम के लोगों का कहना या सोचना है। अगर इसमें मैं यह कहूं कि भाजपा के पदाधिकारी भी नाम न लेने की शर्त पर इस बात को स्वीकार करते हैं। गुरुग्राम निगम तो हर तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है ही लेकिन इसे सरकार देखती क्यों नहीं।

राजनैतिक विश्लेषकों की राय के आधार पर यदि निष्कर्ष निकाला जाए तो वह यह निकलता है कि हरियाणा सरकार है कहां? सब अपने-अपने कुर्सी और सम्मान बचाने में लगे हुए हैं। ऐसी हालत में जनता के सरोकार के मुद्दों पर सरकार का ध्यान ही नहीं है और इसीलिए बार-बार सरकार के आदेश बदले भी जाते हैं।

मुख्यमंत्री 75+ में से 40 सीट लेने के बाद बैकफुट में हैं परंतु मोदी जी के आशीर्वाद से पद पुन: पा गए, उनसे पार्टी में किसी के विरोध की चिंता रही नहीं परंतु अंदर से भाजपा के पुराने दिग्गज मुख्यमंत्री के साथ खड़े नजर नहीं आते और न ही ऐसा लगता कि मुख्यमंत्री को भी उनकी कोई चिंता है, क्योंकि लगता है कि मुख्यमंत्री को यह विश्वास है कि दुष्यंत इतना कमजोर हो गया है कि वह अब समर्थन वापस लेने की सोच भी नहीं सकता और मेरी कुर्सी पर कोई खतरा आ नहीं पाएगा लेकिन फिर भी जिस प्रकार के फैसले मुख्यमंत्री द्वारा लिए जा रहे हैं, विश्लेषकों का कहना है कि वह मानसिक परिपक्वता नहीं दिखा रहे।

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपना जैकपॉट लाकर उपमुख्यमंत्री तो बन गए परंतु जनता में अपनी लोकप्रियता कायम नहीं रख पाए। उनके पीछे अनेक कारण हैं। प्रथम और बड़ा तो यही है कि वह भाजपा का विरोध करके जीते थे। उसके पश्चात सरकार में आकर वह अपना घोषणा पत्र कतई भी लागू नहीं करा पाए और वर्तमान में शराब के मुद्दे पर तो उनका नाम बहुत चर्चा में चल रहा है। इसी प्रकार इनकी अपनी टिकट पर जीते रामकुमार गौतम बहुत कुछ समझा जाते हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि उपमुख्यमंत्री भी अपना अस्तित्व बचाने की चिंता में हैं।

उधर गृहमंत्री, स्वास्थ मंत्री अनिल विज हैं। वर्तमान भाजपा के निर्वाचित एमएलए हैं जो विधायकों में शायद सबसे वरिष्ठ हैं और उनके पास गृह मंत्रालय, स्वास्थ मंत्रालय और निकाय मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं, जिनसे उनकी स्थिति भी सरकार में मुख्यमंत्री के समक्ष नहीं तो नंबर दो तो हो ही जाती है लेकिन वर्तमान में देखा यह जा रहा है कि इनके विभागों में मुख्यमंत्री बराबर दखल देते रहते हैं और शराब की एसआइटी में तो ये बातें खुलकर सामने आ ही रही हैं।

इस समय हरियाणा वैश्विक महामारी आपातकाल से गुजर रहा है और इस समय में स्वास्थ विभाग और गृह विभाग का ही सबसे अधिक कार्य व जिम्मेदारी हैं परंतु विज साहब कहीं-कहीं अपनी चमक जरूर दिखाते हैं वरना मुख्यमंत्री और दुष्यंत ही समाचारों में पाए जाते हैं।

स्थिति को देखकर राजनैतिक विश्लेषकों का यह कहना कि सरकार अपने आपमें ही उलझी है तो हम यह कह सकते हैं कि वह अपना अस्तित्व बचाएं या गुरुग्राम निगम का भ्रष्टाचार मिटाएं।

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