नौकरियों के नतीजे लटकाने-ज्वाईनिंग न देने-पेपर लीक मामलों को रफा दफा करने में महारत हासिल. युवाओं की नौकरियों पर श्वेतपत्र जारी करे खट्टर सरकार : रणदीप सिंह सुरजेवाला खट्टर सरकार हरियाणा के इतिहास में सबसे ‘युवा विरोधी’ सरकार साबित हुई है। रोजगार के नाम पर लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करना भाजपा-जजपा सरकार का सबसे बड़ा शौक साबित हो रहा है। खट्टर सरकार ने हरियाणा के युवाओं का भविष्य अंधकारमय बना दिया है। 6 सालों तक नौकरियों के परिणाम लटकाने, परिणाम आने के बावजूद युवाओं को ज्वाईनिंग न देने और पेपर लीक के सभी मामलों को रफा दफा करने में खट्टर सरकार को विशेष महारत हासिल है। कोरोना की इस महामारी के समय युवाओं पर चौतरफा मार पड़ी है। खट्टर सरकार ने नई नौकरी निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया। पिछले 6 वर्षों से जो परिणाम लंबित पड़े हैं, उन्हें सिरे से खारिज किया जा रहा है। कच्चे कर्मचारियों को सरकारी महकमों से निकालने की मुहिम चला रखी है तथा निजी क्षेत्र में व्यापार व सब कंपनियां ठप्प होने के कारण हजारों युवा नौकरी से हाथ धो बैठे हैं। सरकार के इसी युवा विरोधी रवैये का कच्चा चिट्ठा उजागर करने हम आपके बीच हाजिर हैं। 1. 10 लाख युवाओं का भविष्य अधर में – HSSC ने पिछले 5.5 साल से नो-कैटेगरी की 1538 पोस्ट का परिणाम लटकाया – अब 6 साल के बाद नतीजे निकालने की बजाय सब कुछ खारिज करने की तैयारी साल 2015 में खट्टर सरकार ने व्यापक स्तर पर सरकारी नौकरियां देने की कवायद कर खूब वाहवाही लूटी। भाजपा-जजपा सरकार की निर्दयता का आलम यह है कि 5.5 साल बीत जाने के बाद भी, लिखित परीक्षा के बावजूद भी, इंटरव्यू होने के बावजूद भी 10 लाख के करीब हरियाणा के युवाओं को अधर में लटका उनके भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है। इन पोस्टों का विवरण निम्नलिखित है:- Post NameDate of AdvertisementNumber of PostsDate of ExamStatusTGT (English)09/20151035—PendingExcise Inspector11/20153509/12/2017PendingTaxation Inspector11/201517130/07/2017PendingSocial & Panchayat Supervisor07/20156116/07/2017PendingFood & Supply Inspector07/20154823/07/2017PendingStation Supervisor07/20153818/12/2016PendingForester12/201511229/10/2017PendingClerk (Zila Sainik Board)20152601/12/2015PendingJunior Coach (Cycling, Zila Sainik Board)20151201/12/2015Pending उपरोक्त पदों का परिणाम निकालने की बजाय सरकार इन इंटरव्यू व सलेक्शन प्रक्रिया को ही खारिज कर रही है (संलग्नक A1 एवं A2)। 10 लाख युवाओं के भविष्य को 5.5 साल तक लटकाए रखने के लिए क्या मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर जिम्मेदार नहीं? इसके अलावा भी हजारों अन्य पदों के परिणाम जानबूझकर नहीं निकाले गए। 2. सरकारी पदों पर नियुक्तियों का नतीजा आने के बावजूद षडयंत्र के तहत नियुक्तिपत्र नहीं दे रही खट्टर सरकार। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 523 पीजीटी संस्कृत अध्यापक हैं, जिनका विज्ञापन अप्रैल, 2015 में निकाला व परिणाम 23 फरवरी, 2017 को आया। पिछले 2.5 वर्षों से ये पीजीटी संस्कृत अध्यापक दर दर की ठोकरें खा रहे हैं, पर मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर का गैरजिम्मेदाराना व युवाओं की उपेक्षा वाला व्यवहार देखिए कि इन्हें सलेक्शन हो जाने के बावजूद आज तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला। इन संस्कृत अध्यापकों का कसूर क्या है, कि खट्टर सरकार ने इनके जीवन के 5.5 बहुमूल्य साल नष्ट कर दिए? 3. कोरोना महामारी के बीचों बीच पिछले दो महीने में 1500 से अधिक कच्चे कर्मचारियों की नौकरी बर्खास्त मुख्यमंत्री सार्वजनिक तौर से निजी क्षेत्र को उपदेश दे रहे हैं कि वो अपने कर्मियों को नौकरी से न निकालें। पर स्वयं कच्चे कर्मचारियों की नौकरियां बर्खास्त कर गरीब के पेट पर लात मार रहे हैं। o हरियाणा टूरिज़्म कॉर्पोरेशन ने 13 मई, 2020 को 340 आउटसोर्स्ड कर्मचारियों की नौकरी बर्खास्त कर दी। o इसी प्रकार कुरुक्षेत्र डेवलपमेंट बोर्ड में काम कर रहे 62 गरीब सफाई कर्मचारियों को 14 मई, 2020 को नौकरी से निकाल दिया गया। o रोहतक नगर निगम ने डी ग्रुप के 74 कर्मचारियों को 1 अप्रैल, 2020 से बर्खास्त कर दिया। o हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद ने 21 अप्रैल, 2020 को 1 अप्रैल, 2020 से 400 के करीब वोकेशनल ट्रेनर्स को बर्खास्त कर दिया, जो स्टॉप गैप्स/सब्सिट्यूट अरेंजमेंट पर नौकरी कर रहे थे। o हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम ने 60 डीसी रेट कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। o सोनिपत नगर निगम ने 26 अप्रैल, 2020 को 180 कच्चे सफाई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। o हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने पंचकुला मुख्यालय व एडमिनिस्ट्रेटर, फरीदाबाद के दफ्तर से 37 डेटा एंट्री ऑपरेटर व अन्य ठेका कर्मियों को निकाल दिया। o इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी, मीरपुर, रेवाड़ी ने 30 अप्रैल, 2020 को 83 सहायक प्रोफेसर (रिसोर्स पर्सन) को नौकरी से निकाल दिया। इसी प्रकार हैल्थ विभाग व अन्य विभागों के सैकड़ों कर्मियों को भी नौकरी से निकाल दिया। 4. पेपरलीक मामलों को रफा दफा कर किसी दोषी को सजा नहीं। हरियाणा में 5.5 सालों में दर्जनों पेपर लीक हो चुके हैं व प्रदेश पेपर लीक व नकल माफियाओं का अड्डा बन गया है। खट्टर सरकार ने एचटेट परीक्षा, क्लर्क परीक्षा, एक्साईज़ इंस्पैक्टरी परीक्षा, एचसीएस जुडिशियल परीक्षा, कंडक्टर परीक्षा, पटवारी परीक्षा, नायब तहसीलदार परीक्षा व आईटीआई इंस्पैक्टर परीक्षा सहित अनेकों परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हुआ, पर किसी को आज तक सजा नहीं मिली। आईटीआई इंस्ट्रक्टर परीक्षा में 5 दिसंबर, 2019 को पेपर माफिया पकड़ा गया व चंडीगढ़ में एफआईआर दर्ज हुई, पर इसकी जाँच पूरी हुए व किसी को सजा मिले बगैर ही खट्टर सरकार 3206 आईटीआई इंस्ट्रक्टर की भर्ती प्रक्रिया को खारिज नहीं कर रही। एफआईआर की कॉपी संलग्नक A3 है। यह अपनेआप में सरकार की बदनीयति का सबूत है। यही नहीं, हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के दसवीं और बारहवीं के फरवरी-मार्च 2020 में नौ पेपर लीक हुए। पर न किसी की जिम्मेदारी निश्चित हुई, न ही पेपर बेचने वाले माफिया को पकड़ा गया और न ही मुख्यमंत्री ने कोई जवाब दिया। हरियाणा के युवाओं की मांग: 1. HSSC व HPSC तथा सभी विभागों में जो नौकरियां एडवरटाईज़ की गई हैं या फिर जिनके परीक्षा परिणाम व इंटरव्यू लंबित हैं, सभी का नतीजा 30 दिन में निकालकर नियुक्ति दी जाए। 2. पीजीटी संस्कृत जैसे सभी पद जिनका परिणाम आ चुका है, उनको 15 दिन के अंदर नियुक्ति पत्र दिया जाए। 3. 1500 से अधिक हटाए गए कच्चे कर्मचारियों को फौरन बहाल किया जाए तथा कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक लगाई जाए। 4. मुख्यमंत्री नौकरियों पर श्वेत पत्र जारी कर यह बताएं कि विभाग वाईज़ कितने कर्मचारियों की भर्ती पिछले 5.5 वर्ष में हुई। मुख्यमंत्री विभाग वाईज़ ब्यौरा दें कि कितने लाख पद रिक्त पड़े हैं व अगले कितने दिनों में भाजपा जजपा सरकार उन पदों को भरकर युवाओं को रोजगार देगी। 5. सभी पेपरलीक मामलों की 90 दिन में जाँच हो, सजा मिले तथा यह सामने आए कि खर्ची और पर्ची का धंधा करने वाले नकल व पेपर लीक माफिया के तार सरकार में किससे जुड़े हैं। Post navigation कलाकारों को काम नहीं अधिकारियों पर करोड़ों खर्च प्रवासी मजदूरों को सिर्फ बार्डर पर छोड़ने के आदेश जारी करे, परिवहन विभाग। दोदवा