-तीसरी पुस्तक पर काम जारी, -लोगों को किया करोना के प्रति जागरूक

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। लॉकडाउन में समय गुजारने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं। जहां कनीना खंड के अर्श गांव गोला के पूर्व सरपंच एवं साहित्यकार राधेश्याम गोमला ने लाकडाउन का सदुपयोग अपने ही अंदाज से किया। पर्यावरण संरक्षण, साहित्य सजृन के साथ-साथ जनमानस में करोना महामारी के प्रति सजगता पैदा की। उन्होंने लोगों को कोरोनावायरस से बचने तरीके समझाए वही दो पुस्तकें भी लिख डाली, ओर तीसरी पुस्तक अभी पूर्ण होने में कुछ समय लगेगा।

 उन्होंने पेड़ पौधों की सुरक्षा करते हुए अपने लेखन कक्ष के पास एक सुंदर वाटिका का भी निर्माण कर डाला है। राधेश्याम गोमला ने बताया कि उनकी वाटिका में चीकू ,शहतूत, अमरूद, आम, आमला, केला, करौंदा, चमेली, अमरूद आदि के पौधे लगे हुए हैं जो बड़े हो गए हैं। फल भी लगने लग गए हैं। राधेश्याम जब भी लिखते लिखते बोर हो जाते हैं तो इन पौधों को खाद-पानी देकर अपना समय बिताते हैं। बाकी अधिकांश समय अपने लेखन कुटिया में बिताते हैं।

उल्लेखनीय के राधेश्याम गोमला ने अपने घर के प्रांगण में एक कुटिया बना रखी है जिसे लेखन कुटिया नाम दिया गया है। जब लेखन का कार्य करते हैं तो इसी कुटिया में बैठकर लेखन कार्य करते हैं। कुटिया के समक्ष सुंदर वाटिका का निर्माण किया है जिसमें फूल फल लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि भीष्म प्रतिज्ञा सांग के रूप में पुस्तकें अभी उनकी आत्मकथा जारी है। जल्द ही पूर्ण होने जा रही है। उन्होंने बताया कि घर में रहकर कुछ कर गुजरने की इच्छा थी जिसमें सफल हुए हैं। उल्लेखनीय है कि अब तक आधा दर्जन पुस्तकें आ चुकी है और सरपंच साहित्यकार, कलाकार, मोटीवेटर तथा पूर्व पंचायत के सरपंचों को पेंशन जारी करवाने वाले जुझारू व्यक्ति के रूप में भी जाने जाते हैं।

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