-कमलेश भारतीय कोरोना के लाॅकडाउन के दिन मैं संगीत , नृत्य और एक्सरसाइज़ के साथ अपनी पालतू दस बिल्लियों को रोटी पानी देकर काट रही हूं बड़े मज़े में । यह कहना है दिल्ली की रंगकर्मी और दादा लखमीचंद की टीम से जुड़ी ऋतु सिंह का जो मूल रूप से तो यूपी के बुलंदशहर की निवासी हैं और दिल्ली के जीसस एंड मेरी काॅलेज से ग्रेजुएशन की । आजकल दिल्ली रहती हैं और प्रसिद्ध रंगकर्मी अरविंद गौड़ के अस्मिता थियेटर ग्रुप के साथ जुड़ी हुई हैं । -आपने बताया कि दस बिल्लियों पाल रखी हैं । क्या शादी हो चुकी है ?-बिल्कुल । हुजूर । मेरे पति मनोज राणा ऑटोमोबाइल इंजीनियर हैं और मेरा सत्रह वर्षीय बेटा तरंग जमा दो में पढ़ता है और मैं घर में पाली बिल्लियों के अलावा आसपास के निराश्रित जानवरों को भी कुछ न कुछ खिला रही हूं ताकि ये भी बचे रहें । मेरी एक बिल्ली पिछले दिनों मर गयी । अब नौ बिल्लियों की सेवा कर रही हूं । -अरविंद गौड़ के अस्भिता थियेटर ग्रुप के साथ कब से जुड़ीं ?-दो साल के आसपास हुए हैं । -पहले क्या करती थीं?-आप हैरान हो जायेंगे । पहले मैं फर्नीचर व इंटीरियर डेकोरेटर थी । इंटीरियर डिजाइनर भी । अठारह साल । यह काम किया सलमान खान की मम्मी सलमा की पसंद का फर्नीचर भी बना कर दिया । क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी के घर का फर्नीचर डिजाइन किया । कितनी ऐसी हस्तियों का जो चर्चित हैं फर्नीचर या घर डिजाइन किया । -यह शौक कैसे ?-बाहर काम करने का मज़ा । दिल्ली में बाकायदा सीखा यह काम । बुकमार्क कम्पनी से । ग्रीन पार्क में है यह कम्पनी अभी । -फिर और क्या काम किया ?-एयरटेल की एजेंसी चलाई दो साल । -फिर थियेटर में कैसे ?-सोचा कुछ नया किया जाए इस बार । -क्या क्या किया अस्मिता थियेटर ग्रुप से जुड़ कर ?-अमृतसर आ गया है कहानी पर । मुंशी प्रेमचंद की कहानियों पर । पाश की कविताओं पर । असगर वजाहत और रवीन्द्रनाथ के नाटकों पर । यही कर पाई हूं । -प्रिय एक्ट्रेस?-प्रियंका चोपड़ा । दादा लखमीचंद में क्या किया है ?-फिल्म मेकिंग में एसिस्ट किया है । फोटोग्राफी तक में भी । -क्या क्या शौक हैं ?-म्यूजिक, डांस , एक्सरसाइज़ के साथ ड्राइविंग और सिंगिंग भी । -प्रिय गायिका कौन ?-लता मंगेशकर जी । -कैसी कोशिश लगी यशपाल शर्मा की दादा लखमिचंद बनाने की ?-डायरेक्शन में कमाल हैं यशपाल । एक एक कलाकार को वह करके दिखाते हैं कि मुझे ऐसा रोल चाहिए । खुद तो अच्छे एक्टर हैं ही । -और क्या लाॅकडाउन में ?-घर के कभी खत्म न होने वाले काम करती रहती हूं । Post navigation हरियाणवी फिल्म्ज के ऑफर मिल रहे हैं : अनिरूद्ध दवे कोई पत्थर से न मारे मेरे राणा को