·       महामारी के मुश्किल वक़्त में किसानों के साथ नए-नए प्रयोग ना करे सरकार- हुड्डा. ·       किसान पर बंदिशें लगाने की बजाए, उसकी फसल की ख़रीद, उठान और पेमेंट पर ध्यान दे सरकार- हुड्डा. ·       सरकार कर्ज़ लेती है तो उसके ज़रिए किसान, मध्यम और निम्न वर्ग को दी जाए राहत- हुड्डा. ·       ग़रीब, दिहाड़ीदार, दुकानदार और छोटे कामगार का 3 महीने तक 300 यूनिट बिजली बिल होना चाहिए माफ़- हुड्डा

11 मई चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए कई मसलों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कोरोना से लड़ाई, लॉकडाउन में ढील, धान बुआई पर पाबंदी, शराब घोटाले की जांच और मध्यम व निम्न तबके को आर्थिक राहत देने समेत कई मुद्दों पर पत्रकारों से संवाद किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वो महामारी के इस नाजुक दौर में विवाद नहीं संवाद के ज़रिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने सरकार के धान बुआई पर पाबंदी लगाने के फ़ैसले का पुरज़ोर विरोध किया और कहा कि इस फ़ैसले को फौरन वापिस लेना चाहिए। भूजल की चिंता करना ज़रूरी है लेकिन इसके लिए सरकार को अपनी तरफ से भी क़दम उठाने चाहिए। उसे हरियाणा की सबसे बड़ी दादूपुर नलवी वॉटर रीचार्ज कैनाल परियोजना को फिर से शुरू करना चाहिए। एसवाईएल के पानी को लाने के लिए कोशिशें करनी चाहिए। हांसी-बुटाना नहर में पानी लाने की योजना बनानी चाहिए। झील खुदवाने से लेकर ड्रिप सिस्टम से सिंचाई पर ज़ोर देना चाहिए। ये सब करने की बजाए, ऐन बुआई से पहले कई ब्लॉक में धान पर पाबंदी लगाना कतई ग़लत है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार को धान से ज़्यादा मुनाफ़े वाली वैकल्पिक फ़सलों के बारे में किसानों को बताना चाहिए। वैकल्पिक फसल उगाने से किसान को होने वाले घाटे की भरपाई भावांतर योजना के तहत करनी चाहिए। महज़ 7 हज़ार रुपये प्रति एकड़ के ऐलान से किसान धान छोड़ने के लिए राज़ी नहीं है। क्योंकि इससे पहले भी सरकार ने ‘जल ही जीवन है’ योजना के तहत जो 2 हज़ार रुपये प्रोत्साहन राशि और बीमा का वादा किया था, वो भी पूरा नहीं किया। किसी किसान को ना प्रोत्साहन राशि मिली और ना ही बीमा का मुआवज़ा। उन्होंने कहा सरकार  डी एस आर पद्धति को प्रोत्साहन दे ।और जो पांच हज़ार प्रोत्साहन राशि देने का वायदा था जो पीछे नहीं मिला,  वो देना सुनिश्चित करे । हुड्डा ने कहा कि बहरहाल किसानों पर एकाएक फ़ैसला थोपने की बजाए, सरकार उन्हें वैकल्पिक फसलों पर विचार करने के लिए वक्त दे। महामारी के दौर में उनपर ऐसे फ़ैसले थोपना ग़लत है। इनके बारे में हालात सामान्य होने के बाद विचार किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि आज सरकार का सारा ज़ोर गेहूं और सरसों की ख़रीद, मंडियों से उठान और फसल की पेमेंट पर होना चाहिए। क्योंकि हरियाणा इस मामले में पंजाब से पीछे है। जहां पंजाब में अबतक 95 फीसदी गेहूं ख़रीद और  साथ- साथ किसानों की पेमेंट भी हो रही है। वहीं हरियाणा ने 130 लाख मीट्रिक टन के अनुमानित उत्पादन में से सिर्फ 57 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही ख़रीदी है। उठान सिर्फ 29 लाख मीट्रिक टन का हुआ है और ज्यादातर किसानों की पेमेंट पेंडिंग है। किसानों की पूरी फसल ख़रीदने की बजाए, इस बार टारगेट ही 75 लाख मीट्रिक टन ख़रीद का रखा है, जोकि पिछली बार की 94 लाख मीट्रिक टन ख़रीद के मुक़ाबले कम है।

हरियाणा पर बढ़ते कर्ज़ के बारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एकबार फिर चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में प्रदेश पर 2 लाख करोड़ का कर्ज़ हो चुका है। लेकिन सरकार अब भी कह रही है कि हमें और कर्ज़ लेने की ज़रूरत है। हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार कर्ज़ ले रही है तो उससे ग़रीब, किसान, मजदूर, दिहाड़ीदार, दुकानदार, छोटे व्यापारी और मध्यम वर्ग को आर्थिक राहत देनी चाहिए। निम्न, मध्यम वर्ग और छोटे दुकानदारों के 3 महीने तक बिजली बिल में 300 यूनिट माफ़ होनी चाहिए। लघु, कुटीर और मध्यम क्षेत्र के उद्योगों के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान होना चाहिए। बीजेपी सरकार  पहले ही डीजल पट्रोल पर हमारे कार्यकाल 9.24 % वैट को बढ़ाकर 17.4% कर चुकी थी अब इस नाज़ुक दौर में  सरकार को पेट्रोल-डीज़ल, फल-सब्ज़ी पर टैक्स लगाकर और बस किराया बढ़ाकर आम आदमी पर मार  की बजाए, सक्षम लोगो पर या शराब सिगरेट आदि पर टैक्स लगाना चाहिए।  

शराब घोटाले पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सिर्फ़ एक गोदाम की बात नहीं है। बल्कि एसआईटी को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि ठेके बंद होते हुए भी पूरे हरियाणा में शराब की बिक्री कैसे हो रही थी? कौन इस अवैध बिक्री को अंजाम दे रहा था? उन लोगों को किसका संरक्षण प्राप्त था?

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