चंडीगढ़, 9 मई- हरियाणा सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन) के बचाव और सुरक्षा हेतु दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों को हरियाणा के कार्यालयों में उपस्थित होने से छूट दी गई है। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि नेत्रहीन और अन्य विकलांग कर्मचारी ‘स्पर्श’ पर पूरी तरह से निर्भर होते हैं, इसे देखते हुए ऐसे दिव्यांग कर्मचारियों की कोरोनो वायरस बीमारी की चपेट में आने की अधिक संभावना है। यह न तो उनके हित में है और न ही अन्य कर्मचारियों के हित में। कार्यालयों में नेत्रहीन और अन्य विकलांग कर्मचारियों भले ही वे आवश्यक सेवाओं में काम कर रहे हों, को अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने पर जोर न दिया जाए। प्रवक्ता ने बताया कि सरकार द्वारा इस मामले पर विचार किया गया है और यह पाया गया है कि यदि नेत्रहीन और विकलांग कर्मचारियों, जिसमें स्वास्थ्य, नगर निगम, पुलिस जैसी आवश्यक सेवाओं में काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं, को कोरोनो वायरस के प्रसार के मद्देनजर कार्यालयों में उपस्थित होने से छूट नहीं दी जाती है तो वे न केवल खुद को जोखिम में डालेंगे, बल्कि सह-कर्मियों के लिए भी संभावित रूप से हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों को कार्यालयों में उपस्थिति से छूट दी गई है। विभागाध्यक्षों / कार्यालयों के प्रमुखों को सलाह दी जाती है कि कर्मचारियों का रोस्टर बनाते समय जो कर्मचारी गंभीर रूप से विकलांग हैं उन्हें ड्यूटी के लिए नहीं बुलाया जाए। इस संबंध में मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडल आयुक्तों, उपायुक्तों, बोर्ड / निगमों के सभी प्रबंध निदेशकों / मुख्य प्रशासकों, सभी विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़, को एक पत्र जारी कर इन दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने के लिए कहा गया है। Post navigation पिछले पाँच वर्षों से हरियाणा में उद्योग मैत्री माहौल बनाया है : मनोहर लाल ग्रुप सी: उपस्थिति पर 33 प्रतिशत का प्रतिबंध जूनियर इंजीनियर पर लागू नहीं