सुखना लेक क्लब में हुए साहित्यिक सत्रों में किताबों और विषयों पर रखे गए विचार, साहित्य प्रेमियों ने भी उपस्थिति दर्ज करवाई।

चार पुस्तकों का हुआ विमोचन (जिसमें से तीन पंजाबी भाषा की)

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

चंडीगढ़ 24 नवंबर : लिट फेस्ट (सीएलएफ) – लिटराटी 2024 के 12वें संस्करण की शुरुआत शनिवार को खूबसूरत सुखना लेक क्लब में हुई। राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने फेस्टिवल का उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि “चंडीगढ़ सिर्फ़ ‘द सिटी ब्यूटीफुल’ही नहीं है, बल्कि ये ‘द सिटी ऑफ इंटलेक्चुअल्स’ भी है, जिसमें उर्दू, पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी के लेखकों के आशियाने हैं।

लिटराटी 2024 के पहले दिन चार नई किताबों का विमोचन भी हुआ। तीन पंजाबी पुस्तकें जिसमें डॉ. संजीव कुमारी की पर्यावरणीय सतसई ‘सुलगदी धरती’ सरबजीत सिंह मदान की ‘उडारी’ व डॉ. मिश्रा की किताब ‘लम्हों की शबनम’ का पंजाबी अनुवाद भी लॉन्च किया गया। इसके साथ ही सहरत रलहन की ‘ दी दीवा हू डाई टू लिव’ पुस्तक का विमोचन हुआ।
डॉ. संजीव कुमारी अब तक चौदह किताबें लिख चुकी है, जो हिंदी, हरियाणवी व राजस्थानी भाषा में लिखी गई हैं। ‘सुलगदी धरती’ उनकी पहली पंजाबी पुस्तक है जो पर्यावरण को समर्पित है। इसमें 711 पर्यावरण संबंधित स्लोगन लिखे गए हैं। इससे पहले हिंदी में झड़ते पत्ते व हरियाणवी में तिसाया जोहड़ नामक सतसई लिख चुकी हैं। झड़ते पत्ते पुस्तक हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा 2018 में श्रेष्ठ कृति द्वारा नवाजी गई है तथा तिसाया जोहड़ पुस्तक हरियाणा साहित्य अकादमी के अनुदान द्वारा प्रकाशित हुई है। इस अवसर पर साहित्य प्रेमियों ने डॉ. संजीव को बधाई प्रेषित की है।

पहले दिन की साहित्यिक गतिविधियों में लेखक डॉ. थॉमस मैथ्यू, अवॉर्ड विजेता लेखिका और इतिहासकार किश्वर देसाई, क्रिमसन स्प्रिंग के लेखक नवतेज सरना, युवा कवि रणधीर उप्पल, वाहिद खडियाल और जस्सी संघा, पिंकी आनंद प्रसिद्ध वकील और सौदामिनी शर्मा आदि मौजूद रहे। जनरल इयान कार्डोज़ो ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि “ कार्टूज़ साब: ए सोल्जर्स स्टोरी’ में एक सैनिक की प्रतिकूल परिस्थितियों में लगातार आगे बढ़ने की कहानी लोगों को बताने के लिए लिखी है। जनरल सैयद अता हसनैन ने ऑपरेशन पवन के बारे में भी बात की। डॉ. मिश्रा ने दर्शकों को जितना संभव हो सके उतना पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। साहित्य प्रेमियों ने भी उनके सुझाव को गहनता से सुना और इस पर अमल का भरोसा भी दिया। डॉ. मिश्रा ने युवा महिलाओं को जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। वहां उपस्थित सभी लोगों ने साहित्यिक गतिविधियों का भरपूर आनंद लिया।

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