स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी ने की खंड शिक्षा अधिकारियों से कार्रवाई की रिपोर्ट तलब-निजी स्कूलों में पाठ्यक्रम पुस्तकों व यूनिफार्म मनमर्जी से लगाए जाने की दी थी शिकायत, खंड शिक्षा अधिकारियों को दिए थे जांच के आदेश

भिवानी, 09 मई। जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से निजी स्कूलों में लगाई जा रही पाठ्यक्रम पुस्तकों और यूनिफार्म संबंधी शिकायत पर कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने 29 अप्रैल को जिला उपायुक्त व जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत दी थी कि जिले भर में चल रहे मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में मनमर्जी से पाठ्य पुस्तकें, कार्य पुस्तकें, अभ्यास पुस्तकें, प्रेक्टिकल पुस्तकें मनमर्जी से लागू की जा रही हैं। जबकि हरियाणा सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय ने शिक्षा सत्र 2019-20 में लागू किए गए पाठ्यक्रम को ही नए शिक्षा सत्र 2020-21 में जारी रखे जाने के आदेश दिए हुए हैं। यूनिफार्म में भी कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।

लेकिन इन आदेशों के बावजूद भी कुछ निजी स्कूलों ने विद्यालयों में निजी प्रकाशकों के साथ सांठगांठ कर प्राइवेट पुस्तकें लागू कर दी और इसका बोझ अनावश्यक रूप से अभिभावकों की जेब पर डाल दिया। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी के चलते शिक्षा निदेशालय ने अभिभावकों को आर्थिक परेशानी से बचाने के लिए ये आदेश दिए थे। लेकिन निजी स्कूल इस संकट की घड़ी में भी अभिभावकों की जेब पर डाका डालने में जुटे हैं। संगठन ने ऐसे स्कूलों के नाम शिकायत में दिए थे और कार्रवाई की भी मांग की थी। इसी के साथ जिले के सभी निजी स्कूलों में पाठ्यक्रम की जांच कराए जाने की भी मांग उठाई थी। संगठन की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर निजी स्कूलों में पाठ्य पुस्तकें, कार्य पुस्तकें, अभ्यास पुस्तकें, प्रेक्टिकल पुस्तकें व यूनिफार्म की जांच कर इसकी रिपोर्ट जल्द कार्यालय को भिजवाने के आदेश दिए हैं। 

पुस्तक माफियाओं से निजी स्कूलों की सांठगांठ, प्रति बच्चा 500 से एक हजार तक तय किया कमीशन.

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि निजी स्कूलों ने निर्धारित दुकानों से ही अभिभावकों को पाठ्यक्रम की पुस्तकें खरीद करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। संगठन के समक्ष काफी तथ्य हैं जिसमें निजी स्कूलों ने पुस्तक विक्रेताओं से प्रति बच्चा 500 से एक हजार तक कमीशन तय किया जाता है। इसी बच्चों की नोटबुक भी एक ही कंपनी की निर्धारित की रही हैं, इस घालमेल की भी शिक्षा विभाग द्वारा जांच कराए जाने की मांग की गई है।