दिल्ली, 15 मार्च, 2025:- सेवा, समर्पण और एकत्व के पावन संदेश को साकार करते हुए, 25वें बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट (रजत जयंती) का भव्य समापन संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा (हरियाणा) में संपन्न हुआ। 26 फरवरी 2025 से प्रारंभ हुई इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में देशभर से 24 सर्वश्रेष्ठ टीमों ने भाग लिया, जिनके बीच खेल कौशल और आध्यात्मिक मूल्यों का अद्भुत संगम देखने को मिला।

इस प्रतियोगिता के सेमीफाइनल चरण में भटिंडा, बरेली, आगरा और चंडीगढ़ की टीमों ने शानदार खेल प्रदर्शन कर अंतिम चार में स्थान बनाया। 13 मार्च 2025 के फाइनल मुकाबले में आगरा और भटिंडा की टीमों के बीच जबरदस्त खेल भावना देखने को मिली जिसमें आगरा टीम ने अपनी कड़ी मेहनत, अनुशासन और खेल कौशल से प्रतियोगिता का अंतिम मुकाबला जीतकर विजयश्री प्राप्त की। मैन आफ द सिरिज का खिताब श्री दीपक राजपूत (आगरा) को मिला। इस टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के मनोबल को ऊंचा बनाए रखने के लिए उन्हें प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

संपूर्ण टूर्नामेंट सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन निर्देशानुसार, आदरणीय श्री जोगिंदर सुखीजा जी (सचिव, संत निरंकारी मंडल) के नेतृत्व में आयोजित किया गया। उन्होंने इस अवसर पर बताया कि यह टूर्नामेंट मात्र प्रतिस्पर्धा का मंच नहीं था अपितु खिलाड़ियों के लिए आपसी सौहाद्र्र, प्रेम और एकत्व को जीवंत रूप में अभिव्यक्त करने का माध्यम बना।

टूर्नामेंट के भव्य समापन समारोह में मुख्य अतिथि, आदरणीय श्री एस. एल. गर्ग (कनवीनर केन्द्रीय योजना सलाहकार बोर्ड) ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान कर सम्मानित किया। इस गरिमामयी अवसर पर संत निरंकारी मंडल की प्रधान, आदरणीय श्रीमती राजकुमारी जी भी उपस्थित रहीं। अपने प्रेरणादायक संबोधन में उन्होंने कहा कि खेल केवल जीत और हार तक सीमित नहीं होते, बल्कि यह आत्म-विकास, अनुशासन, टीम भावना और सामूहिक समर्पण का प्रतीक हैं।

यह टूर्नामेंट केवल एक खेल आयोजन नहीं था, बल्कि यह सतगुरु माता जी की शिक्षाओं से प्रेरित एक आध्यात्मिक अभियान था, जिसमें प्रेम, सौहार्द और विश्वबंधुत्व का उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ। खिलाड़ियों ने मैदान पर केवल जीतने के लिए नहीं, बल्कि मानवता के उच्चतम मूल्यों को अपनाने और प्रसारित करने के उद्देश्य से हिस्सा लिया।

संत निरंकारी मिशन के इस अनुकरणीय प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं, बल्कि प्रेम, सेवा और एकत्व को जीने का सशक्त मंच भी बन सकता है।

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