नई दिल्ली, चंडीगढ़, रेवाड़ी 9 फरवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में तीसरी बार कांग्रेस को मिली करारी हार पर पार्टी नेतृत्व को गंभीर आत्ममंथन की सलाह दी है।

विद्रोही ने कहा कि चुनाव में हार-जीत लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन कांग्रेस न तो जीतकर पार्टी को मजबूत करने के लिए कोई ठोस बदलाव करती है और न ही हार से सबक लेकर अपनी खामियों को सुधारने के आवश्यक कदम उठाती है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस ने आत्मसुधार और लड़ने की इच्छाशक्ति को त्याग दिया है और केवल भाग्य के भरोसे खुद को छोड़ दिया है। यही कारण है कि विगत दस वर्षों से कांग्रेस ने अपनी रणनीति और कार्यशैली में कोई ठोस परिवर्तन नहीं किया है।

विद्रोही ने कहा कि जिस प्रकार मोदी और भाजपा जनता को लुभाने के लिए रोज नए-नए जुमले गढ़ते हैं, उसी प्रकार कांग्रेस के नेता भी हार से सबक लेने की बजाय परिवर्तन की केवल जुमलेबाजी करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हरियाणा और ओडिशा हैं।

हरियाणा और ओडिशा में कांग्रेस की निष्क्रियता

हरियाणा विधानसभा चुनाव के चार महीने बाद भी कांग्रेस बिना संगठन के ही चल रही है। न तो कांग्रेस ने संगठन निर्माण की दिशा में कोई गंभीर प्रयास किया है और न ही 37 विधायकों के बावजूद अब तक नेता प्रतिपक्ष की घोषणा की गई है। कांग्रेस ने हरियाणा में अपनी जीत को हार में बदलने के लिए कोई जवाबदेही तय नहीं की और न ही कोई सार्थक कदम उठाया है।

ओडिशा में भी कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद संगठन को निलंबित तो कर दिया, लेकिन नौ महीने बीतने के बावजूद नया संगठन नहीं बनाया। विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस का यह रवैया आत्मघाती है और यह दर्शाता है कि पार्टी के नेताओं में जमीनी स्तर पर संघर्ष करने और पार्टी को मजबूत करने की इच्छाशक्ति ही नहीं बची है।

चुनावी रणनीति में घोर लापरवाही

विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व और नेता चुनावों के दौरान महज छह महीने पहले सक्रिय होते हैं। साढ़े चार साल तक कांग्रेस नेता निष्क्रिय रहते हैं, न तो जनता के बीच जाते हैं और न ही किसी ठोस मुद्दे पर काम करते हैं। चुनाव से छह महीने पहले जागते भी हैं तो तीन महीने केवल सुस्ती में गुजारते हैं। फिर अचानक चुनाव से ठीक तीन महीने पहले सक्रिय होते हैं, टिकट के लिए आपस में लड़ते हैं और किसी तरह टिकट पाकर 20 दिनों में चुनाव जीतने का सपना देखने लगते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी कार्यशैली और सोच रखने वाली कांग्रेस पार्टी मोदी-भाजपा-संघ जैसे संगठित और रणनीतिक रूप से सशक्त विरोधियों का मुकाबला करने में पूरी तरह असमर्थ है। भाजपा और संघ लगातार पांच वर्षों तक चुनावी तैयारियों में जुटे रहते हैं, जबकि कांग्रेस दिग्भ्रमित नेतृत्व के चलते निर्णयहीनता की स्थिति में रहती है और किसी भी मुद्दे पर स्पष्ट स्टैंड नहीं ले पाती।

विद्रोही ने कांग्रेस नेतृत्व से अपील की कि यदि पार्टी सच में भाजपा का मुकाबला करना चाहती है तो उसे अपनी निष्क्रियता छोड़कर संगठन को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर काम करने की ठोस रणनीति बनानी होगी। अन्यथा, कांग्रेस का भविष्य और अधिक संकट में पड़ सकता है।

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