भ्रष्टाचारी लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई

भ्रष्टाचार: एक खतरनाक बीज जो जीवन को तबाह करता है

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म चंडीपूजा का एक मशहूर गीत “कोई लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई” आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है। यह गीत हर शासकीय कर्मचारी, युवा वर्ग और भ्रष्टाचार के रास्ते पर चलने वाले लोगों के लिए एक चेतावनी है। क्योंकि भ्रष्टाचार एक ऐसा बीज है, जो व्यक्ति के शरीर में पनपकर उसके वर्तमान और रिटायरमेंट के बाद तक उसे अपनी चपेट में ले लेता है। यह बीज अंततः व्यक्ति को नर्क में धकेल देता है और उसे अपने कर्मों का ब्याज चुकाना पड़ता है।

भ्रष्टाचार का खतरनाक जाल

हम में से कई लोग भ्रष्टाचार को एक अवसर के रूप में देखते हैं, जिससे कुछ अतिरिक्त सुख-सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं। लेकिन यह एक खतरनाक झांसा होता है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति के जीवन को अपने गिरफ्त में ले लेता है। भ्रष्टाचारी अपने शिकार को वर्तमान में सुख-सुविधाओं का आनंद देता है, लेकिन रिटायरमेंट के बाद और उसके परिवार को जीवन भर की कठिनाइयों और विवादों से जूझने के लिए छोड़ देता है। यह हालात हम अक्सर अपने आसपास देखते हैं। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के सेवानिवृत्त कांस्टेबल सौरभ शर्मा के बैंक खातों में 30 लाख रुपये की राशि फ्रीज की है, साथ ही 12 लाख रुपये की नकदी और अन्य संपत्ति भी जब्त की है। ऐसे उदाहरण दिन-प्रतिदिन मीडिया में आते रहते हैं, जो यह बताते हैं कि भ्रष्टाचार के परिणाम कितने खतरनाक हो सकते हैं।

समाज में सुधार की आवश्यकता

हम सभी जानते हैं कि समाज में सुधार की जिम्मेदारी समाज के प्रत्येक व्यक्ति पर होती है। अगर हम भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ना चाहते हैं, तो हमें समाज में सही शिक्षाएं और मूल्य स्थापित करने होंगे। इसके लिए सबसे जरूरी कदम है शिक्षा। विद्यार्थियों को शुरू से ही ईमानदारी, निष्ठा और सही रास्ते पर चलने की शिक्षा देनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए और समाज के हर वर्ग को इसके खतरों से अवगत कराना चाहिए। यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है, बल्कि प्रत्येक माता-पिता, शिक्षक और समाज के प्रमुख व्यक्तियों की है।

केंद्र सरकार की शिकायत निवारण प्रणाली

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें प्रमुख है केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस)। यह एक ऑनलाइन पोर्टल है, जो नागरिकों को सरकारी विभागों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके माध्यम से लोग अपनी शिकायतों की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं और असंतुष्ट होने पर अपील भी कर सकते हैं। इस प्रणाली के माध्यम से सरकार ने शिकायत निवारण प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के प्रयास किए हैं।

भ्रष्टाचार के उदाहरण और चेतावनियाँ

भ्रष्टाचार के कई उदाहरण हमारे आसपास होते हैं, जैसे कि सरकारी अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेना, दुकानदारों द्वारा मूल्य में गड़बड़ी करना, चिकित्सकों द्वारा गलत ऑपरेशन करना, आदि। इन सभी गतिविधियों में व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाता है और अंत में यह उसका अपना नुकसान बन जाता है। भ्रष्टाचार केवल वर्तमान जीवन ही नहीं, बल्कि भविष्य को भी नष्ट करता है।

निष्कर्ष

हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाएं और समाज में ईमानदारी और नैतिकता को बढ़ावा दें। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस कुरीति का मुकाबला करना होगा, ताकि हम एक भ्रष्टाचार-मुक्त राष्ट्र की ओर अग्रसर हो सकें।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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