अमेरिकी बर्थ राइट सिटीजनशिप कानून भंग!

अवैध प्रवासियों, घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बाहर करने का स्वतः संज्ञान अमेरिका की तर्ज़ पर भारत को भी लेना समय की मांग

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

अमेरिका में शपथ ग्रहण के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने जो निर्णायक कदम उठाए, उन्होंने दुनिया भर को चौंका दिया। ट्रंप ने अपने पहले दिन ही 100 से अधिक महत्वपूर्ण फैसले किए, जिनमें बाईडेन प्रशासन के 78 फ़ैसलों को तुरंत भंग कर दिया। इन फैसलों में टिकटॉक पर बैन पर रोक, कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ, और विश्व स्वास्थ्य संगठन व पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने की घोषणा प्रमुख थे। सबसे महत्वपूर्ण निर्णय अवैध प्रवासियों की एंट्री को रोकने और बर्थ राइट सिटीजनशिप (जन्मस्थली नागरिकता) कानून को समाप्त करने के थे, जो भारतीय और अन्य देशों के नागरिकों पर असर डाल सकते हैं।

ट्रंप का जन्मस्थली नागरिकता कानून पर निर्णय

अमेरिका में 150 वर्षों से लागू बर्थ राइट सिटीजनशिप कानून के तहत अमेरिका में जन्मे बच्चे स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिक माने जाते हैं। ट्रंप ने इस कानून को समाप्त करने का आदेश दिया है, खासकर उन बच्चों के लिए जिनके माता-पिता अवैध रूप से अमेरिका में रहते हैं या अस्थायी वीजा पर हैं। इस आदेश के अनुसार, केवल उन बच्चों को नागरिकता मिलेगी जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी हों। ट्रंप का यह निर्णय खासकर भारतीय प्रवासियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 16 लाख भारतीय बच्चों को जन्म के कारण नागरिकता मिली है।

कानूनी चुनौतियाँ और संभावित प्रभाव

ट्रंप के कार्यकारी आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई छिड़ने की संभावना है। अमेरिकी संविधान का 14वां संशोधन बर्थ राइट सिटीजनशिप को सुनिश्चित करता है, और इसे बदलने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होती है, जिसे कांग्रेस और राज्यों की सहमति से किया जा सकता है। इसके बावजूद, ट्रंप का यह आदेश कई कानूनी चुनौतियों का सामना करेगा और संघीय न्यायालयों में विवादों का कारण बन सकता है। यूएस सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी बर्थ राइट सिटीजनशिप को बरकरार रखा था, जैसा कि यूनाइटेड स्टेट्स बनाम वोंग किम आर्क (1898) के ऐतिहासिक मामले में हुआ था।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर प्रभाव

अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय सबसे तेजी से बढ़ने वाला अप्रवासी समुदाय है, और ट्रंप के फैसले से यह समुदाय सीधे प्रभावित होगा। अमेरिका में 4.8 मिलियन से अधिक भारतीय-अमेरिकी नागरिक रहते हैं, जिनमें से लाखों को जन्म के आधार पर अमेरिकी नागरिकता प्राप्त हुई है। यदि ट्रंप के आदेश के अनुसार बर्थ राइट सिटीजनशिप खत्म हो जाती है, तो अस्थायी कार्य वीजा (जैसे एच-1बी वीजा) पर अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों के बच्चों को अब स्वचालित रूप से नागरिकता नहीं मिलेगी। इसके कारण, इन बच्चों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना होगा।

फिर क्या होगा?

यदि ट्रंप का आदेश लागू होता है, तो भारतीय परिवारों को अपने बच्चों के लिए नागरिकता प्राप्त करने में कई साल और अधिक जटिलताएँ हो सकती हैं। विशेष रूप से, एच-1बी वीजा पर काम करने वाले माता-पिता के लिए अमेरिका में जन्मे उनके बच्चों का नागरिकता प्राप्त करना एक कठिन प्रक्रिया बन सकता है। इसके अलावा, जिन भारतीय परिवारों के बच्चे अमेरिका में जन्मे हैं और वे ग्रीन कार्ड के इंतजार में हैं, उन्हें भी लंबे समय तक कानूनी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

ट्रंप के फ़ैसलों ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। बाईडेन के 78 फ़ैसलों को भंग करने, रूस-यूक्रेन युद्ध पर विचार, और बर्थ राइट सिटीजनशिप कानून के बदलाव जैसे निर्णय अमेरिकी राजनीति और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत हैं। अमेरिका की वर्तमान इमिग्रेशन नीति और नीतिगत बदलावों का प्रभाव भारत समेत अन्य देशों के नागरिकों पर पड़ेगा, और यह वैश्विक स्तर पर एक नई कानूनी लड़ाई का कारण बन सकता है।

– संकलनकर्ता लेखक
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र

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