प्रदेश में आधे पटवारियो ने रखे असिस्टेंट, भ्रष्टाचार की खुली पोल ! गुरुग्राम, रेवाड़ी, करनाल, पलवल और यमुनानगर जिले सबसे अव्वल

पटवारियो के भ्रष्टाचार के रेट लिस्ट के साथ ही सार्वजनिक की गई सूची

राजस्व विभाग के पटवारी के द्वारा निर्धारित फीस से अधिक वसूली का मामला

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा कार्रवाई के लिए लिखा गया

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम / पटौदी। सबका साथ सबका विकास और पारदर्शिता सहित ऑनलाइन कार्य डबल इंजन सरकार के द्वारा प्राथमिकता में गिनवाए अथवा बताए जाते आ रहे हैं । विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप प्रत्यारोप भी लगते रहे हैं । इसी कड़ी में राजस्व विभाग में कार्यरत पटवारी के द्वारा निर्धारित सरकारी फीस से अधिक वसूली की शिकायतें सबसे अधिक सुनने को मिलती रही है। कथित रूप से मांग पूरी नहीं होने पर मामलों को लटकाए भी रखा जाता है । अपने आप को सेफ अथवा सुरक्षित रखने के लिए राजस्व विभाग के पटवारी के द्वारा व्यक्तिगत रूप से सहायक रखने के मामले भी सामने आते रहे हैं । लोगों में जिज्ञासा सहित बहस होने लगी है कि यह भ्रष्टाचार का मामला क्या तीसरी बार सरकार बनने पर ही भाजपा सरकार के संज्ञान में आया या फिर पहले की दो योजना में भाजपा सरकार अनदेखा करती रही।

जिस प्रकार से राजस्व विभाग के 370 कर्मचारियों का हवाला देते हुए 170 कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में  शामिल बताया गया है । क्या इस प्रकार का भ्रष्टाचार अन्य सरकारी विभागों में होने से साफ इनकार किया जा सकता है ? नित्य प्रतिदिन विभिन्न सरकारी एजेंसियों के द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए काबू किया जा रहा है। इसको बिल्कुल भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है । यह भी पूरी तरह साफ नहीं हो सका है कि राजस्व विभाग के कितने कर्मचारी अथवा पटवारी भ्रष्ट है या भ्रष्टाचार में शामिल है ? राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर जारी की गई अथवा लिक की गई लिस्ट को देखा जाए तो गुरुग्राम में 27 में से 26, करनाल में 7  में से 6, पलवल में 17 में से 15 और यमुनानगर में सभी 14 पटवारी को भ्रष्टाचार का आरोपी ठहराया गया है । इसी प्रकार से महेंद्रगढ़ में 36 में से 20, रेवाड़ी में 16 में से 15, सिरसा में 13 में से 7, अंबाला में पांच में से तीन राजस्व पटवारी को भ्रष्टाचार का आरोपी बताया गया । राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के द्वारा संबंधित जिला के उपायुक्त को संबोधित करते हुए आवश्यक कार्रवाई के लिए भी कहा गया है।

एक तरफ तो गोपनीय दस्तावेज लिखा गया, दूसरी तरफ यह गोपनीय दस्तावेज लीक अथवा सार्वजनिक भी हो गया । इसी दस्तावेज में लिखा गया है कि जमीनों के खाते तक्सीम करवाने, जमीनों की पैमाइश, इंतकाल, राजस्व विभाग में रिकार्ड दुरुस्त करवाने, नक्शा बनवाने जैसे मामले में पटवारी के द्वारा रखे गए निजी असिस्टेंट अथवा सहायक के माध्यम से रिश्वत ली जा रही है। उपरोक्त कार्यो को किया जाने के लिए 200 से लेकर 6000 तक रिश्वत लेने की भी बात सार्वजनिक की गई । लोगों में चर्चा इस बात को लेकर भी है कि इसी प्रकार के कार्य राजस्व विभाग के अलावा नगर निगम, जिला परिषद, नगर परिषद, नगर पालिका या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के द्वारा नहीं करवाए जा रहे। 

जिस समय सरकारी विभाग में भ्रष्ट कर्मचारियों की लिस्ट जारी की गई अथवा लिक की गई। उस समय को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। एक तरफ तो पड़ोसी कहे आने वाले दिल्ली प्रदेश में चुनाव का बिल्कुल बच चुका है । दूसरी तरफ हरियाणा प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव, नगर निगम, नगर परिषद, और नगर पालिका के चुनाव होना भी प्रस्तावित है। इसी कड़ी में भाजपा के ही एक नेता के खिलाफ हिमाचल में दर्ज  मामला भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा सहित राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। यहां तक चर्चा होने लगी है कि इतनी बड़ी संख्या में एक ही बार में किसी भी सरकारी विभाग में कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन जैसी कार्रवाई के बाद निश्चित रूप से कार्यों में विलंब होने सहित आम जनता की बढ़ाने वाली परेशानी से भी इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ भाजपा के लिए भी यह अब कहीं ना कहीं प्रतिष्ठा का सवाल बनता हुआ दिखाई दे रहा है। निश्चित रूप से कठोर कार्रवाई आरोपियों के खिलाफ की जानी चाहिए । यह सब अब भविष्य के गर्भ में ही छिपा हुआ है ।

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