ग्रेटर गुरुग्राम, नया गुरुग्राम और पटौदी जिला नाम को लेकर अपने अपने तर्क अधिकृत कमेटी की तरफ से जिला गुरुग्राम में नया जिला बनाने का नहीं संकेत नया जिला के लिए गोहाना, हासी, असंध, सफीदों, डबवाली के प्रस्ताव पहुंचे पूर्व विधायक सत्य प्रकाश का दावा जिला की सभी औपचारिकताएं की पूरी फतह सिंह उजाला पटौदी । जिस जोश और गर्मी के साथ में हरियाणा प्रदेश में नया जिला के नाम पर सबसे पहले पटौदी और इसके बाद ग्रेटर गुरुग्राम तथा न्यू गुरुग्राम नामकरण से जिला बनाने का मामला सुर्खियों में आया। निकाय चुनाव की घोषणा होने के साथ ही नया जिला की गर्मी और जोश भी ठंडा होता दिखाई दे रहा है। जो भी पॉलीटिकल पार्टी, पॉलिटिकल पार्टियों से जुड़े नेता, कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि सक्रिय हुए । वह भी अब चुनावी रणनीति में कहीं ना कहीं सक्रिय या व्यस्त कहे जा सकते हैं । इसका कारण यह भी कहा जा सकता है कि सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए राजनीतिक रूप से ताकतवर मजबूत होना भी बहुत जरूरी है। लोकसभा चुनाव पूर्व सबसे पहले पटौदी रामलीला मैदान में पूर्व सीएम और मौजूदा समय में केंद्र में मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बेहद नजदीक महामंडलेश्वर धर्मदेव के नेतृत्व में पटौदी नामकरण से ही जिला बनाने को लेकर महापंचायत हुई। यहां डंके की चोट पर महामंडलेश्वर धर्मदेव के द्वारा कहा गया हरियाणा प्रदेश में यदि कोई नया जिला बनेगा तो वह सबसे पहला नाम पटौदी का ही होगा । इस बात को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि उस दौरान पटौदी से पहले मानेसर को जिला बनाने की चर्चा विभिन्न प्लेटफार्म पर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। विधानसभा चुनाव के पहले भी हरियाणा में जिला बनाए जाने की चर्चा हुई और उस वक्त भी पटौदी नामकरण से ही जिला बनाने अथवा बनवाने का महापंचायत में बहुमत से फैसला किया गया। फैसला तो यहां तक किया गया हरियाणा की सीएम सैनी सरकार के द्वारा पटौदी को जिला बनाने की घोषणा नहीं की जाती तो चुनाव का बहिष्कार भी किया जाएगा । 10 अगस्त को मुख्यमंत्री नायब सैनी के मंच पर धर्मदेव के द्वारा पटौदी को जिला बनाने का मुद्दा उठाते हुए यहां तक कहा गया कि यह मांग पूरी हो जाए तो वह स्वयं पूरे हरियाणा प्रांत में भाजपा के लिए प्रचार करेंगे। हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक वाली सरकार बन गई । अतीत से चली आ रही नए जिला बनाने उनके नाम की घोषणा का मामला अभी भी लोगों के बीच जिज्ञासा का विषय बना है ? हरियाणा भाजपा सरकार के द्वारा हरियाणा में नए जिले बनाने के लिए विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पवार की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया। कमेटी के अध्यक्ष मंत्री पवार के द्वारा अभी तक दिए गए बयान अथवा कही गई बातों पर विशेष तौर से ध्यान दिया जाए तो जिला गुरुग्राम में एक और नया जिला बनाने का कोई भी जिक्र अभी तक नहीं किया गया है। कमेटी के द्वारा हरियाणा में गोहाना, हासी, असंध, सफीदों और डबवाली को ही जिला बनाने के प्रस्ताव प्राप्त होने की बात कही गई और यही बयान समाचार पत्रों में भी प्रकाशित होते रहे हैं। अभी तक एक बार भी इस कमेटी की तरफ से जिला गुरुग्राम में मानेसर, पटौदी या फिर गुरुग्राम नामकरण से जिला बनाने की बात नहीं सामने आई है। इसी कड़ी में पटौदी के पूर्व विधायक सत्य प्रकाश दावा करते आ रहे हैं कि अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा पटौदी फरुखनगर और धारूहेड़ा को मिलाकर ग्रेटर गुरुग्राम बनाने के नाम से सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी गई थी। यदि यह बात सही भी है तो फिर नए जिले का फैसला करने वाली कमेटी के द्वारा इस विषय में अभी तक कुछ भी क्यों नहीं कहा जा रहा है ? यह भी अपने आप में एक जिज्ञासा सहित सवाल है । इसी प्रकार से सत्ता पक्ष की ही वर्तमान विधायक विमला चौधरी के द्वारा मुख्यमंत्री नायब सैनी को न्यू गुरुग्राम के नाम से जिला बनाने का समर्थन करते हुए ज्ञापन सोपा गया। लोकतंत्र है, नेताओं और लोगों को अपनी बात कहने और रखने का पूरा अधिकार भी है। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट और कांग्रेस नेत्री श्रीमती पर्ल चौधरी का तर्क है कि हरियाणा में नया जिला पटौदी नामकरण से बनाया जाए। उनका तर्क है कि पटौदी का नाम हरियाणा और देश की राजनीति में एक मील का पत्थर है । पटौदी से ही स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह कांग्रेस विधायक के रूप में चुने गए और अहीरवाल तथा दक्षिणी हरियाणा क्षेत्र से हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने। पटौदी विधानसभा क्षेत्र एक मजबूत राजनीतिक पहचान बनाए हुआ है । खेल जगत में भी पटौदी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम अपनी मजबूत पहचान बनाए हुए हैं । आज भी पटौदी ट्रॉफी के नाम से क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन होता आ रहा है । पटौदी से अलग हटकर ग्रेटर गुरुग्राम या फिर न्यू गुरुग्राम नामकरण से जिला की पैरवी के पीछे भी लोगों की अपनी-अपनी भावना और तर्क हैं। यदि हरियाणा प्रदेश में जिला गुरुग्राम में एक और अतिरिक्त जिला बनता है या बनाया जाता है ? तो इसका अंतिम और निर्णायक फैसला हरियाणा सरकार के द्वारा ही किया जाना है। तब तक जनता जनार्दन अपनी बात और नामकरण का तर्क देने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। Post navigation 24 पेड़ों को तीन लाख 30 हजार रुपए में बोली लगाकर खरीदा गया …….