पूरे विश्व में गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व हर्षोल्लास के साथ प्रभात फेरी शोभायात्रा निकालकर मनाया जा रहा है 

गुरु नानक देव व गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व आज भी उनके हर अनुयाई के हृदय में जोश व आत्मविश्वास का संचार करता है

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी

प्रकाश पर्व का वैश्विक आयोजन

गोंदिया – वैश्विक स्तर पर, जहां भी बाबा गुरु नानक देव जी के अनुयायी विशेष रूप से सिख, सिंधी या अन्य भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं, वहां गुरु नानक देव और गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व को अवश्य मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व सोमवार, 6 जनवरी 2025 को मनाया जा रहा है। अनेक शहरों में यह पर्व तीन दिवसीय हो रहा है, जिसमें प्रभात फेरी और शोभायात्रा के रूप में बाबा जी की सवारी निकाली जा रही है। पटना, जो गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म स्थल है, वहां 4 से 6 जनवरी 2025 तक यह उत्सव मनाया जा रहा है। रांची सहित कई शहरों से श्रद्धालु पटना पहुंच रहे हैं। इसी प्रकार, गोंदिया में भी 4 जनवरी 2025 को एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में सिख और सिंधी समुदाय के लोग भारी संख्या में उपस्थित हुए। शोभायात्रा में गुरु ग्रंथ साहिब के रथ को फूलों से सजाया गया और पवित्र जल छिड़ककर मार्ग को पवित्र किया गया।

गुरु गोविंद सिंह का जीवन और संदेश

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में हुआ था। उन्होंने मात्र दस वर्ष की आयु में गुरु की गद्दी संभाली और सिख धर्म के दसवें व अंतिम गुरु बने। उनका जीवन अन्याय, अधर्म और अत्याचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की और पांच प्यारों के माध्यम से जाति-पाति मिटाने का संदेश दिया। उनके आदर्श वाक्य “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह” आज भी अनुयायियों को निडरता और आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाते हैं।

गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान

गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने चार पुत्रों – साहिबजादे अजीत सिंह, जुझार सिंह, फतेह सिंह, और जोरावर सिंह – को धर्म की रक्षा के लिए बलिदान कर दिया। उनके दो पुत्रों को सरहिंद में दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया और दो पुत्र युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। इसके बावजूद, उन्होंने अपने अनुयायियों को सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

प्रकाश पर्व का महत्व

प्रकाश पर्व का अर्थ है – अंधकार को दूर कर सत्य, ईमानदारी और सेवा का प्रकाश फैलाना। गुरु नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने उपदेशों और कार्यों से समाज को धर्म, ज्ञान और मानवता का मार्ग दिखाया। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष सजावट की जाती है, नगर कीर्तन और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

समाज को प्रेरणा

गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जीवन में कर्म, सिद्धांत, समभाव और समानता का संदेश दिया। उनका आदर्श वाक्य “देह शिवा बर मोहे इहै, शुभ करमन ते कबहूं न टरूं” आज भी समाज को प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष

गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व एक ऐसा अवसर है, जो हर अनुयायी के हृदय में जोश, आत्मविश्वास और धर्म के प्रति निष्ठा का संचार करता है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। अतः हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर भाईचारे, समानता और मानवता के मूल्यों को सशक्त करना चाहिए।

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