मनमोहन सिंह क़े देहांत के बाद अभूतपूर्व उपलब्धियां सुनकर, भारत पूछता है,उन्हें भारत रत्न जीवित रहते हुए क्यों नहीं मिला? साहेब! मैं आवाक़ हूं!अभूतपूर्व सेवाओं उपलब्धियों रूपी हीरो की खान को,जीते जी भारतरत्न नहीं मिला पंचतत्व में विलीन के बाद तो संज्ञान लिया जाए? – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया – वैश्विक स्तरपर जब एक अद्भुत उपलब्धियों सेवाओं वित्तीय सुधारो के जनक कहे जाने वाले व्यक्तियों को अगर उस देश का ही सर्वोच्च सम्मान उसे जीते जी ना मिल पाए, तो मेरा मानना है यह उस देश के नागरिकों के लिए खेद की बात है, उन्हें तो नोबेल पुरस्कार भी मिलना चाहिए परंतु उन्हें नहीं मिल पाता है तो यह पूरे विश्व के लिए खेद की बात है, जिसका सटीक उदाहरण भारत के 10 वर्ष कार्यकाल के पूर्व पीएम व 1990-91 के वित्तीय सुधारो के जनक, अपनी जीरो टॉलरेंस वाली लाबी के धनी, कहीं कभी कोई पद नहीं मांगने वाले मौन व्यक्तित्व विपक्ष के चाहते व वर्तमान पीएम द्वारा संसद के हाल से सड़क तक कई बार उनकी तारीफ़ करने वाले व्यक्तित्व स्वर्गीय मनमोहन से हैं, जिनके देहांत के बाद जिस ज़ज्बे के साथ राष्ट्रपति से लेकर पीएम तक व सीएम से लेकर आम आदमी तक द्वारा उनकी बेहद तारीफें व उपलब्धियां को गिनाया गया हैं तो, स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठना लाजिमी है कि, ऐसे सर्वगुण संपन्न व्यक्ति को अभी तक भारत रत्न से महफूज़ क्यों रखा गया, उन्हें जीते जी भारत रत्न से क्यों नहीं नवाजा गया? क्या हम इसके लिए दोषी नहीं है, इसका संज्ञान हमें जरूर लेना चाहिए, व इस गलती को शीघ्र सुधार कर भारत वासियों के हृदय में हो रही जिज्ञासा को तुरंत शांत कर उचित समय देखकर भारतरत्न की घोषणा किया जाना समय की मांग है। मेरा व्यक्तिगत तो पर मानना है। हालांकि स्वर्गीय मनमोहन सीधे तौर से एक पार्टी के साथ थे,पर भारत के हर राजनीतिक दल के वे चहेते थे, साफ सुथरी छवि वाले व्यक्ति थे। मैं पूछना चाहता हूं आज उनके पांच तत्वों में विलीन होने के बाद उन्हें भारत रत्न देने की मांग करीब हर विपक्षी पार्टियों उठा रही है, तो उनके जीवित रहते हुए इतने जोर-जोर से यह आवाज़ क्यों नहीं उठाई गई? सूत्रों से ऐसा पता चला है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसकी पहल जरूर की थी परंतु वह कामयाब नहीं हो सके,’या फिर सत्ताधारी पक्ष ने पिछले 10 वर्षों में उनकी उपलब्धियां को क्यों नहीं पहचाना? जो आज अपने श्रृद्धाजंलियों में गिना रहे हैं इसका संज्ञान उन्हें जरूर लेकर लेना चाहिए। मैं मानता हूं कि यदि उन्हें जीते जी भारत रत्न मिलता तो उन्हें 100 प्रतिशत सटीक निर्णय में गिना जाता अगर अभी उनके पंचतत्व में विलीन के बाद उन्हें मिलता है, तो मेरी नजर में वह 50 प्रतिशत सटीक होगा, क्योंकि उन्हें तो पता ही नहीं चलेगा, क्योंकि चिट्ठी ना कोई संदेश न जाने कौन ऐसा देश जहां हो चले गए। परंतु अभी भी मौका है के 50 प्रतिशत को संज्ञानमें रखते हुए भी उन्हें भारत रत्न की घोषणा शीघ्र करने के लिए रेखांकित करना जरूरी है। इस तरह उन्हें नोबेल पुरस्कार के भी लिए भी नामित होना था,परंतु वह अवसर अभी विलुप्त हो गया है क्योंकि यह पुरस्कार केवल जीवित व्यक्तियों की कोई मिलता है। चूंकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का शरीर पंचतत्व में विलीन अब स्मारक बनाने के सीआरसी बवाल तेज, भारत पूछता है ऐसे नेक व्यक्तित्व को भारत रत्न, नोबेल क्यों नहीं मिला। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मनमोहन सिंह क़े देहांत के बाद अभूतपूर्व उपलब्धियां सुनकर भारत पूछता है भारत रत्न जीवित रहते हुए क्यों नहीं मिला? साथियों बात अगर हम पूर्व पीएम के पांच तत्वों में विलीन के बाद स्मारक बनाने, राजघाट में अंतिम संस्कार नहीं करने पर बवाल की करें तो,देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डॉ.मनमोहन सिंह का शनिवार को दिल्ली में निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। प्रोफेसर, आरबीआई गवर्नर,मुख्य आर्थिक सलाहकार, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और वित्त मंत्री जैसे पदों पर रहने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह 10 साल प्रधानमंत्री भी रहे। उन्हें अब तक का सबसे ज्यादा शिक्षित प्रधानमंत्री माना जाता है।केंद्र सरकार की दिल्ली में राजघाट परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए जगह आवंटित नहीं करने की आलोचना की जा रही है। आप पार्टी ने तर्क दिया कि यह फैसला वैश्विक स्तरपर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाता है। सिंह का शनिवार को निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें भारत और विदेश से शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। केजरीवाल ने एक्स पर लिखा, ये खबर सुनकर मैं स्तब्ध हूं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया गया, इसके पूर्व भारत के सभी प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाता था. सिख समाज से आने वाले, पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त,10 वर्ष भारत के प्रधानमंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह जी के अंतिम संस्कार और समाधि के लिए बीजेपी सरकार 1000 गज़ जमीन भी न दे सकी? पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल की 4 अहम बातें, (1) सुखबीर बादल ने कहा कि ये फैसला चौंकाने वाला और अविश्वसनीय है। यह अत्यंत निंदनीय है कि केंद्र सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार की उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने देश के इस महान नेता के अंतिम संस्कार और अंतिम क्रियाकर्म के लिए एक ऐतिहासिक और उपयुक्त स्मारक बनाने की जगह मांगी थी। (2) राजघाट पर अंतिम संस्कार होना चाहिए था उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार का स्थान राजघाट होना चाहिए था। यह पुरानी प्रथा और परंपरा के अनुरूप होता जो पहले से चली आ रही है। यह समझ से परे है कि सरकार इस महान नेता के प्रति ऐसा असम्मान क्यों दिखा रही है, जो सिख समुदाय के पहले और एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने का गौरव प्राप्त किया। (3) केंद्र सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति सुखबीर बादल ने कहा कि यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। भाजपा सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति इस स्तर तक जा सकती है। जहां वह डॉ. मनमोहन सिंह के वैश्विक कद को पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में आदर और सम्मान के पात्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचाइयों तक पहुंचाया। साथियों बात अगर हम स्वर्गीय मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने संबंधी बुलंद मांग की करें तो,एक समय ऐसा भी था, जब मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की चर्चा जोरों पर थी। हालांकि, इसकी संभावनाएं सिर्फ चर्चाओं तक ही सीमित होकर रह गईं। इस बीच 2023 में प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब प्रणब माई फादर, अ डॉटर रिमेंबर में इससे जुड़ा एक बड़ा दावा किया था। शर्मिष्ठा के मुताबिक, प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति रहते हुए मनमोहन सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहते थे। शर्मिष्ठा ने किताब में लिखा है कि 30 अक्तूबर 2013 को उनके पिता ने इससे जुड़ी बातें अपनी डायरी में लिखीं। उन्होंने तत्कालीन कैबिनेट सचिव को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव से बात करने के लिए कहा था। प्रणब ने कहा था कि कैबिनेट सचिव को पुलक को संदेश देना चाहिए कि वह इस संबंध में तब यूपीए की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी से बात करें। किताब में शर्मिष्ठा ने बताया कि मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की इस मांग के बारे में प्रणब मुखर्जी की किताब में आगे कोई जिक्र नहीं मिलता। ऐसे में यह साफ नहीं है कि पुलक चटर्जी ने यह बात सोनिया गांधी से की भी या नहीं। शर्मिष्ठा का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि डॉ. मनमोहन सिंह को देश का सर्वोच्च सम्मान देने की इस मांग पर आगे क्या हुआ।इतना ही नहीं, शर्मिष्ठा का कहना है कि कुछ आपसी मतभेदों के बावजूद प्रणब मुखर्जी हमेशा से मनमोहन सिंह के प्रशंसक रहे। प्रणब 1991 से 1996 के बीच वित्त मंत्री के तौर पर देश में किए गए आर्थिक सुधारों और 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान प्रधानमंत्री के तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने का श्रेय मनमोहन सिंह को ही देते थे। कांग्रेस नेताओं ने शनिवार को उन्हें एक दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में याद किया, जिन्होंने भारत को वित्तीय संकट से बाहर निकाला और उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए समर्पित स्थल आवंटित नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना की। इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं ने मनमोहन सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा,आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की गरिमा का आदर करते हुए उनके अंतिम संस्कार अधिकृत समाधि स्थलों में किए गए, ताकि हर व्यक्ति बिना किसी असुविधा के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दे पाए. डॉ. मनमोहन सिंह हमारे सर्वोच्च सम्मान (भारत रत्न) और समाधि स्थल के हकदार हैं. सरकार को देश के इस महान पुत्र और उनकी गौरवशाली कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए था अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा, वह एक शानदार अर्थशास्त्री थे. उन्होंने 1990 के दशक में भारत के आर्थिक सुधारों को दिशा दी और देश के इतिहास में एक अहम मोड़ पर उसकी दिशा तय की, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नेतृत्व क्षमता शांति, ईमानदारी और देशवासियों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता से परिपूर्ण थी. डॉ. सिंह के योगदान ने हमारे आर्थिक और राजनीतिक सिस्टम पर गहरी छाप छोड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे,भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के चचेरे भाई ने मांग की है कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए. देहरादून में रहने वाले अमरजीत सिंह ने का कहना है कि ऐसा आदमी अरबों में से एक होता है, जोकि देश के प्रति समर्पित होता है उनको कोई लालच नहीं था. उनके पास अपना कुछ भी नहीं है,न बैंक बैलेंस और न कोई प्रॉपर्टी. सिंपल लिविंग और उनकी सोच ऊंची थी मनमोहन सिंह वह रत्न थे जो अमर रहेंगे. उनके जाने से देश को बड़ी क्षति हुई है उन्होंने अपने नेतृत्व में देश को जिस बुलंदियों पर पहुंचाया है वह सभी जानते हैं. अलका लांबा बोलीं; हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे रत्न को भारत रत्न दिया जाना चाहिए. वह इसकी मांग सरकार से करेंगे और पार्टी की मीटिंग में भी इस मांग को रखेंगे। मनमोहन सिंह भारत रत्न के हकदार हैं 10 साल प्रधानमंत्री रहे उसके बाद 10 साल तक वह इसी निवास से देश की हर व्यवस्था को देखा. देश को आर्थिक संकट से उबारने में उनका जो योगदान रहा वह भुलाया नहीं जा सकता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन- स्मारक बनाने सियासी बवाल तेज- भारत पूछता है ऐसे नेक व्यक्तित्व को भारत रत्न नोबेल क्यों नहीं मिला?मनमोहन सिंह क़े देहांत के बाद अभूतपूर्व उपलब्धियां सुनकर, भारत पूछता है,उन्हें भारत रत्न जीवित रहते हुए क्यों नहीं मिला?साहेब! मैं आवाक़ हूं! अभूतपूर्व सेवाओं उपलब्धियों रूपी हीरो की खान को, जीते जी भारतरत्न नहीं मिला पंचतत्व में विलीन के बाद तो संज्ञान लिया जाए? -संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र Post navigation स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा देते पैकेज्ड खाद्य पदार्थ 2025 में आख़िर कैसा रहेगा राजनीतिक मतभेदों का पारा?