एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह, सिख इतिहास के सबसे महान बलिदानी योद्धाओं में से एक हैं। उनके बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए 26 दिसंबर को “वीर बाल दिवस” मनाने का निर्णय लिया गया है। इस दिन को राष्ट्रीय स्तर पर सिख परंपरा और भारतीय संस्कृति के गौरवशाली अध्याय के रूप में मनाया जाता है। साहिबजादों का अद्वितीय बलिदान 1705 में, सरसा नदी के तट पर हुए संघर्ष के बाद, गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार बिछड़ गया। छोटे साहिबजादे, उनकी दादी माता गुजरी जी के साथ, सरहिंद के नवाब वजीर खान की कैद में आ गए। धर्म परिवर्तन का प्रस्ताव ठुकराने पर उन्हें मात्र 8 और 5 वर्ष की उम्र में जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया। इस बलिदान ने न केवल सिख धर्म को सशक्त बनाया बल्कि धर्म और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर करने का एक अमर उदाहरण प्रस्तुत किया। वीर बाल दिवस का महत्व प्रधानमंत्री द्वारा 2022 में घोषित वीर बाल दिवस, साहिबजादों के अदम्य साहस को याद करने और बच्चों में राष्ट्रभक्ति और नैतिक मूल्यों को प्रेरित करने के लिए समर्पित है। यह दिवस बच्चों को उनकी प्रतिभा और उपलब्धियों के लिए प्रोत्साहित करने का एक अनूठा मंच भी प्रदान करता है। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार इस वर्ष, वीर बाल दिवस के अवसर पर 17 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार कला, संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, विज्ञान, सामाजिक सेवा, खेल और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रपति द्वारा विजेताओं को पदक और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। कार्यक्रम और गतिविधियां वीर बाल दिवस पर नई दिल्ली के भारत मंडपम में राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें बच्चों द्वारा भारतीय विरासत को दर्शाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही, देशभर के स्कूलों और बाल संस्थानों में कहानी लेखन, पोस्टर बनाने, निबंध लेखन और क्विज़ जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। शिक्षा और प्रेरणा का स्रोत सरकार ने वीरता की परिभाषा को पुनर्परिभाषित किया है—अब वीरता केवल साहस नहीं, बल्कि दया, नवाचार, और समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता का प्रतीक है। इस प्रकार, वीर बाल दिवस नई पीढ़ी को प्रेरित करने का एक माध्यम बन गया है, जो उनके भीतर सच्ची नेतृत्व क्षमता को विकसित करता है। निष्कर्ष गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों का बलिदान भारतीय इतिहास और संस्कृति का अमूल्य हिस्सा है। वीर बाल दिवस, उनके साहस और धर्मनिष्ठा को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को उनके पदचिह्नों पर चलने की प्रेरणा देता है। यह दिवस न केवल सिख समुदाय बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। Post navigation कर्मचारियों की कमी से जूझती शासन व्यवस्था ……. महान राष्ट्र नायक महामना मदन मोहन मालवीय ……… 25 दिसंबर उनके जन्म जयंती पर विशेष