विश्व में समय समय पर अनगिनत शासनाध्यक्ष हुए हैं परंतु सभी जनता के हृदय सम्राट नही बन पाए

सुरेश गोयल धूप वाला

अटल जन्म जयंती 25 दिसंबर को पूरे देश में मनाई जा रही है।उनकी जयंती पर सुशासन दिवस के रूप में मनाए जाने का चलन पूर्व प्रधान मंत्री को सम्मानित करने, भारतीय लोगो के बीच जागरूकता बढ़ाने व सरकार में सभी दायित्वों पूर्ण लोगो का ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करना था। प्रधान मंत्री मोदी की पहल पर 2014 में शुरू किया गया था। मिशन इंद्रधनुष अभियान भी इसी दिन उनके जन्म दिवस पर शुरू किया गया था।

पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश प्रान्त के ग्वालियर शहर में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी आगरा जनपद के बटेश्वर स्थान के मूल निवासी थे। उनकी माता का नाम कृष्ण वाजपेयी था जो बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।इसी कारण बालक अटल में बचपन से ही सनातन परम्परा के संस्कार कूट- कूट कर भर गए थे।बचपन में ही अटल बिहारी में काव्य गुण उनके पिता से प्राप्त हुए, क्योंकि उनके पिता ब्रजभाषा के सिद्ध हस्त कवि थे।उनकी बीए की शिक्षा ग्वालियर के उस समय के विक्टोरिया कॉलिज में हुई।उन्होंने एमए करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई की। संघ के वरिष्ठ प्रचारकों के सानिध्य में रह कर बचपन में ही वे राष्ट्रीय स्वयं संघ के स्वयं सेवक बने। बाद में वे परिवारिक ऐश्वर्य का मोह त्याग कर संघ के प्रचारक जीवन में रह कर राष्ट्रीय व सामाजिक कार्य में जुट गए।वे बचपन से ही बहुत ही प्रतिभावान रहें हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय व पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने उनकी लग्न, मेहनत और प्रतिभा को पहचान लिया था। उनकी ही प्रेरणा से उन्हें सक्रिय राजनीति क्षेत्र में दायित्व सौंपा गया। पूर्व प्रधान मंत्री ने पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश व वीर अर्जुन जैसी राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं का कार्यभार सौंपा गया , जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक संपादन कार्य किया।

वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।वे 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 1957 में वे पहली बार यूपी के बलराम पुर से चुनाव लड़ कर सांसद बने।1957 से 1977 तक पार्टी के संसदीय दल के नेता रहे। 1977 में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई मंत्री मंडल में वे विदेश मंत्री बने।विदेश मंत्री रहते सयुंक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिंदी में अपना उद्द्बोधन कर राष्ट्र का गौरव बढ़ाया।

6 अप्रैल 1980 को जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई, जिसमें वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।1996 में उन्होंने प्रधान मंत्री की बागडोर संभाली, परंतु सरकार अधिक समय नही चल पाई। 19 अप्रैल 1998 को वे पुनः प्रधान मंत्री बने, उन्होंने पांच वर्ष तक प्रधान मंत्री के रूप में देश की प्रगति में अहम योगदान दिया व उनके कार्यकाल में अनेकों उपलब्धियां रही। दूसरी बार प्रधान मंत्री बनते ही पोखरण में परमाणु परीक्षण कर परमाणु शक्ति सम्पन्न शक्तियों में भारत का नाम स्थापित किया।बड़ी ताकतों ने भारत को डराने धमकाने का कुत्सित प्रयास किया , परुन्तु वे तो अटल थे दृढ़ता के साथ उनको मुंह- तोड़ जवाब दिया।1999 को दिल्ली से लाहौर बस सेवा शुरू करवाकर पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने में उन्होंने सार्थक प्रयास किए, परंतु पाकिस्तान की गंदी सोच के कारण हमें कारगिल युद्ध का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध में भारत को अहम विजय दिलवाने में उनकी दृढ़ता आत्मविश्वास और दूरदर्शिता प्रकट होती है।पाकिस्तान को एक बार फिर भारत के हाथों करारा थपड़ खाने को मजबूर होना पड़ा।स्वर्णिम चतर्भुज परियोजना भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण परियोजना रही।दिल्ली-कलकत्ता- चेनई- मुम्बई को राजमार्गो से जोड़ा गया। देश के प्रमुख नदियों को जोड़ने की महत्वकांक्षि प्रस्तावित परियोजना भी उनके कार्यकाल की थी।उनके कार्यकाल में आईटी क्षेत्र में भारत बहुत आगे बढ़ा है।कई नई रेलगाड़ियां चलाई गई व रेल पटरियां बिछाई गई। जन कल्याण की दृष्टि से आवास निर्माण को प्रोत्साहन दिया गया।बहुत सारी जनकल्याणकारी योजनाएं उनके कार्यकाल में शुरू की गई।

विश्व में समय समय पर अनगिनत शासनाध्यक्ष हुए हैं परंतु सभी जनता के हृदय सम्राट नही बन पाए। अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे महान व्यक्तित्व के रूप में इतिहास में अमर हो गए ,जो वर्षो बाद भी लोगो के दिलो पर राज कर रहें हैं और हमेशा भी करते रहेंगे।उनके राजनीतिक विरोधी भी उनका नाम सम्मान से लेना नही भूलते। अपना- पराया उनके लिए कुछ भी नही था। वे सभी के थे। उनकी मृत्यु 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में एम्स दिल्ली में हुई। सारा राष्ट्र शोक में डूब गया था।

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