भारत सारथी

गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज: नगर निगम गुरुग्राम में बैठे भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार की पोल खुलने के डर से तरह-तरह के हथकंडे अपना कर राजेश सूचना आयोग को भी ग़लत जानकारी देकर गुमराह कर रहे हैं। ऐसे ही एक रोचक जानकारी सामने आई है जिसमें सूचना आयोग में हियरिंग की डेट लेने के लिए सभी नियम कानून नीतियों को ताक पर रखकर सूनवाई के लिए अगली तिथि की गुहार लगाई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम गुरुग्राम के जन सूचना अधिकारियो को सोमवार को सूचना आयोग चंडीगढ़ में एक गुड़गांव निवासी की अपील की सुनवाई के लिए हाजिर होना था। जिसमें निगम अधिकारियों ने डेट पर उपस्थित होने में असमर्थता जताते हुए अन्य अगली सुनवाई के लिए तारीख मांगी गई है। जिसमें निगम अधिकारियों ने सूचना आयोग को बताया है कि आवेदन के समय जो जन सूचना अधिकारी सीट पर थे उनका तबादला हो गया है, तथा आगामी 31 दिसंबर को वह रिटायर्ड होने वाले हैं और अभी वे स्वास्थ्य ठीक ना होने से पिछले 10 दिनों से छुट्टी पर है, जबकि निगम में सरकार के यह नियम लागू है कि 72 घंटे या तीन दिन से ज्यादा कोई भी अधिकारी अगर छुट्टी पर है तो उसका कार्य अन्य अधिकारी को दे दिया जाता है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ लगता है,साफ नजर आ रहा है। जिससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूचना आयोग के डंडे के दर से निगम अधिकारी जानबूझकर ना तो समय पर सूचना ही सही दे पा रहे हैं और ना ही सूचना की सुनवाई पर सूचना आयोग पहुंच रहे हैं।

बता दें सोमवार को जिन मामलों में सूचना आयोग में सोमवार को सुनवाई होनी थी उनमें मुख्यतया सदर बाजार से संबंधित सूचनाओं हैं, जिनमें मुख्यमंत्री शहरी स्वामित्व योजना से संबंधित हुई सेल डील की जानकारी अभी तक ने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत नगर निगम से मांगी थी। जिसमें गुरुग्राम में उक्त स्कीम के तहत करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है जिसमें भाजपा के भी कई नेता शामिल रहे हैं। इसी मामले पर शहर वासियों ने भ्रष्टाचार की शिकायत राज्य के लोकायुक्त को भी भेजी हुई है जिसमें भी निगम अधिकारी जानबूझकर कई महीनो से जवाब नहीं दे रहे हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री शहरी स्वामित्व योजना में कई अधिकारीयों पर लोकायुक्त की गाज कभी भी गिर सकती है।

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