श्रीअवधूत आश्रम में विश्व कल्याण के साथ तनावमुक्त जीवन और रोग निवारण के लिए गीता महायज्ञ में डाल रहे आहुतियां।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 9 दिसंबर : श्री अवधूत आश्रम कुरुक्षेत्र में चल रहे गीता महायज्ञ में विश्व कल्याण के लिए आहुतियां डालने के उपरांत हरियाणा विधानसभा के मीडिया एवं संचार अधिकारी दिनेश कुमार ने कहा कि यज्ञ सर्व कल्याण की भावना से किया जाता है।
भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता में जिस प्रकार से कर्म योग की व्याख्या की है उसे स्पष्ट है कि व्यक्ति की निष्ठा अपने कर्मों में रहनी चाहिए। ईश्वर ने जिस व्यक्ति को जो जिम्मेदारी सौंप रखी है वह उसे पूरी निष्ठा भाव से निभाए तभी हम गीता की मूल भावना को मूर्त रूप दे सकेंगे। गीता व्यक्तित्व निर्माण का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। व्यक्ति के अंदर जिस प्रकार के गुणों का परिमार्जन होना चाहिए, उन सब की व्याख्या श्रीमद् भागवत गीता में की गई है। व्यक्ति अपने गुणों का परिमार्जन इस ढंग से करें कि वह अधिक से अधिक समाज के लिए, राष्ट्र के लिए उपयोगी हो, तभी उसका जीवन सफल माना जाएगा। मनुष्य और अन्य प्राणियों में यही मौलिक अंतर यह है कि मनुष्य को चेतना और विवेक दिया है, जबकि दूसरे प्राणी इससे वंचित हैं। मानव कल्याण के लिए जीकर ही मनुष्य अपना जीवन सार्थक कर सकता है।

षडदर्शन साधुसमाज के मुख्यालय श्रीअवधूत आश्रम पिहोवा मार्ग नरकातारी कुरुक्षेत्र पर संत समाज द्वारा गीता महोत्सव पर विश्व कल्याण सुख शांति के लिए गीता महायज्ञ में आहुतियां डाली जा रही है। जिसमें संत महामंडल की अध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज, षडदर्शन साधुसमाज के संरक्षक महंत बंशी पुरी जी महाराज के मार्गदर्शन में अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज के सानिध्य में महंत गुरुभगत सिंह, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, डा. गार्गी ब्रह्मवादिनी, महंत जनार्दन दास, प्रो. बाबा चेतन मुनि,महंत सुनील दास, महंत विशाल दास, महंत स्नेह दास, गोस्वामी किशोरी दास, स्वामी युगल किशोर गिरि, स्वामी हरि नारायण गिरि इत्यादि श्रद्धालु, संत महात्माओं ने यज्ञ में आहुतियां डाली।

गीता महायज्ञ में यज्ञाचार्य पण्डित सोमदत्त एवं आचार्य मनीष मिश्रा द्वारा प्रतिदिन प्रातः 9 बजे गीता पूजन के साथ प्रथम अध्याय से 18 वें अध्याय तक के 700 श्लोकों से संत समाज एवं श्रद्धालुओं द्वारा दिन में तीन बार आहुतियां डाली जा रही है।

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