जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर पूरा पंडाल खुशी से झूम उठा।

परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए पृथ्वी पर समय समय पर अवतार लिए हैं : संजीव कृष्ण ठाकुर।

जयराम विद्यापीठ में भागवत कथा के चौथे दिन धूमधाम से मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 8 दिसम्बर : गीता जयंती महोत्सव 2024 के अवसर पर देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में श्री जयराम विद्यापीठ में चल रही भागवत पुराण की कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से वृन्दावन मथुरा से विख्यात कथावाचक संजीव कृष्ण ठाकुर ने कहा कि जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुई, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की है।

उन्होंने कथा में बताया कि मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर भगवान नारायण ने भगवान श्री कृष्ण के रूप में माता देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए संजीव कृष्ण ठाकुर ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय की परिस्थितियों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें।

संजीव कृष्ण ठाकुर ने कथा में कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि कंस अपनी बहन को रथ पर बैठाकर घर लेकर जाता है। तभी आकाशवाणी होती है कि हे कंस जिस बहन को तू विदा कराकर ले जा रहा है। उसी बहन की 8वीं संतान तेरी मौत का कारण बनेगी। कंस यह सुनकर दंग रह जाता है और बहन देवकी व बहनोई वासुदेव को मथुरा कारागार में बंद कर देता है। देवकी की सभी संतानों को एक एक कर मार देता है। कथा में संजीव कृष्ण ठाकुर बताते हैं, तभी श्रीकृष्ण का जन्म होता है और कारागार के द्वार खुल जाते हैं। वासुदेव कृष्ण को लेकर गोकुल जाते हैं। यमुना पार कर वह बाल कन्हैया को यशोदा के पास सुला देते हैं और यशोदा की पुत्री को लेकर रात्रि में ही कारागार लौट आते हैं। सुबह को पहरेदार कंस को सूचना देते हैं कि देवकी ने आठवीं संतान को भी जन्म दिया है। यह सुनकर कंस दौड़ा हुआ कारागार पहुंच जाता है और देवकी की आठवीं संतान को उसकी गोद से छीनकर मारने की प्रयास करता है। तभी कन्या कंस के हाथ से छूटकर आकाश में चली जाती है और आकाशवाणी होती है, हे कंस तुझे मारने वाला धरती पर पैदा हो चुका है।

कथा में भगवान श्री कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर पूरा पंडाल खुशी से झूम उठा। मौजूद श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जयजय कार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। चौथे दिन की कथा शुभारम्भ से पूर्व महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद गिरी महाराज ने भी भागवत कथा का महत्व बताया। कथा में सेवानिवृत्त आयुक्त टी.के. शर्मा, एस. एन. गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, के.के. कौशिक, श्रवण गुप्ता, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुलवंत सैनी, टेक सिंह लौहार माजरा, पवन गर्ग, खरैती लाल, के.सी. रंगा, राजेश सिंगला, सुरेंद्र गुप्ता, सुनील गर्ग, संजीव गर्ग, अशोक गर्ग, मुनीश मित्तल, कपिल मित्तल, सुनील गौरी, महिला मंडल की संगीता शर्मा व संतोष यादव, डा. रणबीर भारद्वाज, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद रहे।

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