भागवत पुराण की कथा में ही जीवन का वास्तविक दर्शन है व यही पवित्र तीर्थ है : संजीव कृष्ण ठाकुर।

विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ किया गया व्यासपीठ का पूजन।

जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कथा में लोगों को कुरीतियों से दूर कर जागरूक करने का संदेश हो।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 5 दिसम्बर : पवित्र ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ परिसर में हर वर्ष की भांति भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उत्पन्न हुई पावन श्री गीता के जन्मोत्सव गीता जयंती महोत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास तथा श्रद्धा से मनाया जा रहा है। पिछले करीब साढ़े तीन दशकों की भांति इस वर्ष भी विद्यापीठ परिसर में विशाल एवं भव्य पण्डाल में श्री मद भागवत पुराण की कथा प्रारम्भ हुई। कथा के पहले दिन व्यासपीठ से कथा के शुभारंभ से पूर्व दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर से कथा भागवत पुराण को सिर पर पवित्र कलशों के साथ धारण कर व्यासपीठ पर लेकर आए।

इस अवसर पर देश भर में फैली जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, कथा व्यास वृन्दावन मथुरा से विख्यात कथावाचक संजीव कृष्ण ठाकुर व विद्यापीठ के ट्रस्टियों ने विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ व्यासपीठ का पूजन किया। इसके उपरांत दीप प्रज्वल्लित कर कथा का शुभारम्भ किया गया। कथा प्रारंभ करने पूर्व परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि विद्यापीठ करीब तीन दशकों से भी अधिक समय से गीता को जन जन तक पहुंचाने एवं समाज को जागरूक करने के लिए भागवत कथा व गीता जयंती के अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करती है। उन्होंने कथावाचक से भी कहा कि वे कथा के साथ समाज के युवाओं को नशे इत्यादि कुरीतियों से दूर करने के साथ सद मार्ग बताएं। कथा के पहले व्यासपीठ से कथावाचक संजीव कृष ठाकुर ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से पहले इसके आध्यात्मिक तथा सामाजिक अर्थ को समझना होगा, तभी मानव जीवन के वास्तविक दर्शन होंगे। उन्होंने कहा कि कथा जीवन के सत्य को बताती है एवं यही पवित्र तीर्थ है। कथा में ही मुक्ति का मार्ग है। भगवान श्री कृष्ण ने भी भगवत गीता में सभी समस्याओं का समाधान बताया है।

कथा वाचक ने भागवत पुराण की व्याख्या व कथा श्रवण का महत्व बताते हुए कहाकि भागवत में ही जीवन के वास्तविक दर्शन है और यहीं से मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र वह पवित्र भूमि है, जहां गीता के स्वयं के जन्मोत्सव अवसर पर कथा श्रवण का अवसर प्राप्त हो रहा है। पहले दिन की कथा के समापन पर आरती की गई। इस अवसर पर राजेन्द्र सिंघल, श्रवण गुप्ता, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुलवंत सैनी, के.के. कौशिक एडवोकेट, खरैती लाल, एस.एन. गुप्ता, सुरेन्द्र गुप्ता, राजेश सिंगला, टेक सिंह लौहार माजरा, सुरेंद्र गुप्ता, के.सी. रंगा, संगीता शर्मा, सन्तोष यादव, मुनीश मित्तल, विपिन गर्ग, अवनि गुप्ता इत्यादि भी मौजूद रहे।

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