सकारात्मकता व मेहनत का अनूठा उदाहरण पेश कर प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी बना मुंजाल परिवार।

गुरुग्राम (जतिन/राजा )20 नवंबर : वर्ष 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ तो लोगों को सामाजिक,आर्थिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस विभाजन में बहुत से लोगों को अपनी जड़ों, संस्कृति और सामाजिक संबंधों को छोडऩा पड़ा तथा मानसिक और भावनात्मक आघात ने कई पीढिय़ों तक लोगों को प्रभावित किया। इस विभाजन की त्रासदी से उभरने  के लिए लोगों ने शुरू से फिर शुरूआत की तथा पूरी मेहनत, निष्ठा से अपना रोजगार स्थापित किया। विभाजन की त्रासदी से उभरने के लिए लाहौर के एक मुंजाल परिवार ने सकारात्मकता व मेहनत का अनूठा उदाहरण पेश किया, जो कि आज प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी बना हुआ हुआ है।        

हम बात कर रहे है हीरो समूह की सहायक कंपनी मुंजाल-शोवा के प्रबंध निदेशक योगेश मुंजाल की। वे दयानंद मुंजाल इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, हीरो साइकिल्स लिमिटेड, शिवम ऑटोटेक और डीएवी कॉलेज के निदेशक मंडल में भी हैं। अपने प्रवास के दौरान आई कठिनाइयों और व्यवसाय के उतार-चढ़ाव के बावजूद मुंजाल परिवार ने एक ऐसा साम्राज्य खड़ा किया है जो लगातार बढ़ रहा है। आज हीरो मोटोकॉर्प उनके समर्पण का प्रमाण है। योगेश मुंजाल जो वर्तमान में हीरो समूह की सहायक कंपनी मुंजाल-शोवा के प्रबंध निदेशक हैँ।इनका जन्म 13 फरवरी 1940 को लायलपुर जिला के कमालिया गाँव जिसे अब पाकिस्तान में फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है,माता-पिता, सत्यानंद मुंजाल और पुष्पावती मुंजाल के घर हुआ। सत्यानंद मुंजाल को अपने भाईयों बृजमोहन लाल मुंजाल,ओपी मुंजाल व दयानन्द मुंजाल के साथ मिलकर दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल और मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी हीरो साइकिल की स्थापना करने के लिए जाना जाता है।      

योगेश चंद्र मुंजाल की यात्रा साहस, सहयोग और शाश्वत दृढ़ संकल्प की कहानी 1947 में विनम्रतापूर्वक शुरू हुई, जब मुंजाल परिवार को भारत -पाकिस्तान विभाजन के दौरान लुधियाना आया । सब कुछ पीछे छोड़ देने के बाद परिवार ने साइकिल पार्ट्स के व्यापार में कदम रखा, धीरे-धीरे इस छोटी सी शुरुआत को एक औद्योगिक साम्राज्य में बदल दिया। जैसे-जैसे पारिवारिक व्यवसाय फलने-फूलने लगा मुंजाल परिवार ने मोटरसाइकिलों पर अपनी नजऱें गड़ा दीं, जो साइकिलों से एक महत्वाकांक्षी छलांग थी।      

देखते ही देखते हीरो समूह दुनिया में मोटरसाइकिलों का सबसे बड़ा निर्माता बन गया।   

योगेश चंद्र मुंजाल बताते हैँ कि हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि हमें होंडा का सहयोग मिलेगा। वर्ष 1981 में उनके चाचा और वे जापान गए और होंडा की फैक्ट्रियों का दौरा किया। कई दौर की बैठकों के बाद, हीरो साइकिल्स ने 1985 में होंडा के साथ सहयोग हासिल किया। इस सहयोग से हीरो होंडा का जन्म हुआ और 1986 में पहली मोटरसाइकिल का उत्पादन शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हे कलपुर्जे आयात करने के लिए केवल एक वर्ष का समय दिया और उसके बाद हमें सब कुछ यहीं बनाना पड़ा। 1990 के दशक तक हीरो होंडा दुनिया में दोपहिया वाहनों का सबसे बड़ा निर्माता बन गया था, जिसने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था। इन सबके बाद भारतीय सडक़ें और ड्राइविंग की स्थिति जापानी इंजीनियर्ड शॉक एब्जॉर्बर के लिए अनूठी समस्याएं पेश करती हैं। हमारी सडक़ें अलग थीं, लेकिन होंडा के शॉक एब्जॉर्बर, हालांकि एकदम सही नहीं थे, लेकिन हमनें भारतीय ग्राहकों के सामने आने वाली समस्याओं को काफी हद तक कम कर दिया। 

 योगेश मुंजाल  कहते हैँ कि आज के युवा तनाव में है, क्योंकि वे सफलता के लिए शॉर्टकट चाहते है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि युवा स्पष्ट अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करें और उनके लिए लगातार काम करें। भारत में कई लोग वित्त, प्रौद्योगिकी या प्रबंधन के उचित ज्ञान के बिना ही कंपनियां शुरू कर देते हैं। उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे तैयार नहीं होते। व्यवसाय शुरू करने से पहले इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण और शिक्षा आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमने सच्चे दिल से इतिहास रचा है। आज हमने अपने गृहनगर लुधियाना को प्रसिद्ध बना दिया है। साइकिल से मोटरसाइकिल तक यह यात्रा अविश्वसनीय रही है, और हम इसका श्रेय कड़ी मेहनत, दृढ़ता और रिश्तों को देते हैं।

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