विश्व पटल पर विश्व युद्ध की संभावनाएं प्रबल होती दिखाई दे रही अनंत काल से एकता और शांति का संदेश देने वाली भारतीय संस्कृति देव दीपावली पर काशी में गंगा की आरती कर जगत कल्याण की कामना फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । मौजूदा हालात में विश्व में एक बार फिर से विश्व युद्ध की संभावनाएं प्रबल होती दिखाई दे रही है। इस प्रकार की संभावनाओं को कम शब्दों में ही समझ लिया जाना बेहतर है। पृथ्वी पर शांति के लिए पूरे विश्व की नजरे आज भी भारत पर टिकी हुई है। दुनिया के शक्तिशाली और प्रभावशाली राष्ट्र सहित वहां के राष्ट्र अध्यक्षों को भी इस बात का पूरा भरोसा है । विश्व में शांति कायम करने या शांति स्थापित करने की क्षमता और योग्यता केवल और केवल भारत देश में ही है । यह बात काशी सुमेरु पीठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने देव दीपावली के उपलक्ष पर काशी में गंगा किनारे गंगा आरती किया जाने से पूर्व उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच में कही । यह जानकारी शंकराचार्य के निजी सचिव के द्वारा मीडिया से साझा की गई है। इससे पहले जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने संपूर्ण विधि विधान और मंत्र उच्चारण के बीच गंगा का दूध से अभिषेक करते हुए जगत कल्याण की कामना को लेकर आरती की । इस मौके पर अनेक विद्वान साधु संत और संन्यासी तथा श्रद्धालु मौजूद रहे। उन्होंने कहा सनातन संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है । सृष्टि की संरचना से लेकर और सृष्टि के पर्यंत समय तक भारत की यह सनातन संस्कृति बनी रहेगी। उन्होंने कहा गंगा कोई शब्द अथवा नदी नहीं है । गंगा वास्तव में एक सनातन संस्कृति और सभ्यता है । गंगा के पूजन इसके दर्शन और पवित्र गंगाजल के स्पर्श मात्र से ही मानव का कल्याण संभव है । शारीरिक और मानसिक मलीनता को भी गंगा की पवित्रता पूरी तरह से समाप्त करने में सक्षम है । काशी में कश्यप पुत्र के रूप में भगवान श्री गणेश का पदार्पण हुआ। उस समय भी सभी देवी देवताओं को याद करते हुए दीपदान के माध्यम से गणेश भगवान का यहां पर अभिनंदन किया गया। जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज जो की बेबाकी से अपनी बात सनातन समाज और राष्ट्र हित में कहने के लिए विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा जिस प्रकार से विश्व युद्ध की संभावनाएं महसूस की जा रही है । इस हालत को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के द्वारा यहां की वायु सेना, थल सेना और जल सेना को विशेष छूट प्रदान करना चाहिए । भारतीय सेना और सैनिक आज दुनिया में युद्ध कौशल के मामले में सर्वश्रेष्ठ हैं । इसी कड़ी में उन्होंने कहा एक सुनियोजित तरीके से आज सनातन पर चारों तरफ से आक्रमण भी किया जा रहा है। सनातन पर आक्रमण किया जाने का साधु समाज मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है । उन्होंने कहा काशी की नगरी भगवान शिव जो की आदि और अंत दोनों ही हैं, उन्हीं की यह काशी नगरी है । काशी जैसी देवताओं की सर्वाधिक पसंद वाली इस देवनागरी में साधना उपासना किया जाने से अज्ञानता का भी नाश होता है। शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज ने कहा गंगा हम सभी को गंगा की संस्कृति इसकी पवित्रता और अपने पूर्वजों सहित हमारे अपने सामाजिक और सनातन कर्तव्यों का बोध भी करवाती है। Post navigation ग्रैप नियमों की पालना गंभीरता से की जाए सुनिश्चित-निगमायुक्त अशोक कुमार गर्ग राष्ट्रीय प्रेस दिवस : मीडिया के बदलते स्वरूप पर संगोष्ठी का आयोजन …….. हुई व्यापक चर्चा