–कमलेश भारतीय क्या दबंग पुलिस अधिकारी भी सत्ता के मारे, सताये होते हैं? जी हां, होते हैं और ताज़ातरीन उदाहरण है हिमाचल की महिला पुलिस अधिकारी इल्मा अफरोज का, जिसे ‘लेडी सिंघम’ कहा जाता है ! आईपीएस इल्मा अफरोज उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के कुंदरकी की मूल निवासी हैं और हिमाचल में जाॅब कर रही है । इल्मा ने विधायक रामकुमार चौधरी की धर्मपत्नी कुलदीप कौर के डंपर और पोकलेन मशीन को पकड़कर 75 हज़ार रुपये का जुर्माना लगा दिया, जिसके चलते वह सत्ता की आंख में चुभने लगी हैं । इस पर इल्मा अफरोज छुट्टी पर चली गयीं और यह मुद्दा बन गया उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कि अल्पसंख्यक अधिकारी को काम नहीं करने दी जा रही ! इस तरह ‘लेडी सिंघम’ ही संकट में व चर्चा में घिर गयी हैं ! मुख्यमंत्री सुक्खू को इस पर गौर करना चाहिए । वैसे याद होगा आपको कि एक बार फतेहाबाद में कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करने आये तब गृहमंत्री अनिल विज ने महिला एसपी के जवाब से नाराज़ होकर बीच में ही बैठक छोड़ दी थी और हरियाणा सरकार ने महिला एसपी पर ही एक्शन लेते उन्हें प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित कर दिया था ! महिला एसपी का इतना ही कसूर था कि उसने कहा था कि हम तो नशा करने वालों को पकड़ते हैं लेकिन कोर्ट से उन्हें जमानत मिल जाती है और वे फिर नशा बेचने का कारोबार करने लगते हैं । इसमें पुलिस का क्या दोष? बस, इतने से खफा होकर अनिल विज बैठक छोड़कर चले गये थे ! क्या यह सही कदम था ?उत्तर प्रदेश का अखिलेश के मुख्यमंत्री काल का किस्सा याद दिला दूं, जब एसडीएम दुर्गा शक्ति की नौकरी पर ही बन आई थी और उसे व उसके पति को अखिलेश से माफी मांगनी पड़ी थी। मामला एक दीवार को गिराने का था ! ऐसे अनेक मामले हो सकते हैं लेकिन ‘उड़ान’ सीरियल ने महिला अधिकारियों के संघर्ष व मेहनत को सामने लाकर रख दिया था ! अभी तो जींद से महिला पुलिस कर्मियों के यौन शोषण का मामला ठंडा नहीं पड़ा ! एसपी महोदय की सिर्फ ट्रांस्फर ही की गयी है और फिर सब मामला भूल भुला जायेंगे और केस फाइल ! क्या पंजाब की आईएएस अधिकारी रूपन बजाज का मामला याद दिलाऊं? जब सुपरकोप कहे जाने वाले व आतंकवाद को दबाने वाले हीरो केपीएस गिल ने एक महफ़िल में रूपन बजाज को गंदे तरीके से थपथपा दिया था ? रूपन ने हिम्मत कर आवाज़ उठाई थी लेकिन सरकार चुप्पी साध गयी थी ! बहुत पुरानी पंक्तियां और कितनी बार याद आती हैं कितू अपने आंचल को परचम बना लेती तो अच्छा था ! -पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075 Post navigation प्रेस दिवस विशेष : पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग प्रेस की गरिमा के लिए खतरनाक ……… किसान खाद व फसल की बिक्री के लिए कतारों में : सैलजा