9 नवंबर शनिवार को मनाया जा रहा है गोपाष्टमी पर्व कुरुक्षेत्र : षडदर्शन साधुसमाज के संगठन सचिव एवं श्री गोविंदानंद आश्रम के सह संरक्षक वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने गोपाष्टमी के पावन पर्व पर जानकारी देते हुए बताया कि प्राचीन धर्म ग्रंथो में गौमाता की पूजा के महत्व के बारे में व जन्मकुंडली के अनेकों दोष के निवारण के इलावा असाध्य रोगों से मुक्ति पाने के लिए बहुत कुछ जानकारी मिलती है जिसका गोपाष्टमी के दिन पूजा अर्चना करने का अलग ही महत्व है। इस बार गोपाष्टमी का पावन पर्व 9 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जा रहा है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। हिन्दू धर्म परम्परा के अनुसार गाय को माता समान माना गया है। गाय का शृंगार एवं पूजा करने का हमारे प्राचीन ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। गाय को तिलक लगाकर पुष्प की माला पहनाकर गौमाता की पूजा करने से एक साथ कई देवी – देवताओं की पूजा हो जाती है। गाय को गुड़ मिलाकर आटे का पेड़ा अर्पित करने का भी शुभ फल प्राप्त होता है। गाय में सभी देवी – देवताओं का वास है ………. गौमाता की सेवा करने से सर्वपाप नष्ट हो जाते हैं और सुख समृद्धि व मानसिक शांति का आभास होता है। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि गौमाता के गोमूत्र और गोबर दोनों पवित्र हैं। गोमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। गोमूत्र के सेवन करने से प्लीहा और यकृत के रोग नष्ट हो जाते हैं। धर्मशास्त्रों में गोदुग्ध को पवित्र माना गया है। गौमाता की सेवा से संतान, पुत्र रत्न प्राप्ति संभव है। ऐसा भी माना गया है कि गोमूत्र असाध्य समझे जाने वाले कैंसर जैसे भयानक रोगों को भी ठीक करने में सहायक है। संक्रमण से उत्पन्न बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। इस तरह वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह पवित्र है। पौष्टिक एवं सतोगुण प्रधान गाय का दूध देवताओं को चढ़ाया अर्पित किया जाता है। गाय के दूध के सेवन से संग्रहणी आदि रोग नष्ट हो जाते हैं। यह स्थूलता, मोटापा और मेदावृद्धि को भी दूर करता है। इसमें प्रोटीन एवं विटामिन उचित मात्रा में पाया जाता है जो बालकों के लिए अति उत्तम है। शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे व जिनकी याददाश्त कमजोर है, उनको गाय का दूध अवश्य पीना चाहिए। मां के दूध के बाद डाक्टर भी बच्चों को गाय का दूध पिलाने की सलाह देते हैं। जातक की जन्मकुंडली में व्यापार का कारक बुद्ध ग्रह को बलवान करने के लिए व कारोबार में बढ़ोतरी के लिए हरी घास कम से अपने वजन के बराबर गोशालाओं में अर्पित करने से भी बुद्ध ग्रह बलवान होकर शुभ फल प्रदान करता है। शास्त्रों अनुसार गोदान कर मनुष्य धर्म मार्ग द्वारा स्वर्ग को जाते हैं। Post navigation हरियाणा को विकसित बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने अपनाई नॉन स्टॉप हरियाणा की राह : नायब सिंह श्रीमद्भगवतगीता का मॉरिशस के जन जन में बहुत आस्था एवं विश्वास है : उच्चायुक्त हेयमंदोयल डिलम