सरकार ने वायु गुणवत्ता सुधार के लिए कोई व्यापक प्रभावी कदम उठाने की बजाय पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना राशी दोगुनी करके अपनी जबवादेही से पल्ला झाड़ लिया है : विद्रोही धुएं के रूप में जहर उगलने वाले कारखानों, ईंट भटटे, वाहनों, जनरनेटरों, धूल उडाने वाले क्रैशरों, निर्माण कार्यो, टूटी सडकों, रेत-बजरी ढोते डम्परों से उडती धूल से जो वायु प्रदूषण होता है, उस पर जुर्माना क्यों नही लगाया? विद्रोही 08 नवम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने केन्द्र की मोदी-भाजपा-एनडीए सरकार से सवाल किया कि क्या खराब होती वायु गुणवत्ता के लिए किसान व पराली ही जिम्मेदार है? अन्य कारक क्या इसके लिए जिम्मेदार नही है? विद्रोही ने कहा कि केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार के रवैये तो यही प्रतीत होता है कि खराब वायु गुणवत्ता व बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकार की नजरों में केवल किसान व पराली ही जिम्मेदार है। तभी तो सरकार ने वायु गुणवत्ता सुधार के लिए कोई व्यापक प्रभावी कदम उठाने की बजाय पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना राशी दोगुनी करके अपनी जबवादेही से पल्ला झाड़ लिया है। केन्द्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण, खराब होती वायु गुणवत्त के लिए किसानों को ही दोषी मानकर पराली जलाने पर 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसान की जुर्माना राशी ढाई हजार से बढाकर 5 हजार रूपये, दो से पांच एकड़ वाले किसान पर जुर्माना राशी 5 हजार से बढाकर 10 हजार रूपये तथा 5 एकड़ से अधिक जोत वाले किसान पर पराली जलाने पर 30 हजार रूपये जुर्माना राशी कर दी है। किसानों पर तो पराली जलाने पर जुर्माना राशी दोगुना कर दी, पर प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारको को रोकने के लिए सरकार ने कोई कदम नही उठाये। विद्रोही ने सवाल किया कि धुएं के रूप में जहर उगलने वाले कारखानों, ईंट भटटे, वाहनों, जनरनेटरों, धूल उडाने वाले क्रैशरों, निर्माण कार्यो, टूटी सडकों, रेत-बजरी ढोते डम्परों से उडती धूल से जो वायु प्रदूषण होता है, उस पर जुर्माना क्यों नही लगाया? क्या केन्द्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट की नजरों में बढ़ते वायु प्रदूषण व खराब होती वायु गुणवत्ता का इकलौता कारण पराली जलाना ही है? सरकार का यह रवैया किसान विरोध की पराकाष्ठा है। वहीं महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि पराली जलाना बंद हो जाता है, तब भी सर्दियों में एक्यूआई 400 से पार कैसे चला जाता है? विद्रोही ने कहा कि सरकार व न्यायालय किसानों पर तो दंडात्मक कार्रवाई करने पर जोर दे रहे है, लेकिन प्रदूषण के लिए जिम्मेदार 85 से 90 प्रतिशत अन्य कारको पर पूर्णतया मौन व उदासीन है। यह रवैया किसान विरोधी तो है ही, साथ में चिंताजनक भी है। गरीब किसान को रगडो व प्रदूषण फैलाने वाले धन्नासेठों को प्रदूषण फैलाने कीे खुली छूट, यह भेदभावपूर्ण व अन्यायपूर्ण सोच नही तो क्या है? Post navigation हरियाणा के मुख्यमंत्री का आधिकारिक नाम नायब सिंह अथवा नायब सिंह सैनी हरियाणा में कांग्रेस बनाएगी अब संगठन, नए सिरे से होगा संगठन का निर्माण