छोटे कार्यकर्ताओं को मिल सकता है मौका हुड्डा और शैलजा की बजाय सह प्रभारी जितेंद्र बघेल को मिली जिम्मेदारी हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद से उदयभान की हो सकती है छुट्टी शीतकालीन सत्र 13 नवंबर से शुरू होगा: 20 सालों में पहली बार नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना गया, नेता प्रतिपक्ष के बिना चलेगी कार्यवाही? अशोक कुमार कौशिक हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस अब प्रदेश में संगठन खड़ा करेगी। खबर है कि नए सह प्रभारी जितेंद्र बघेल को कांग्रेस ने यह जिम्मेदारी सौंपी है। पहले जिला लेवल पर नियुक्तियां की जाएगी। इसमें छोटे कार्यकर्ताओं और नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान सख्त कदम उठाने के मूड में है, क्योंकि चुनाव में आपसी गुटबाजी के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कम नहीं हो रही। हार की ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ा जा रहा है। कोई भी नेता हार की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है। अब कांग्रेस हाईकमान ने ही इस मामले में कड़ा रूख अपना लिया है। कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में बड़े स्तर पर बदलाव होगा। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद से उदयभान की छुट्टी तय मानी जा रही है। वहीं हरियाणा प्रभारी जो कि खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर पद छोड़ने की पेशकश कर चुके है। उनकी जगह किसी ओर को हरियाणा का प्रभारी लगाया जाएगा। यहीं नहीं ब्लॉक व जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की जाएगी। मेहनती व ईमानदार कार्यकर्ताओं को संगठन में शामिल किया जाएगा। जो सिर्फ पार्टी की मजबूती के लिए कार्य करें। ताकि आने वाले चुनावों में पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ सके। पद संभालने के बाद नए सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने इस पर काम शुरू कर दिया है। सबसे पहले जिलाध्यक्षों की नियुक्ति संगठन कर सकता है। इसके बाद दूसरे स्तर पर नियुक्तियां होंगी। वहीं, गुटबाजी पर लगाम कसने के लिए हाईकमान ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा को सख्त मैसेज दिया है। इन्हें कहा गया है कि मीडिया में एक-दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी न करें। दस साल से नहीं बना संगठन, उदयभान ने बाबरिया को ठहराया जिम्मेदार जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने चंडीगढ़ में एक प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया पर निशाना साधा। जिसमें उन्होंने कहा कि बाबरिया ने हरियाणा में संगठन नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा कि कई बार बाबरिया को संगठन बनाने के लिए नेताओं के नाम की लिस्ट भेजी गई। लेकिन, प्रदेश प्रभारी ने इन नामों को कांग्रेस हाईकमान के पास नहीं भेजा। बल्कि, खुद दबाए बैठे रहे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण ईवीएम की हैकिंग तो है ही। इसके साथ ही कांग्रेस का संगठन न बन पाना भी वजह रही है। नेताओं की आपसी गुटबाजी के कारण ही पिछले दस साल हरियाणा में कांग्रेस संगठन का निर्माण नहीं कर पाई है। गत दिवस चंडीगढ़ में उदयभान कहा है कि राज्य में कांग्रेस का संगठन न बन पाने और विधानसभा में हार के लिए पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया जिम्मेदार हैं। उदयभान ने कहा कि हमने कई बार पार्टी पदाधिकारियों की सूचियां प्रभारी को सौंपी, लेकिन वह इन्हें कांग्रेस हाईकमान के पास भेजने के बजाय स्वयं दबाए बैठे रहे। राहुल गांधी के सामने 7 अगस्त 2023 को हुई मीटिंग में बाबरिया ने वादा किया था कि 10 सितंबर 2023 तक संगठन बना दिया जाएगा, लेकिन फिर भी वह संगठन तैयार नहीं करवा सके। विपक्ष के रुप में कांग्रेस मजबूती से होगी उपस्थित उदयभान ने आने वाले विधानसभा सत्र के बारे में भी बयान दिया और कहा कि इस सत्र में कांग्रेस विपक्ष के रूप में मजबूती से उपस्थित होगी और कई मुद्दों को उठाया जाएगा। हम विधानसभा सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष के नाम पर भी निर्णय ले लेंगे चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस की याचिका को खारिज किए जाने के मामले पर भी उदयभान ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पार्टी इस मामले को लेकर कोर्ट तक जाएगी और उचित कदम उठाएगी। पहले जिला स्तर पर होगी नियुक्तियां कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में संगठन बनाने के लिए सबसे पहले जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जा सकती है। इसके बाद दूसरे स्तर पर नियुक्तियां की जाएगी। संगठन में छोटे कार्यकर्ताओं को मौका मिल सकता है। इसके लिए हाईकमान की ओर से लिस्ट तैयार कराई जा रही है। संगठन बनाने के लिए सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने भी हरियाणा के कई बड़े नेताओं से इस बारे में चर्चा की है। कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा को सख्त मैसज खबरों की मानें, तो कांग्रेस हाईकमान ने गुटबाजी पर लगाम कसने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा को सख्त मैसेज दिया है। इन्हें कहा गया है कि मीडिया में एक-दूसरे के खिलाफ कोई बयानबाजी न करें। वहीं सह प्रभारी जितेंद्र बघेल का भी ये ही मानना है कि हरियाणा में सभी नेताओं को साथ लेकर चलना और संगठन बनाना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। ऐसा इसलिए है कि पिछले 10 साल से कांग्रेस में न तो संगठन बन पाया है और न ही पार्टी की गुटबाजी खत्म हो सकी है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी में गुटबाजी और बढ़ गई है। नेता एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए नजर आ रहे है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र शुरू होने की तारीख फाइनल, नेता प्रतिपक्ष का चयन नही 13 नवंबर से हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। इसको लेकर सीएम सैनी ने राज्यपाल को पत्र लिखा था और 25 अक्टूबर को एक दिवसीय सत्र भी बुलाया गया था। हरियाणा विधानसभा सचिव की तरफ से सभी विधायकों को इसकी जानकारी दे दी गई है। इस दौरान कुछ विधेयक पारित होने की उम्मीद है। वहीं इस विधानसभा में विधायक अपने क्षेत्रों को लेकर बनाई गई रणनीति और क्षेत्र के एजेंडे सामने रखेंगे। कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नाम को लेकर असमंजस में है, कांग्रेस ने अभी तक विधायक दल का नाम तय नहीं किया है। अगर कांग्रेस 13 नवंबर तक विधायकों के नाम से पर्दा नहीं उठाती है, तो पहली बार बिना नेता प्रतिपक्ष के सदन की मुख्य कार्यवाही होगी। बता दें कि 20 सालों में पहली बार नेता प्रतिपक्ष को विधायकों के नाम चुनने में इतना लंबा समय लगा है। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया था और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष को लेकर नाम घोषित नहीं किया है। हार के लिए जिम्मेदार भूपेंद्र हुड्डा ? पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस को हरियाणा में लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। अब तक का रिकॉर्ड रहा है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद 15 दिनों के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए जाते हैं। इस बार नेता प्रतिपक्ष चुनने का फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ दिया गया है और अब तक हाईकमान की तरफ से नेता प्रतिपक्ष की लिस्ट जारी नहीं की गई है। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर पिछली बार विपक्षी नेता रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार माना जा रहा है। 2019 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विपक्षी नेता के रूप में चुना गया था और इस शुरुआत में उनके नाम पर ही विचार था, लेकिन सिरसा सांसद कुमारी सैलजा गुट ने हुड्डा को विपक्षी नेता चुने जाने का विरोध किया। इसके बाद हुड्डा अपने 31 विधायकों को लेकर दिल्ली जाकर अपनी ताकत दिखा दी थी। 20 सालों में ये रहे नेता प्रतिपक्ष बता दें कि साल 2005 में 27 फरवरी को चुनाव का परिणाम घोषित हुआ और मार्च के पहले हफ्ते में ही ओपी चौटाला नेता प्रतिपक्ष बने। 22 अक्टूबर 2009 को चुनावों के परिणाम घोषित हुए और इसके बाद भी 15 दिन के अंदर ही ओपी चौटाला को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया गया। तीसरी बार 19 अक्टूबर 2014 को चुनाव के परिणाम घोषित किए गए और 8 दिन बाद ही अभय चौटाला नेता प्रतिपक्ष चुने गए। आखिरी बार 24 अक्टूबर 2019 को चुनाव का रिजल्ट आया और 2 नवंबर को भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। इस बार चुनाव परिणाम घोषित हुए लगभग 26 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा नहीं की गई है। कुमारी सैलजा गुट और भूपेंद्र हुडा गुट दोनों ही अपनी ओर से पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि, इस बार फैसला हाईकमान का होगा, अभी तक किसी नाम की घोषणा नहीं की गई है। Post navigation क्या खराब होती वायु गुणवत्ता के लिए किसान व पराली ही जिम्मेदार है? अन्य कारक जिम्मेदार नही ? विद्रोही