भगवान श्री कृष्ण ने धर्मनगरी में दिया गीता का संदेश : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 4 नवम्बर : भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से उत्पन्न पावन गीता की जन्मस्थली एवं तीर्थों की संगम स्थली कुरुक्षेत्र में जहां हर वर्ष की भांति भव्य गीता जयंती महोत्सव की तैयारियां चल रही हैं वहीं मथुरा, वृन्दावन एवं ब्रज की भांति गोपाष्टमी पर्व की तैयारियां भी चल रही हैं। श्री जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से जयराम गौशालाओं में गोपाष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से हर साल मनाया जाता है। इस के लिए जोरों शोरों से तैयारियां चल रही हैं।

परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की धरती पर जहां गीता का संदेश दिया है वहीं यह धरती तीर्थों की संगम स्थली होने के साथ साथ महाभारत के युद्ध की साक्षी भी है। सूर्य ग्रहण पर भी भगवान श्री कृष्ण का अनेकों वर्ष बाद कुरुक्षेत्र में सखा संबंधियों के साथ आगमन हुआ एवं राधा से पुनर्मिलन हुआ। ऐसे में कुरुक्षेत्र की धरती पर भगवान श्री कृष्ण का बार बार आगमन हुआ है। गोपाष्टमी का पर्व को लेकर मान्यता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण शुरू किया था। इसलिए इसी तिथि पर गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। श्रीमदभागवत में वर्णन देखने को मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गायों के संग खेला करते थे और उन्हें गायों से बेहद प्रेम था। सिंगला ने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से जयराम संस्थाओं में 9 नवम्बर को गोपाष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।

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