चित्रगुप्त जयंती आज रविवार को

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र ) के अध्यक्ष डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि शास्त्र और पुराण अनुसार भैया दूज 3 नवम्बर 2024 को मनाना श्रेष्ठ है क्योंकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि रविवार 3 नवम्बर 2024, अनुराधा नक्षत्र , चंद्रमा वृश्चिक और सौभाग्य योग में है।

भाई दूज के साथ ही पंच दीपोत्सव का समापन हो जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को अपने घर भोजन के लिए बुलाती है और उन्हें प्यार से खाना खिलाती हैं। रक्षाबंधन की तरह से यह पवित्र पर्व भी भाई-बहन के लिए विशेष महत्वपूर्ण और प्रेम पूर्ण है। निष्काम भाव और प्रेम में दूसरे का ध्यान रखा जाता है जैसे भगवान और सद्गुरु हमेशा जीव का कल्याण ही करते है।

भगवान चित्रगुप्त और कलम-दवात की पूजा :
इसी दिन पूरे जगत का लेखा जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त की जयंती भी मनाई जाती है। चित्रगुप्त पूजा के साथ ही कलम दवात की पूजा होती है। अच्छे या बुरे कर्म का लेखा जोखा आत्मा के शरीर रूप में जन्म लेते ही आरम्भ हो जाता है। पूर्ण सद्गुरु के निर्देशन में ओंकार दीक्षा, ध्यान ,समाधि, साक्षी और सुमिरन के विभिन्न आयाम जानकर आत्मा और परमात्मा का अनुभव करने से और निरन्तर साधना करने से ही जीव का कल्याण हो सकता है।

भाई दूज का पौराणिक महत्व है :
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज को कई बार उनकी बहन यमुना ने मिलने बुलाया था। लेकिन यमराज जी अपनी बहन के पास जा ही नहीं पाए। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि यमराज अपनी बहन से मिलने पहुंच गए। उन्हें देख यमुना जी खुश हुईं। यमुना ने यमराज का बड़े ही प्रेम भावना से आदर-सत्कार किया। यमराज को उनकी बहन ने तिलक लगाया और उनकी मंगल कामना की। उन्हें भोजन भी कराया। यमराज जी अति प्रसन्न हुए । उन्होंने अपनी बहन को वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने मांगा कि हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को आप मेरे घर आया करो। इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाएगा और तिलक करवाएगा उसे यमराज के कष्ट व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। यमराज ने अपनी बहन का वरदान पूरा किया और तभी से भाई दूज का यह त्यौहार मनाया जाने लगा।

भाई दूज का विशेष चौघड़िया मुहूर्त:
लाभ चौघड़िया : प्रातः 9:22 – 10:44 शुभ ।
अमृत चौघड़िया : प्रातः 10:44 – 12:05 शुभ।
शुभ चौघड़िया: दोपहर 13:26 – 14:47 शुभ ।

बहनें अपने भाईयों का तिलक कर सकती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार शुभ चौघड़िया मुहूर्त में तिलक करने से भाइयों की उम्र लंबी होती है साथ ही उनके जीवन में खुशहाली आती है।

भाई दूज पूजन तिलक विधि :
वास्तु शास्त्र अनुसार सही दिशा से दशा बदलती है। भाई दूज के दिन बहनें उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भाईयों का तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद उन्हें कुछ मीठा खिलाएं उसके बाद भाई को नारियल और चावल दें। फिर भाई की आरती करते हुए उनकी लंबी उम्र की कामना करें। इस दिन भाईयों को अपनी बहनों को अपनी शक्ति और सामर्थ्य अनुसार उपहार भी देना चाहिए इससे आपकी बुद्धि विकसित होगी और बुध ग्रह की कृपा से शुभ लाभ के अवसर मिलेंगे।

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