महिला पुलिसकर्मियों की शिकायत के बाद 

आरोपी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू

जांच अधिकारी बोली, यौन शोषण के आरोप पर 19 पुलिस कर्मियों के बयान लिए गए, शिकायत की बात सामने नही आई

क्या अपने समकक्ष के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर पाएगी जांच अधिकारी? 

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के खिलाफ भी गुमनाम चिट्ठी पर हुई थी सीबीआई जांच, इस मामले में भी सरकार वहीं तरीका अपना कर सीबीआई जांच कराएगी?

अशोक कुमार कौशिक 

देश के अंदर यदि आम लोग को कोई शिकायत होती है या किसी चीज़ को लेकर काफी परेशान होते हैं, वह सबसे पहले पुलिस महकमे से जुड़े लोगों के पास ही जाते हैं। लेकिन, जब आपको यह मालूम चले कि समाज के अंदर जिसको आपने अपनी सुरक्षा की जवाबदेही दे रखी हैं। वहीं समाज के अंदर सेंधमारी का काम कर रहा है तो फिर आप भी दंग रह जाएंगे। लेकिन, अब जो हम खबर बताने वाले हैं उसमें कुछ ऐसा ही हुआ है। 

7 महिला पुलिसकर्मियों ने लगाए गंभीर आरोप

सात महिला पुलिस कर्मियों ने ईमेल के जरिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, एडीजीपी और अन्य सीनियर पुलिस अधिकारियों को हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखे थे। महिला पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाया था कि एसएचओ, डीएसपी और आईपीएस अधिकारी मिलाकर हनीट्रैप और सेक्स रैकेट चलाते हैं। ये एसएचओ और डीएसपी दोनों ही महिलाएं हैं।

इस मामले की जांच करने वाली फतेहाबाद की एसपी आस्था मोदी ने कहा कि 19 महिला पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए हैं। जांच पुरी होने के बाद रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। 

महिला पुलिस कर्मी ने चिट्ठी में अवसर पर पांच बड़े आरोप लगाए

पत्र में महिला पुलिसकर्मियों ने कहा कि एक महिला एसएचओ, डीएसपी और एक एसपी अश्लील गतिविधि में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो भी पुलिसकर्मी इस उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसकी एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) खराब कर दी जाती है। पत्र में यह भी दावा किया गया कि एसएचओ और आईपीएस अधिकारी के बीच अवैध संबंध हैं। उन्होंने कहा कि एसएचओ महिला पुलिसकर्मियों को लेकर आईपीएस के पास जाती हैं और उनको सौंप देती हैं।

पत्र में कहा गया, एक विधवा महिला अधिकारी को जींद विधायक कृष्णा मिढ़ा के हस्तक्षेप के चलते बचा लिया गया। हालांकि उसका भी एसीआर खराब कर दिया गया। पत्र में बताया गया कि आईपीएस अधिकारी की नजर सुंदर दिखने वाली महिला पुलिसकर्मियों पर रहती है। एसपी की पत्नी और बच्चे दूसरे जिले में रहते हैं। एक दिन एसएचओ मुझे लेकर एसपी के आवास पर गई। मुझसे चाय बनाने को कहा गया लेकिन जब मैं चाय लेकर लौटी तो मैडम एसएचओ वहां से गायब थीं। वहां केवल एसपी थे। उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की तो किसी तरह कमरे से बाहर भाग पाई। महिला पुरुष कर्मी ने कहा है कि अगर इसकी शिकायत पर गौर नहीं किया गया तो वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएगी।

गैंग चलाते हैं पुलिस अधिकारी

पत्र में आगे बताया गया कि कैंप ऑफिस पहुंचने के बाद जब एसएचओ से पूरी घटना बताई तो उन्होंने नाराज होते हुए कहा कि उन्हें अधिकारी के साथ सहयोग करना होगा। इसके बाद रोते हुए महिला पुलिसकर्मी ने सारी बात डीएसपी को बताई। उन्होंने कहा कि प्रोमशन चाहिए तो सहयोग करो। इसके बाद एसएचओ ने उत्पीड़न शुरू कर कर दिया और एसीआर खराब करने की धमकी देने लगी। महिला पुलिसकर्मियों ने कहा कि अगर इस तरह की गतिविधियों पर विराम ना लगाया गया तो वे खुदकुशी कर लेंगी। पत्र में बताया गया कि एसएचओ, डीएसपी और अन्य मिलकर गैंग चलाते हैं और अमीर घरानों के लड़कों को फंसाते हैं और उनसे उगाही करते हैं। आप यह भी है कि जब वह कैथल के तैनात थे तब भी यौन शोषण करते थे।

आरोपी अधिकारी बोले मैंने खुद जांच के लिए पत्र लिखा 

वहीं आरोपी पर आईपीएस अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना है कि चिट्ठी में जिनके नाम है वह सभी कह रहे हैं कि यह हमारी ओर से नहीं लिखा गया है इसके लिए मैं फिर भी इंक्वारी के लिए रिक्वेस्ट की है इंक्वारी होने के बाद सारी चीज सामने आ जाएंगी । डीजीपी को मामले से अवगत करा दिया गया है।

जींद में महिला पुलिसकर्मियों का पत्र सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर वायरल होने के बाद आरोपी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू हो गई है। राज्य में बीजेपी चीफ मोहन लाल बडोली ने कहा कि सरकार इस मामले की ठीक से जांच करवाएगी। सोनीपत में रिपोर्टर्स से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर एसपी सुमित कुमार दोषी पाए जाते हैं तो उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने वायरल चिट्ठी पर संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिरीक्षक शत्रुजीत कपूर को जांच के आदेश दिए हैं इसके बाद फतेहाबाद की एसपी आस्था मोदी को जांच सौंपी गई है।

पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी ने कहा कि इस मामले में अभी तक 19 पुलिस कर्मियों के बयान दर्ज किए गए हैं। पुलिस कर्मचारियों की शिकायत देने की बात अभी सामने नहीं आई है । यह षड्यंत्र है या नहीं, इसे लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच अभी चल रही है।

यहां यह सवाल खड़ा होता है क्या अपने समकक्ष के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच कर पाएगी फतेहाबाद पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी? अपने ही अधिकारी के खिलाफ कोई कर्मचारी खुलकर कैसे सामने आ सकता है। बिना आरोपी अधिकारी को निलंबित की जांच कैसे संभव है? 

आपको बता दे की डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख बाबा राम रहीम सिंह के खिलाफ ऐसी ही एक गुमनाम चिट्ठी प्रधानमंत्री के नाम लिखी गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सरकार ने उसे गुमनाम चिट्ठी के आधार पर सीबीआई जांच करने का निर्णय लिया था। इस मामले में भी सरकार को निष्पक्ष जांच करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच सौंपनी चाहिए।

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