राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अजय यादव ने क्यों कल ओबीसी सेल के अध्यक्ष पद व पार्टी से दिया था इस्तीफा

अहीरवाल का ‘चौधरी’ कोन?,आज गुरुग्राम में बैठक कर लेंगे बाद निर्णय 

हुड्डा के सहारे कांग्रेस को किया गया कमजोर, अब हुड्डा विरोधियों के सहारे उनको लगाया जाएगा ठिकाने?

अशोक कुमार कौशिक 

दक्षिणी हरियाणा में 2024 की विधानसभा चुनाव के बाद कुछ राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बढ़े। लोकसभा चुनाव के दौरान तथा उसके बाद अहीरवाल के बड़े क्षत्रप राव इंद्रजीत सिंह ने जनता के बीच में इस बात को बड़ी जोरों से उठाया की 2014 से 2024 तक अहीरवाल भाजपा को भाजपा को फर्श से अर्श तक पहुंचाया। इसके लिए अब हरियाणा का मुख्यमंत्री दक्षिणी हरियाणा से होना चाहिए। इसके बाद तेजी से घटे घटनाक्रम में अमित शाह के नेतृत्व में दोबारा से सीएम के रूप में नायब सिंह सैनी की ताजपोशी कर दी गई। राव इंद्रजीत सिंह तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर हो गए। मंत्रिमंडल के गठन में यद्यपि अटेली से जीती उनकी पुत्री आरती राव को मंत्री बनाया गया, पर भाजपा नेतृत्व में उनके धुर विरोधी राव नरबीर सिंह को मंत्रिमंडल में स्थान देकर उन पर अंकुश लगाने का भी काम किया है। 

दक्षिणी हरियाणा में इसके बाद एक घटना ओर तेजी से घाटी कांग्रेस के बड़े क्षत्रप कप्तान अजय सिंह यादव ने पार्टी की प्राथमिकता से त्यागपत्र दे दिया। हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष के चुनाव से पूर्व कप्तान का इस्तीफा एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर संकेत करता है। सूत्र बता रहे हैं कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा उनको राज्यसभा में भेज सकती है। हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट रिक्त हुई है। शुक्रवार को उन्होंने गुरुग्राम में कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई है, जिसमें वह कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कप्तान के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी न केवल राहुल गांधी को घेरना चाहती है बल्कि राव इंद्रजीत सिंह की महत्वाकांक्षाओं पर भी अंकुश लगाना चाहती है। राजनीतिक विश्लेशको का यह भी मानना है कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सारे जिस तरह कांग्रेस को कमजोर किया है इस तरह हुडा विरोधियों के सहारे हुड्डा को ठिकाने लगाया जाएगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े सूत्रों के अनुसार कप्तान अजय यादव के बाद पार्टी का अगला निशाना कुमारी शैलजा है, जिसको लेकर विधानसभा चुनाव से पहले भी प्रयास किए गए। 

अजय सिंह यादव कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे रेवाड़ी विधानसभा सीट से कई बार विधायक भी रहे हैं। कैप्टन यादव ने अपने इस्तीफे की पुष्टि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर की है। उन्होंने लिखा है कि मैं एआईसीसी ओबीसी विभाग के अध्यक्ष और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मैंने अपना रिजाइन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है।

राहुल गांधी पर भी निशाना साधा 

दरअसल , अजय यादव ने राहुल गांधी से भी मुलाकात की और अपनी बात रखते हुए अजय यादव ने कहा कि वो ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद उनकी बातों को नजरअंदाज किया गया है। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि न तो टिकट वितरण में उनकी कोई सुनवाई हुई और न ही हरियाणा में उनकी पार्टी की स्थिति को ध्यान में रखा गया। इसके बाद राहुल ने कुछ ऐसा कहा जिससे उनकी पार्टी से जुड़ी भावनाओं को आहत हुआ।दरअसल, सूत्रों की हवाल से राहुल गांधी ने उनकी बातों का जवाब देते हुए कहा कि, अपने बेटे की सीट नहीं जितवा सके, और देशभर में टिकट वितरण की जिम्मेदारी कैसे ले सकते हैं। इसी बात से आहत होकर उन्होंने पार्टी को छोड़ने का फैसला लिया।

वहीं, अपनी पोस्ट को उन्होंने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को टैग भी किया है। यादव ने आगे लिखा कि रिजाइन करने का निर्णय वास्तव में मेरे लिए कठिन था। मेरे परिवार को कांग्रेस पार्टी से 70 सालों से जुड़ाव रहा है। मेरे पिता स्वर्गीय अभय राम 1952 में पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। मैंने भी अपनी पारिवारिक परंपरा का निर्वहन किया। लेकिन सोनिया गांधी के अध्यक्ष हटने के बाद उनके साथ खराब से खराब व्यवहार किया गया। मेरा अब पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो चुका है।

भारतीय वायु सेना से इस्तीफा देकर अस्सी के दशक में कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने वीरवार सायं पार्टी को बड़ा झटका दे दिया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस्तीफा भेजने के बाद खुद कैप्टन ने सोशल साइट एक्स पर इसका खुलासा किया था। हालांकि अभी उन्होंने किसी अन्य दल में शामिल होने को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं। उनके बेटे चिरंजीव राव ने इसे पिता का व्यक्तिगत फैसला बताते हुए पार्टी में जीवन भर बने रहने की बात कही है। 

भूपेंद्र हुड्डा के साथ रहा 36 का आंकड़ा

अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के बाद सबसे कद्दावर नेता रह चुके कैप्टन अजय सिंह यादव की भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पटरी नहीं बैठ पा रही थी। उनके हुड्डा के साथ मतभेद 2011 में उस समय शुरू हो गए थे, जब सीएम पद पर रहते हुए हुड्डा ने उनसे वित्त विभाग वापस ले लिया था। कैप्टन कई बार भूपेंद्र हुड्डा की आलोचना करते नजर आए, तो कई बार सराहना करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। कैप्टन रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार विधायक चुने गए थे। लोकसभा चुनावों से पहले उनकी हुड्डा से तल्खियां बढ़ गई थी। ओबीसी सेल का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद कांग्रेस में उन्हें सम्मान नहीं दिया जा रहा था।

हार के गिनवा चुके थे कारण

आपको बता दें कि अजय सिंह यादव को बड़ा ओबीसी नेता माना जाता है। लेकिन पार्टी में लगातार अनदेखी की वजह से वे अब इस्तीफा दे चुके हैं। बताया ये भी जा रहा है कि उनकी प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान से अनबन चल रही थी। इनकी कार्यशैली से वे खुश नहीं थे। हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे वे गुटबाजी को वजह बता चुके थे। उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार जनादेश से पहले ही सीएम पद को लेकर लड़ाई शुरू हुई, उससे कांग्रेस से मतदाता छिटके। यह एक बड़ी गलती थी। वहीं, उन्होंने कांग्रेस नेता मामन खान के बयान को भी गलत बताया था। मामन खान के बयान को उन्होंने समुदाय विशेष के खिलाफ बताया था।

प्रचार के लिए नहीं आए पार्टी के वरिष्ठ नेता

हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने बेटे चिरंजीव राव की पराजय के बाद वह बड़े आहत थे। कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव के चुनाव प्रचार में कांग्रेस की ओर से पार्टी के स्टार प्रचारकों को रेवाड़ी नहीं भेजा गया। जातिगत समीकरण साधने के लिए कैप्टन ने खुद कुछ प्रभावशाली नेताओं को अपने स्तर पर प्रचार के लिए जरूर बुलाया था। बेटे चिरंजीव राव की हार के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के रुख को लेकर कैप्टन नाराज नजर आ रहे थे। 

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रणधीर सिंह कापड़ीवास के सामने चुनाव हारने के बाद कैप्टन अजय यादव ने हलके की सियासत अपने बेटे चिरंजीव राव के हवाले कर दी। 2019 में पहली बार चुनाव लड़े चिरंजीव राव ने भाजपा के सुनील मुसेपुर को शिकस्त दी और विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव अहीरवाल की ‘चौधर’ का नारा देते हुए साफ कह चुके कि इस बार कांग्रेस सरकार में वे हैवीवेट उपमुख्यमंत्री होंगे।

वहीं, लगभग दस साल पहले तक कांग्रेस और उसके बाद से भाजपा में सक्रिय राव इंद्रजीत सिंह ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की लड़ाई शुरू की थी।

हालांकि, भाजपा द्वारा यह चुनाव स्पष्ट तौर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। 2019 में कोसली से विधायक बने लक्ष्मण सिंह यादव को इस बार राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर भाजपा ने रेवाड़ी से चुनावी मैदान में उतारा। यह चुनाव लक्ष्मण यादव से अधिक राव इंद्रजीत सिंह की प्रतिष्ठा का भी था।

अजय यादव रहे छह बार ‘कप्तान’ 

कैप्टन अजय सिंह यादव रेवाड़ी के अकेले ऐसे नेता हैं, जो लगातार छह बार हलके के ‘कप्तान’ रहे। साल 1987 में लोकदल के टिकट पर रेवाड़ी से विधायक बने रघु यादव ने देवीलाल से ठनने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते 1989 में हुए उपचुनाव में अजय सिंह यादव ने चुनावी राजनीति में एंट्री की और पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1991 और फिर 1996 में जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई। साल 2000 और फिर 2005 का चुनाव जीतने के बाद कैप्टन अजय यादव हुड्डा सरकार में हैवीवेट मंत्री बने। 2009 में उन्होंने लगातार छठी बार चुनाव जीता और हुड्डा सरकार में फिर से कैबिनेट मंत्री बने। साल 2014 में भाजपा के रणधीर सिंह कापड़ीवास ने उनके विजय रथ को रोका। कैप्टन अजय यादव के पिता अभय यादव 1972 में रेवाड़ी से विधायक रहे। आर्मी की सेवाओं

चिरंजीव ने बताया पिता का अपना फैसला

इस संबंध में कैप्टन के बेटे पूर्व विधायक चिरंजीव राव से बात की तो उन्होंने इसे अपने पिता का व्यक्तिगत फैसला बताया। चिरंजीव राव ने बताया कि उनके पिता ने अपनी मर्जी से निर्णय लिया है। वह किस पार्टी में जाएंगे, यह भी वह खुद ही बताएंगे। पिता के कांग्रेस छोड़ने के बावजूद वह पार्टी में आजीवन बने रहेंगे। उनका पार्टी छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। कैप्टन के इस्तीफे से कांग्रेस की राजनीति में और उफान आने की आशंका बन गई है।

भाजपा एक के बाद एक कांग्रेस नेताओं की पार्टी में एंट्री कर रही है। इसकी शुरुआत राव इंद्रजीत,  चौधरी धर्मबीर सिंह, चौधरी बीरेंद्र सिंह डूंमर खां(परिवार सहित), अशोक तंवर,  कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी व उसकी पुत्री श्रुति चौधरी को भाजपा में शामिल कर कांग्रेस को करारा झटका दिया था। किरण चौधरी को भी भाजपा में आने के बाद राज्यसभा में भेजा गया। अब यही रणनीति भाजपा कप्तान अजय यादव के साथ अपनाने जा रही है। यह अलग बात है कि चौधरी बीरेंद्र सिंह व उनके परिवार के साथ-साथ अशोक तंवर की भी कांग्रेस में दोबारा से एंट्री हो गई।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है की कप्तान अजय यादव के बहाने भाजपा राहुल गांधी को एक बार फिर निशाने पर लेने की कोशिश कर रही है ताकि महाराष्ट्र व झारखंड के विधानसभा चुनावों में इसका लाभ उठाया जा सके। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है इसके साथ भाजपा की रणनीति यह भी है की कप्तान अजय यादव के बहाने राव राजा इंद्रजीत सिंह पर भी नियंत्रण रखने की रणनीति पर पार्टी काम कर रही है।

राजनीति की जानकारी अभी बता रहे हैं कि जिस तरह भाजपा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहारे हरियाणा में कांग्रेस को खत्म करने का प्रयास किया है अब इस रणनीति के चलते हुड्डा को भी ठिकाने लगाया जाएगा। भारतीय जनता पार्टी की नजर अभी कुमारी शैलजा पर भी है। यदि आज शुक्रवार को चंडीगढ़ में विधायक दल के नेता का चुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अनुसार होता है तो कुमारी शैलजा भी कप्तान अजय यादव की तरह कदम उठा सकती है।

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